अक्टूबर से अंडों का सीजन शुरू हो जाएगा. सीजन के दौरान अंडों पर ज्यादा से ज्यादा मुनाफा लेने के लिए पोल्ट्री फार्मर कई तरह के उपाय अपनाते हैं. इसी में से एक है मुर्गियों की छंटाई. सीजन शुरू होने से पहले ही कम अंडे देने वाली मुर्गियों की छंटाई कर उन्हें अलग कर दिया जाता है. अंडे की लागत का एवरेज रेट खराब न हो इसके लिए ऐसी मुर्गियों को अलग किया जाता है. क्योंकि पूरा दाना खाने के बाद भी ये मुर्गियां अंडे कम देती हैं. लेकिन अब आप सोच रहे होंगे कि छंटाई के बाद इन मुर्गियों का क्या किया जाता है.
इस तरह की मुर्गियों को बेचने के लिए दुकानदार ग्राहकों के साथ धोखाधड़ी करते हैं. ब्रॉयलर मुर्गे के बीच रखकर अंडे देने वाली छंटी हुई मुर्गी बेच दी जाती हैं. जबकि दोनों के बीच रेट में बड़ा अंतर होता है. लेकिन कुछ बिन्दुओं पर छोटी-छोटी पहचान कर छंटी हुई मुर्गियों को पहचाना जा सकता है.
इसे भी पढ़ें: खतरे में है सी फूड एक्सपोर्ट का किंग झींगा, महज तीन साल में ही घट गया 20 फीसदी दाम
पोल्ट्री एक्सपर्ट मनीष शर्मा ने किसान तक को बताया कि ब्रॉयलर चिकन वो है जो बाजारों में चिकन फ्राई, चिकन टंगड़ी, चिकन टिक्का और तंदूरी चिकन के नाम से बिकता है. चिकन बिरयानी भी इसी की बनती है. खासतौर पर चिकन करी के लिए घरों में भी यही बनाया जाता है. बाजार में आजकल ब्रॉयलर मुर्गे का थोक रेट 105 रुपये किलो से लेकर 120 रुपये तक चल रहा है.
वहीं लेयर मुर्गी अंडा देने के काम आती है. बाजार में जो सफेद रंग का छह से सात रुपये का अंडा बिकता है वो लेयर बर्ड का ही होती है. लेयर बर्ड का पालन सिर्फ और सिर्फ अंडे के लिए किया जाता है. दो से सवा दो साल तक यह अंडा देती है. इसके बाद इसे रिटायर कर दिया जाता है. जिसके चलते पोल्ट्री फार्म वाले इसे बहुत ही कम कीमत 15 से 25 रुपये किलो के रेट से चिकन बेचने वाले दुकानदारों को बेच देते हैं. ठेले पर चिकन बिरयानी और रेस्टोरेंट में चिकन करी बेचने वाले ज्यादातर इसी मुर्गी का इस्तेमाल करते हैं.
ये भी पढ़ें- Milk Production: दूध लेकर आता है मॉनसून का महीना, पशु को हुई परेशानी तो उठाना पड़ेगा नुकसान, जानें डिटेल
-लेयर बर्ड पतली-दुबली, पौने दो किलो वजन तक की होती है.
-ब्रॉयलर डेढ़ से तीन किलो वजन तक का होता है.
-लेयर बर्ड के शरीर पर चर्बी नहीं होती है.
-मोटा ताजी होने के चलते ब्रॉयलर के शरीर पर चर्बी होती है.
-लेयर बर्ड के शरीर पर घने पंख होते हैं.
-जबकि ब्रॉयलर के शरीर पर पंख बहुत ही कम होते हैं.
-लेयर के सिर पर लाल गहरे सुर्ख रंग की बड़ी सी झुकी हुई कलंगी होती है.
-ब्रॉयलर में बहुत छोटी कलंगी होती है. रंग भी थोड़ा दबा हुआ होता है.
-लेयर के पंजे यानि पैर पतले होते हैं.
-जबकि ब्रॉयलर के पंजे मोटे होते हैं.
-लेयर काफी फुर्तीली होती है. इसे खुला छोड़ दिया जाए तो पकड़ना मुश्किल होता है.
-जबकि वजनी और मोटा होने के चलते ब्रॉयलर दौड़ नहीं सकता है.
-कुक करने के दौरान लेयर का मीट अच्छी तरह से नहीं गलता है.
-वहीं ब्रॉयलर का मीट आसानी के साथ पक जाता है.
एक दिन की लेयर बर्ड (चूजा) 40 से 45 रुपये का आता है. 4.5 से 5 महीने की उम्र पर यह अंडा देना शुरू करती है. 19 से 20 महीने तक की मुर्गी 90 फीसद अंडा देती है. एक अंडा देने के लिए यह 125 से 130 ग्राम तक दाना खाती है. इस मुर्गी के अंडे से चूजा नहीं निकलता है. यह मुर्गी सालाना 315 मिलियन अंडे की पूर्ति कर रही हैं.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today