फरवरी महीने में ही ठंड लगभग जा चुकी है. लोगों को उम्मीद नहीं थी कि जनवरी अंत तक पड़ने वाली कड़ाके की सर्दी इस तरह से गायब होगी. आम लोगों ने सर्दी से भले राहत ली हो, लेकिन किसानों की चिंता बढ़ गई है. किसान पिछले साल का वाकया याद कर रहे हैं जब फरवरी में ही तेज गर्मी पड़ने लगी थी. घरों में पंखे और एसी शुरू हो गए थे. इस गर्मी का गंभीर असर गेहूं की उपज पर दिखा और गेहूं के दाने फूलने के बजाय चिपक गए. जितनी उपज किसानों को मिलनी चाहिए, उतनी नहीं मिली. यहां तक कि बाजार में रेट भी गिर गए. किसानों ने जल्दी में अपनी उपज निकाल दी. स्थिति तब ज्यादा खराब हो गई जब गेहूं के दाम नए साल पर बढ़ने शुरू हुए, लेकिन किसान पहले ही अपनी उपज निकाल चुके थे. लिहाजा उनके हाथ में कमाई का भी स्रोत नहीं बचा.
इस साल किसानों की चिंता इसलिए बढ़ गई है क्योंकि सर्दी में होने वाली बारिश न के बराबर दर्ज की गई है. गेहूं के लिए सर्दी की बारिश जरूरी होती है और असली खाद का काम करती है. हालांकि कुछ राज्यों में अधिक बारिश होने से गेहूं खराब भी हुआ है. लेकिन गेहूं के बेल्ट में बारिश की कमी देखी गई है. इससे भी उपज पर असर देखा जा सकता है.
प्राइवेट न्यूज एजंसी के हवाले से 'बिजनेसलाइन' ने लिखा है, बारिश कम होने से मौसम में नमी की कमी हो गई है जो गेहूं की फसल के लिए अच्छा संकेत नहीं है. हवा में नमी नहीं रहने से फसलों पर अधिक तापमान का दबाव बढ़ता दिख रहा है जो हर सर्दी वाली फसल के लिए अच्छी बात नहीं है.
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इसमें एक अच्छी बात ये है कि जिन प्रदेशों में गेहूं की बुआई पहले कर ली गई है, वहां तापमान का असर फसल पर कम देखने को मिलेगा. इन राज्यों में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान के अधिकांश इलाके शामिल हैं. मौमस वैज्ञानिक बताते हैं कि जब तक दिन का तापमान 30 डिग्री को पार नहीं करता है और रात का पारा 15 के आसपास बना रहता है, तब तक गेहूं के किसानों को चिंता करने की जरूरत नहीं. अगर इससे अधिक पारे में तेजी आती है, तो गेहूं के लिए खराब संकेत हो सकता है.
एक्सपर्ट बताते हैं कि अगर मार्च में भी दिन का तापमान 30 डिग्री और रात का तापमान 15 डिग्री से अधिक नहीं होता है तो गेहूं को लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं है. अगर मौसम साथ देता है और गर्मी अधिक नहीं होती है, तो इस साल गेहूं की बंपर पैदावार देखी जाएगी. हालांकि व्यापारी अभी इस बात से इत्तेफाक नहीं रखते और उनका कहना है कि अभी गेहूं की पैदावार गिरने की बात करना सही नहीं है क्योंकि फरवरी का महीना अभी शुरू ही हुआ है. गुजरात में अधिक दिनों तक ठंड चलती है, इसलिए गेहूं की पैदावार पर वहां असर नहीं दिखेगा.
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करनाल स्थित आईसीएआर-आईआईबीआर के निदेशक ज्ञानेंद्र सिंह कहते हैं कि अभी गेहूं को लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं क्योंकि देश के अधिकांश इलाकों में तापमान अपनी सीमा से पार नहीं हुआ है. भारतीय मौसम विभाग ने अनुमान जताया है कि भारत के पूर्वी और उत्तर पूर्वी इलाकों के अधिकांश हिस्से में सामान्य अधिकतम तापमान अधिक रह सकता है. यही हाल पूर्वी मध्य भारत और उत्तर-पश्चिम और पश्चिम भारत के कुछ इलाकों में देखा जा सकता है. कई व्यापारियों का मानना है कि देश के बड़े इलाकों में गेहूं की फसल पहले बोई गई है, इसलिए पैदावार गिरने की आशंका कम है.
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