पुणे: किसानों पर मत्स्य विभाग की बड़ी कार्रवाई, सात हजार किलो प्रतिबंधित मांगुर मछली नष्ट

पुणे: किसानों पर मत्स्य विभाग की बड़ी कार्रवाई, सात हजार किलो प्रतिबंधित मांगुर मछली नष्ट

मांगुर मछली का पालन, इसकी खेती और इसे बेचना देश में प्रतिबंधित है. लेकिन कई जगह धड़ल्ले से इसका पालन होता है. इस मछली से कई बीमारी होने का खतरा होता है जिसे देखते हुए इसके पालन और बिक्री पर बैन लगा हुआ है. इसके बावजूद पुणे के इंदापुर तालुका में इसका पालन हो रहा है. इसे देखते हुए मत्स्य विभाग ने बड़ी कार्रवाई की है.

Advertisement
पुणे: किसानों पर मत्स्य विभाग की बड़ी कार्रवाई, सात हजार किलो प्रतिबंधित मांगुर मछली नष्टपुणे के इंदापुर तालुका में मांगुर मछली पालने को लेकर बड़ी कार्रवाई की गई है

स्वास्थ्य के लिए हानिकारक और राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) द्वारा प्रतिबंधित मांगुर मछली पालने वाले किसानों के खिलाफ पुणे मत्स्य विभाग ने बड़ी कार्रवाई की है. इस कार्रवाई में पुणे जिले के दौंड और इंदापुर तालुका में तकरीबन 7000 किलो से ज्यादा मांगुर मछली नष्ट कर दी गई है. महाराष्ट्र में मांगुर मछली पालने और खाने के लिए प्रतिबंध लगाया गया है. इसके बावजूद कई किसान इसे पालते हैं

इस मछली पर प्रतिबंध लगने के बावजूद उजानी जलग्रहण क्षेत्र में बड़े पैमाने पर और खुलेआम खेती की जा रही है. इंदापुर के कालथन गांव के एक तालाब में 3200 किलो मांगुर मछली नष्ट कर दी गई है. दूसरी ओर, दौंड तालुका के खानोटा गांव में भी प्रतिबंधित मछली पालने वालों पर कार्रवाई की गई है. इस गांव में 3500 किलो मछली गड्ढे में गाड़ कर नष्ट कर दी गई है.

मांगुर मछली का पालन, इसकी खेती और इसे बेचना देश में साल 2000 से ही प्रतिबंधित है. लेकिन कई जगह धड़ल्ले से इसका पालन होता है. इस मछली से कई बीमारी होने का खतरा होता है जिसे देखते हुए इसके पालन और बिक्री पर बैन लगा हुआ है. इसके बावजूद पुणे के इंदापुर तालुका में इसका पालन हो रहा है. इसे देखते हुए मत्स्य विभाग ने बड़ी कार्रवाई की है. यह मछली मांसाहारी होती है जिससे दूसरी मछलियों को भी खाने का खतरा बना रहता है. साथ ही इस मछली से जलीय पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचता है.

ये भी पढ़ें: मालदा: तैयार फसल घर लाने के लिए सड़क नहीं, किसानों ने चंदा वसूल कर बनाई रोड

मांगुर में थाई मांगुर और भी अधिक खतरनाक होती है क्योंकि उसमें लेड और आयरन की मात्रा अधिक पाई जाती है. इससे खाने वाले लोगों को कई गंभीर बीमारी लगने की डर होता है. यह मछली सड़ा हुआ मांस खाती है, इसलिए इसकी वृद्धि और वजन तेजी से बढ़ता है. यही वजह है कि मछली पालन करने वाले किसान अधिक वजन का फायदा लेने के लिए इसे चोरी-छिपे पालकर बेचते और कमाई करते हैं. इस मछली में और भी कई तरह के खतरनाक तत्व जैसे कि आर्सेनिक, कैडमियम, क्रोमियम, मरकरी, लेड आदि पाया जाता है. ये सभी तत्व स्वास्थ्य के लिए बेहद खरतनाक होते हैं.

थाई मांगुर के अलावा भारत में बिग हेड और पाकु नस्ल की मछलियों पर रोक लगी हुई है. ये मछलियां हिंसक होने के साथ ही मांसाहारी भी हैं. साल 2020 से इन तीनों तरह की मछलियों की बिक्री पर पूरी तरह से प्रतिबंध है. इन मछलियों पर कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और केरल हाईकोर्ट और एनजीटी ने मांपुर मछलियों पर रोक लगाने के आदेश दिए हैं.(बसंत मोरे का इनपुट)

POST A COMMENT