पिछले कुछ वर्षों में मौसम में बहुत ज्यादा बदलाव देखने को मिला है. कभी बारिश तो कभी अचानक से तेज ठंड पड़ने लगती है, कभी ओले गिरने लग जाते हैं, तो कभी कोहरा गिरता है. देखा जाए तो पहले की तरह किसी भी मौसम का कोई निश्चित समय अब नहीं रह गया है. ऐसे में इस जलवायु परिवर्तन के बीच किसानों के लिए एक बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है. इसी को ध्यान में रखते हुए हरियाणा सरकार ने राज्य के 36 ब्लॉकों के 1,669 गांव में जलवायु-स्मार्ट कृषि की शुरुआत की है. वहीं इसके परिणाम महज एक वर्ष के अंदर दिखाई देने लगा है. परिणाम उत्साहजनक हैं, क्योंकि सरकार कह रही है कि सूक्ष्म सिंचाई से फलों और सब्जियों की उपज में 52 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, अटल भूजल योजना कार्यक्रम के तहत हरियाणा सरकार ने 19,517 लाभार्थियों को 58,000 एकड़ में ड्रिप, मिनी-स्प्रिंकलर और पोर्टेबल-स्प्रिंकलर सिस्टम इस्तेमाल करने के लिए 179.39 करोड़ रुपये की सहायता प्रदान की है. वहीं जहां पानी की गहराई 100 फीट से कम हो गई है और सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली स्थापित करना अनिवार्य है.
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माइक्रो इरिगेशन एंड कमांड एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (MICADA) के तहत एक लाख एकड़ में सूक्ष्म सिंचाई स्थापित करने के लिए इस वित्तीय वर्ष में 450 करोड़ रुपये की सब्सिडी प्रदान की जा रही है, जिसे जलस्रोतों के पुनर्वास के लिए दिसंबर 2020 में काम आवंटित किया गया था. पहले यह काम सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग कर रहा था.
कई जल स्रोत अधिक प्रदूषित हो रहे हैं, और पानी प्रदान करने वाले पारिस्थितिक तंत्र खत्म हो रहे हैं, वहीं सरकार सूक्ष्म सिंचाई के लिए उपचारित खराब जल का उपयोग करने का विकल्प प्रदान करती है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार एक आधिकारिक प्रवक्ता ने रविवार को बताया कि लगभग 500 करोड़ रुपये की लागत वाले कम से कम 22 कार्य प्रगति पर हैं और जून 2024 से पहले पूरा होने की संभावना है.
वहीं वर्तमान में, राज्य में 170 सीवेज उपचार प्लांट और सामान्य अपशिष्ट उपचार प्लांट स्थापित किए गए हैं, जो प्रति दिन 1,985 मिलियन लीटर अपशिष्ट जल तैयार करते हैं. आज की तारीख में 187 एमएलडी उपचारित पानी का उपयोग गैर-पीने के उद्देश्यों के लिए किया जा रहा है.
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सरकार का अनुमान है कि 2.5 लाख एकड़ से अधिक गन्ने की खेती के साथ एक किलो चीनी उत्पादन के लिए 2,000 लीटर पानी की आवश्यकता होती है. पानी लगाव सिंचाई के माध्यम से गन्ने की खेती के लिए आवश्यक कुल मीठे पानी की आवश्यकता प्रति फसल चक्र 1.78 करोड़ लाख लीटर तक हो सकती है. पारंपरिक पानी लगाव सिंचाई के बजाय सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली का उपयोग करके पानी की आवश्यकता को अनुकूलित किया जा सकता है और अध्ययनों से पता चलता है कि चीनी की उत्पादकता दर सूक्ष्म सिंचाई आधारित फसलों में संभावित रूप से एक प्रतिशत तक बढ़ सकती है.
मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने पिछले सप्ताह 2023-24 के अपने बजट भाषण में सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली के साथ गन्ने की खेती के तहत तीन साल में दो लाख एकड़ जमीन को कवर करने का प्रस्ताव दिया था. इस बजट में 2023-24 के लिए सिंचाई और जल संसाधनों के लिए 6,598 करोड़ रुपये आवंटित करने का प्रस्ताव है, जो चालू वर्ष के संशोधित अनुमानों से 29.2 प्रतिशत अधिक है.
सिंचाई की जरूरतों को पूरा करने और इनपुट लागत को कम करने के लिए सरकार प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान (PM-Kusum) के तहत 30 प्रतिशत केंद्रीय वित्तीय सहायता सहित 75 प्रतिशत सब्सिडी के साथ तीन से 10 एचपी क्षमता के सौर पंपों की स्थापना के लिए एक योजना लागू कर रही है.
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