खरीफ सीजन की मुख्य फसल धान को इस साल कमजोर मॉनसून का सामना करना पड़ा. वहीं सरकार के बफर स्टॉक के लिए भारतीय खाद्य निगम द्वारा चावल की खरीद की गई. जिसमें चावल की खरीद में 4.4% की गिरावट आई है, जिससे चिंता बढ़ गई है. 01 अक्टूबर को खरीदारी सत्र शुरू होने के बाद से 15 नवंबर तक सालाना आधार पर 4.4 प्रतिशत घटकर 161.3 लाख टन रह गया. अक्टूबर के अंत में यह पिछले साल की तुलना में 9 प्रतिशत कम था.
दरअसल यह पिछले पखवाड़े में की गई अधिक खरीदारी की वजह से अंतर थोड़ा कम हो गया है. वहीं नवंबर की पहली छमाही में, सेंट्रल पूल के लिए 57.77 लाख टन चावल खरीदा गया, जो पिछले वर्ष की समान अवधि में 54.62 लाख टन से मामूली वृद्धि है.
सरकार का लक्ष्य 2023-24 सीजन में खरीफ में उगाई जाने वाली फसल से 521.27 लाख टन चावल खरीदने का है, जिससे खरीफ चावल उत्पादन में 4% की गिरावट के साथ 106.31 मिलियन टन रहने का अनुमान है.
धान के प्रमुख उत्पादक राज्यों में मॉनसून की कमी, 2023 में शुष्क अगस्त का धान की फसलों पर प्रभाव देखा गया. वहीं कई राज्यों में धान की दोबारा बुआई के कारण देरी से गिरावट दर्ज की गई है.
ये भी पढ़ें:- Toor Dal Farming: अरहर की खेती से अच्छी कमाई कर सकते हैं किसान, जानिए इसके बारे में सबकुछ
पंजाब में पहले महीने में सेंट्रल पूल स्टॉक में योगदान में 13 फीसदी की कमी के बावजूद, खरीद 108.7 लाख टन तक पहुंच गई है. वहीं हरियाणा ने 15 नवंबर को चावल की खरीद पूरी कर ली, जिसमें 38.91 लाख टन चावल खरीदा गया. इसके अलावा उत्तर प्रदेश में आधिकारिक खरीद में 34 फीसदी की गिरावट के साथ 1.57 लाख टन की गिरावट दर्ज की गई है. तमिलनाडु में चावल की खरीद पिछले साल की तुलना में 37 फीसदी कम यानी 3.63 लाख टन है. तेलंगाना की खरीद साल भर पहले के लगभग 4,000 टन से बढ़कर 2.26 लाख टन हो गई है. वहीं धान कटोरा से मशहूर राज्य छत्तीसगढ़ जिसने हाल ही में खरीद शुरू की है, वहीं पिछले 15 दिनों में 2.65 लाख टन रिकॉर्ड किया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में थोड़ा कम है.
जून में केंद्र सरकार ने धान के एमएसपी में 7 फीसदी की बढ़ोतरी की घोषणा की है, जो सामान्य किस्म के लिए 2,183 रुपये प्रति क्विंटल और 'ए' ग्रेड के लिए 2,203 रुपये प्रति क्विंटल है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today