Organic Farming: इस शहर में चलेगी मोबाइल वैन, हर घर तक पहुंचेंगे ऑर्गेनिक फल, सब्जी और ताजा दूध-दही

Organic Farming: इस शहर में चलेगी मोबाइल वैन, हर घर तक पहुंचेंगे ऑर्गेनिक फल, सब्जी और ताजा दूध-दही

आजकल सेहत की फिक्र सबको है. हर कोई ऑर्गेनिक फल-सब्जी लेना चाहता है. मगर केमिकल फ्री फूड प्रोडक्ट्स के लिए किया क्या जाए? शिमला के लोगों को इस सवाल का जवाब मिल गया है क्योंकि यहां अब एक खास मोबाइल वैन प्रोग्राम शुरू किया गया है.

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Organic Farming: इस शहर में चलेगी मोबाइल वैन, हर घर तक पहुंचेंगे ऑर्गेनिक फल, सब्जी और ताजा दूध-दहीहिमाचल प्रदेश में शुरू किया गया मोबाइल वैन प्रोग्राम

सेहत को लेकर अब लोग पहले से कहीं ज्यादा सतर्क रहने लगे हैं. इस वजह से खान-पान के विकल्पों को लेकर भी ज्यादा खोज की जाती है. इसमें सामने आती है एक अहम जरूरत औऱ वो है केमिकल मुक्त खाद्य पदार्थ. कई रिसर्च और शोध ये बता चुके हैं कि खेती में केमिकल्स के इस्तेमाल से हमारे खान-पान के जरिए ही शरीर में कई बीमारियों भी घर करने लगी हैं. यही वजह भी है कि अब लोग ऑर्गेनिक फूड को तरजीह देते हैं. हालांकि कई बार ये समस्या सामने आती है कि सही ऑर्गेनिक फूड खरीदा कहां से जाए.

ऑर्गेनिक और केमिकल फ्री खेती और खान-पान को प्रमोट करने के लिए हिमाचल प्रदेश में एक अहम कदम उठाया गया है. अब यहां एक मोबाइल वैन चलेगी जो घर-घर तक ऑर्गेनिक फल और सब्जी पहुंचाएगी. प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना (PK3Y) के तहत इस मोबाइल वैन प्रोग्राम को शुरू किया जा रहा है. हिमाचल प्रदेश काफी समय से खेती-किसानी में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य को लेकर आगे बढ़ रहा है. खेती में केमिकल्स का कम इस्तेमाल होने और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने से ताकि खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी.  

ये मोबाइल वैन कैसे करेगी काम

खेत से सीधे आपकी प्लेट तक ऑर्गेनिक फूड पहुंचाने के लिए ये मोबाइल वैन चलाई गई है. इस मोबाइल वैन में प्राकृतिक तरीके से उगाए गए फल, सब्जी और अनाज के अलावा ताजा डेयरी प्रोडक्ट्स भी होंगे. ये सभी चीजें सीधे किसानों से ली गई होंगी. हर शुक्रवार को ये मोबाइल वैन केमिकल फ्री फल, सब्जी, अचार, घी, दूध, पनीर लेकर शिमला की जानी-मानी जगहों पर पहुंचेगी. इन जगहों में छोटा शिमा, समरहिल स्थित HPU कैंपस और बॉइलुगंज स्थित कृषि भवन शामिल है.

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200 किसान होंगे शामिल

इस मोबाइल वैन प्रोग्राम को सुचारु रूप से चलाने में लगभग 200 किसान शामिल हैं. ये वे किसान हैं जो प्राकृतिक तरीके से खेती कर रहे हैं. इस प्रोजेक्ट के डायरेक्टर हेमिस नेगी का कहना है कि फिलहाल इसे एक पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया गया है. यदि यह सफल रहता है तो इसे शिमला के अलावा हिमाचल प्रदेश के अन्य जिलों में भी शुरू किया जाएगा. 

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5 साल पहले शुरू हुई थी मुहिम

बता दें कि हिमाचल प्रदेश में PK3Y की नींव 5 साल पहले रखी गई थी. इसका उद्देश्य प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देकर लोगों को सुरक्षित और पोषणयुक्त आहार उपलब्ध करवाना था. पांच सालों के दौरान प्राकृतिक खेती से जुड़े तरीकों को 1.70 लाख किसान अपना चुके हैं. नतीजतन अब प्रदेश के 24 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में प्राकृतिक तरीके से खेती हो रही है. 

 


 

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