डॉली भेड़ बनाने वाले वैज्ञानिक इयान विलमट का निधन, 79 साल की उम्र में ली अंतिम सांस

डॉली भेड़ बनाने वाले वैज्ञानिक इयान विलमट का निधन, 79 साल की उम्र में ली अंतिम सांस

एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, विलमट को 2018 में पर्किंसन बीमारी का पता चला था. उसके बाद विलमट इलाज पर थे, लेकिन साथ ही वे साइंस में अपना योगदान दे रहे थे. विलमट के अलावा जिन लोगों को डॉली भेड़ बनाने का श्रेय जाता है, उनमें कीथ कैंपबेल का भी नाम है.

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डॉली भेड़ बनाने वाले वैज्ञानिक इयान विलमट का निधन, 79 साल की उम्र में ली अंतिम सांसक्लोनिंग से डॉली भेड़ बनाने वाले वैज्ञानिक इयान विलमट का निधन (सांकेतिक तस्वीर)

दुनिया के नामी वैज्ञानिक इयान विलमट का देहांत हो गया है. वे 79 वर्ष के थे. विलमट मशहूर एंब्रायोलॉजिस्ट थे और ब्रिटेन के रहने वाले थे. यानी वे क्लोनिंग पर काम करते थे. ये वही विलमट हैं जिन्होंने दुनिया को पहला डॉली भेड़ दिया था. खास बात ये कि यह भेड़ पूरी तरह से क्लोनिंग से तैयार किया गया था. भेड़ के एडल्ट सेल से डॉली भेड़ को विकसित किया गया था. जिस वैज्ञानिक ने इस भेड़ को बनाया था, वे इयान विलमट थे जिनका निधन हो गया है. विलमट का निधन सोमवार को हुआ. वे पर्किंसन जैसी खतरनाक बीमारी से ग्रसित थे.

एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, विलमट को 2018 में पर्किंसन बीमारी का पता चला था. उसके बाद विलमट इलाज पर थे, लेकिन साथ ही वे साइंस में अपना योगदान दे रहे थे. विलमट के अलावा जिन लोगों को डॉली भेड़ बनाने का श्रेय जाता है, उनमें कीथ कैंपबेल का भी नाम है. साथ ही इनकी एक पूरी टीम थी जिसने डॉली भेड़ बनाया था. 

क्लोनिंग से डॉली भेड़ का विकास

डॉली भेड़ के विकास को 20वीं सदी का सबसे बड़ी वैज्ञानिक घटना बताई गई. विलमट और उनकी टीम ने 1996 में डॉली भेड़ बनाया था. विलमट की टीम में शामिल कैंपबेल का निधन 2012 में हो गया था. AP की रिपोर्ट के मुताबिक, विलमट ने जिस विधि से डॉली भेड़ को बनाया, वह क्लोनिंग की दुनिया में पहली घटना थी जिसमें किसी मैच्योर एडल्ट सेल को नए फर्टिलाइज्ड एंब्रायो से तैयार किया गया था.

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इस विधि का अर्थ हुआ कि जिस डोनर का सेल लिया गया, ठीक उसी की तरह किसी नए प्राणी को विकसित किया गया. तकरीबन 30 साल पहले विलमट ने यह प्रयोग सफल किया. लेकिन उसके बाद प्रयोग पर कई तरह की बातें भी उठीं. यहां तक कि रिसर्च के इथिक्स पर सवाल उठाया गया. यानी सवाल उठा कि एंब्रायो से किसी जीव को बनाना कितना नैतिक है और इससे आने वाले समय में क्या प्रभाव पड़ेगा.

क्लोनिंग पर दुनिया में विवाद

इसमें एक बड़ी जानकारी ये है कि डॉली भेड़ बनने के बाद पूरी दुनिया में विवाद खड़ा हुआ. विवाद इतना मुखर हुआ कि तब के अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन को एक्शन लेना पड़ा. क्लिंटन ने बड़ा ऐलान करते हुए साफ कर दिया कि आज के बाद इंसानों पर किसी तरह का क्लोनिंग प्रयोग नहीं होगा. फिर उसी साल से इंसानी क्लोन प्रयोग पर प्रतिबंध लग गया. इसी के साथ हर तरह की क्लोनिंग रिसर्च पर बैन लग गया. यह बैन अब तक चल रहा है. हालांकि डॉली की जिंदगी भी इतनी आसान नहीं रही. जन्म लेने के छह साल बाद डॉली को फेफड़े का कैंसर हो गया जो ठीक होने लायक नहीं था. ऐसे में वैज्ञानिकों ने डॉली को इच्छा मृत्यु दे दी.

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