फीड सेक्टर में मक्का की परेशानी बढ़ती जा रही है. दाम बढ़ने के साथ ही मक्का की कमी भी महसूस की जा रही है. पोल्ट्री एक्सपर्ट और फेडरेशन के कोषाध्यक्ष रिकी थापर का कहना है कि बीते कुछ साल में मक्का के दाम बहुत बढ़े हैं. पोल्ट्री फीड तैयार करने में मक्का का रोल बड़ा है. जिसके चलते पोल्ट्री सेक्टर परेशानी से जूझ रहा है. बेशक ये परेशानी अभी उतनी बड़ी नहीं है, लेकिन आने वाले वक्त में कारोबार करना मुश्किल हो जाएगा. दूसरे देशों में इस परेशानी को दूर करने के लिए अपने यहां जीएम मक्का और सोयाबीन की खेती शुरू कर दी है. हाल ही में चीन में भी जीएम मक्का की खेती करने की अनुमति दी गई है.
भारत में भी लगातार केन्द्र सरकार से ये मांग की की जा रही है कि जीएम मक्का-सोयाबीन की खेती करने की अनुमति दी जाए. या फिर मक्का इंपोर्ट डयूटी कम करते हुए आयात का रास्ता खोला जाए. गौरतलब रहे मक्का पर वर्तमान मूल आयात शुल्क 50 फीसद है. अगर जल्द ही इस संबंध में कोई कदम नहीं उठाया गया तो इससे पोल्ट्री सेक्टर को बड़ा धक्का लग सकता है.
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पोल्ट्री एक्सपर्ट और फेडरेशन के कोषाध्यक्ष रिकी थापर के मुताबिक बीते कुछ साल में मक्का के दाम बहुत बढ़े हैं. पोल्ट्री फीड तैयार करने में मक्का का रोल बड़ा है. इसी को देखते हुए कंपाउंड लाइव स्टॉक फीड मैन्युफैक्चर्स एसोसिएशन (CLFMA) और पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया (PFI) ने केन्द्र सरकार से देश में जीएम मक्का की खेती करने की अनुमति मांगी है. वहीं वेट्स इन पोल्ट्री (वीआईवी) संस्था ने भी केन्द्रीय पशुपालन और डेयरी मंत्री को पत्र लिखकर मक्का आयात पर लगने वाली डयूटी खत्म करने या फिर कम करके 15 फीसद करने की मांग की है. इतना ही नहीं कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई) भी केन्द्र सरकार से जीएम मक्का आयात करने की अनुमति देने की बात कह चुकी है. ऑल इंडिया ब्रॉयलर ब्रीडर एसोसिएशन के चेयरमैन और आईबी ग्रुप के एमडी बहादुर अली भी इस मामले में पत्र लिख चुके हैं.
रिकी थापर ने बताया कि इथेनॉल उत्पादन में मक्का की बढ़ती खपत पोल्ट्री सेक्टर में चिंता बढ़ा रही है. असल बात तो ये है कि भारत का 34.60 मिलियन टन (एमटी) सालाना मक्का उत्पादन पोल्ट्री सेक्ट्र के साथ-साथ देश की खाद्य सुरक्षा की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अपर्याप्त है. वित्तीय वर्ष 2022-23 में भारत ने 6.65 लाख मीट्रिक टन पोल्ट्री प्रोडक्ट का निर्यात किया गया था, जिसकी कुल कीमत 1081.62 करोड़ रुपये थी.
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ये एक्सपोर्ट कुल 64 देशों को किया गया था. हालांकि, विश्वी के कुल पोल्ट्री बाजार में भारत की हिस्सेदारी अभी सिर्फ 1.2 फीसद है, जिसे कम से कम 10 फीसद करना होगा. पोल्ट्री में भारत सबसे ज्यादा अंडे और अंडे के पाउडर का निर्यात करता है, जबकि बहुत ही कम मात्रा में चिकन सिर्फ कुछ पड़ोसी देशों को निर्यात किया जाता है. लेकिन हमे इस वक्त पोल्ट्री सेक्टर में रेडी टू ईट और रेडी टू कुक पर ध्यान देना होगा. लेकिन इस सब के लिए बढ़ी हुई मात्रा के साथ पोल्ट्री फीड की जरूरत भी पड़ेगी.
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