दिल्ली में CGIAR और ICAR ( इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च) के सहयोग से कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया है जिसमें दुनिया भर में खेती में महिलाओं के योगदान को पहचान दिलाने के बारे में चर्चा हुई. रिसर्च टू इंपैक्ट थीम पर इस कॉन्फ्रेंस में दुनियाभर के एग्रीकल्चर साइंटिस्ट, एक्सपर्ट, शोधकर्ता शामिल हुए. 9-12 अक्टूबर तक चलने वाली इस कॉन्फ्रेंस में हर दिन महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर चर्चा हुई.
इस कॉन्फ्रेंस में शामिल डॉक्टर रंजीता पुस्कुर जो जेंडर इंपैक्ट प्लेटफॉर्म(CGIAR) की ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी है उन्होंने किसान तक से बातचीत में बताया कि खेती में महिलाओं की स्थिति को समझने के लिए उन्होंने करीब 50 देशों का डेटा इकट्ठा किया है और उस पर रिसर्च की है.इस दौरान जो एक सबसे कॉमन बात निकलकर आयी है वो ये है कि खेती के लिए जो संसाधन हैं उन तक महिला किसानों की पहुंच नहीं है. साथ ही खेती के विकास के लिए जो भी काम होता है उसमें महिलाओं को ध्यान में नहीं रखा जाता. बात चाहे मशीनरी डवलपमेंट की हो या किसी और इक्विमेंट की वो महिलाओं के इस्तेमाल करने के हिसाब से नहीं डिजायन होते.उन्होंने ये भी कहा कि खेतों में काम करने वाली महिलाओं का स्वास्थ्य और सामाजिक स्तर उठाने के लिए सिर्फ एग्रीकल्चर सेक्टर ही नहीं बल्कि सभी को मिलकर काम किए जाने की जरूरत है.
ये भी पढ़ें:खेती-किसानी के विकास में महिलाओं का अहम योगदान, लेकिन नहीं दी गई मान्यता
इस कॉन्फ्रेंस में CGIAR के जेंडर इंपैक्ट प्लेटफॉर्म की डायरेक्टर डॉक्टर निकोलिन ने भी पूरी दुनिया में जो महिला किसानों की हालत है उसके बारे में बात की. नीदरलैंड की रहने वाली डॉक्टर निकोलिन ने कहा कि सबसे पहले तो इस सोच को बदलने की जरूरत है कि किसान पुरुष हैं. खेती में महिलाओं के योगदान को मजबूती से सामने लाने की जरूरत हैं और महिला किसानों की आवाज प्लेटफॉर्म मिलना चाहिए. उन्होंने बताया कि 20 साल पहले नीदरलैंड में भी महिला किसानों की हालत अच्छी नहीं थी लेकिन अब हालात काफी बेहतर हैं.
4 दिन तक चलने वाली इस कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने किया. इस कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लेने के लिए भारत के अलावा पूरे विश्व में जो लोग एग्रीकल्चर फील्ड से जुड़े हैं उन्होंने हिस्सा लिया. एग्री फूड चेन में महिलाओं के लिए जो रिसर्च हो रही है उसको कैसे प्रभावशाली ढंग से लागू किया जाये इस पर चर्चा हुई. साथ ही महिला सशक्तीकरण के लिए क्या किये जाने की जरूरत है इस विषय पर भी बात हुई. खेती में काम करने वाली महिलाओं के खान-पान में पोषण की कमी को दूर करने और उनका स्वास्थ्य बेहतर बनाने के उपायों पर भी सेमिनार हुए.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today