3 रुपये किलो के भाव से गोबर खरीद रही राज्‍य सरकार, सीधे किसानों-पशुपालकों के खाते में पहुंच रहा पैसा

3 रुपये किलो के भाव से गोबर खरीद रही राज्‍य सरकार, सीधे किसानों-पशुपालकों के खाते में पहुंच रहा पैसा

देश के विभ‍िन्‍न राज्‍यों में किसानों की आय बढ़ाने के लिए अलग-अलग प्रकार की योजनाएं चलाकर किसानों की आय बढ़ाने की कोशशि की जा रही है. इस बीच, हि‍माचल प्रदेश में राज्‍य सरकार ने गोबर समृद्धि योजना चलाई है, जिसके तहत किसानों से 300 रुपये प्रति क्विंटल के भाव से गोबर खरीदा जा रहा है.

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3 रुपये किलो के भाव से गोबर खरीद रही राज्‍य सरकार, सीधे किसानों-पशुपालकों के खाते में पहुंच रहा पैसाहिमाचल प्रदेश में गोबर से कमाई

हि‍माचल प्रदेश में सरकार विभ‍िन्‍न योजनाओं के माध्‍यम से किसानों और पशुपालकों की आय बढ़ाने का काम कर रही है. इस बीच, किसानों और पशुपालकों की इनकम बढ़ाने के लिए राज्य सरकार ने गोबर समृद्धि योजना की शुरुआत की है. इस योजना के तहत किसानों से 3 रुपये किलोग्राम की दर से गोबर खरीदा जाता है यानी एक क्विंटल पर 300 रुपये. मंडी समेत कई जिलों में योजना के तहत गोबर की खरीद भी शूरू हो चुकी है. मुख्यमंत्री कृषि प्रोत्साहन योजना के तहत गोबर समृद्धि योजना चलाई जा रही है. इसके उद्येश्‍यों में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करना और पशुधन के महत्‍व को लेकर जागरूकता बढ़ाना शामिल है.

सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में पहुंच रहे पैसे

गोबर समृद्धि योजना के तहत किसानों और पशुपालकों के पास सीधे कृषि विभाग को गोबर बेचने की सुवि‍धा है और उन्‍हें पैसे के लिए दफ्तर भी नहीं आना पड़ेगा, क्‍योंकि यह डीबीटी (डायरेक्‍ट बेन‍िफिट ट्रांसफर) इनेबल स्‍कीम है. इस वजह से गोबर बेचने के बाद किसानों के खाते में सीधा इसका पैसा पहुंच जाता है. योजना से पशुपालकों की आर्थिक स्थिति सुधरने के साथ ही टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा मिलेगा.

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महिलाओं के खाते में पहुंचे 2400 रुपये

राज्‍यभर में कई लोग योजना के तहत कृष‍ि विभाग को गोबर बेच चुके है, जिसकी राशि भी उनके खाते में जमा आ चुकी है. मंडी के कसोग क्षेत्र में दो ग्रामीण मह‍िलाओं ने करीब 8 क्विंटल गोबर बेचा और दोनों के खाते में कुल 2400 रुपये भी पहुंच गए. एक अन्‍य लाभार्थी किसान ने 4 क्विंटल गोबर बेची और खाते में 1,200 रुपये पहुंच गए. 

योजना से न स‍िर्फ किसानों को आर्थिक लाभ मिल रहा है, बल्कि प्राकृतिक खाद के इस्तेमाल को भी बढ़ावा मिल रहा है. एक किसान ने कहा कि इससे जैविक खाद और वर्मीकम्पोस्ट का उत्पादन बढ़ रहा है, जिससे रासायनिक खादों पर निर्भरता कम होगी.

सरकारी खेताें में सिर्फ प्राकृतिक खेती

वहीं, 10 जनवरी को एक महत्‍वूपर्ण फैसला लेते हुए मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कृषि विभाग की समीक्षा बैठक में विभाग के अधिकारियों को प्रदेश में प्राकृतिक खेती से गेहूं व मक्की उगाने वाले क्षेत्रों की मैपिंग करने के निर्देश दिए है. प्रदेश में कृषि विभाग के सभी खेतों को सिर्फ प्राकृतिक खेती पद्धति से ही खेती करने के लिए विकसित किया जाएगा.

आगामी वर्ष से इन सभी में प्राकृतिक खेती की जाएगी. यहां प्राकृतिक खेती करने के लिए बीजों का उत्पादन किया जाएगा. उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती से उत्पादित गेहूं और मक्का के भंडारण के लिए हाई एंड तकनीक से भंडारण केन्द्र का निर्माण किया जाएगा. आगामी वर्ष में एक लाख परिवारों को प्राकृतिक खेती से जोड़ा जाएगा.

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