चीन-अमेरिका जैसे देश भी झींगा उत्पा़दन करते हैं. इक्वाडोर की गिनती सबसे ज्यादा झींगा उत्पादन करने वाले देशों में होती है. लेकिन स्वाद के चलते भारतीय झींगा की डिमांड हर देश में होती है. झींगा उत्पाादन में भारत का स्थान विश्व में दूसरा है. वैसे तो देश के सात से ज्यादा राज्यों में झींगा का उत्पादन होता है, लेकिन सबसे ज्यादा झींगा आंध्रा प्रदेश में होता है. आंध्रा प्रदेश का कलिंगा पट्टिनम इलाका अकेले सालभर में 10 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का झींगा एक्सपोर्ट करता है.
बॉयो सिक्योरिटी का पालन करने के साथ ही कई आधुनिक तकनीकों को अपनाते हुए कलिंगा पट्टिनम में एक हजार एकड़ से ज्यादा एरिया में झींगा पालन किया जा रहा है. ये खारे पानी का झींगा है. हाल ही में मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय में मत्स्यपालन विभाग के सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी ने कलिंगा पट्टिनम का दौरा किया था. ये इलाका श्रीकाकुलम जिले में आता है.
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झींगा पालन को और बढ़ावा देने और झींगा पालकों की समस्याओं को जानने के लिए डॉ. अभिलक्ष लिखी ने ये दौरा किया था. डॉ. लिखी ने बताया कि कलिंगा पट्टिनम में मौजूदा वक्त में झींगा पालन करीब एक हजार एकड़ से ज्यादा एरिया में हो रहा है. इस इलाके की सबसे बड़ी खासियत ये है कि ये थोड़ा ऊंचाई पर है. जो झींगा पालन के लिए बहुत फायदेमंद है. ये इलाका कई एक्वा फीड कंपनियों के साथ भी अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है.
यहां के सभी फार्म में हाई बॉयो सिक्योरिटी का पालन किया जाता है. ये एरिया श्रीकाकुलम सागर तट के पास स्थित है. यहां हर साल करीब 40 हजार टन झींगा का उत्पादन होता है. खासतौर पर 20 ग्राम वजन के झींगा का उत्पादन किया जाता है. ज्यादातर झींगा एक्सपोर्ट किया जाता है. जिससे सालाना 10 हजार करोड़ रुपये की कमाई होती है. यहां छह हजार के करीब लोग सभी तरीकों से रोजगार पाते हैं.
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डॉ. लिखी का कहना है कि यहां सबसे ज्यादा झींगा उत्पादन करने वाली प्रमुख फार्म ओवजन्या एक्वटिक्स है, जो श्रीकाकुलम जिले के गारा मंडल के टोनंगी गांव में है. इस फार्म को प्रगतिशील किसान दतला वेंकट लक्ष्मीपति राजू देखते हैं. झींगा उत्पादक किसानों ने डॉ. लिखी को बताया कि यहां झींगा उत्पादन के लिए बायो-फ्लॉक तकनीक के साथ 4-चरणीय खेती की नई तकनीक भी अपनाई जा रही है. तालाबों में ऑटो फीडर, जल निकासी और कीचड़ हटाने, आईओटी पर आधारित पानी की क्वालिटी की निगरानी की जाती है.
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