फलों के राजा कहे जाने वाले महाराष्ट्र के आम का स्वाद अब विदेशियों को भी चखने को मिलेगा. विदेश में भारतीय आम की ज्यादा मांग है इसलिए बारामती कृषि उपज मंडी समिति रेनबो इंटरनॅशनल एक्सपोर्ट ने आम का निर्यात करना शुरू कर दिया है. खास बात यह है कि महाराष्ट्र के कोंकण से देवगढ़ हापुस, केसर और बादाम जैसे आम विदेशों में सबसे ज्यादा पसंद किए जा रहे हैं. बारामती कृषि उपज मंडी समिति की तरफ से अब तक ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और इंग्लैंड को हवाई जहाज से 120 टन आम भेजी जा चुकी है.
बाजार समिति ने इस सीजन में बेमौसम बारिश की वजह से आम की कम आवक ज्यादा नहीं हो रही है, इसके बावजूद 700 टन आम के निर्यात का लक्ष्य रखा है. बारामती कृषि उपज मंडी समिति निर्यात योग्य आम उत्पादकों का आधार बन गई है. इस साल बारामती से महाराष्ट्र के देवगढ़ हापुस और कर्नाटक में बादाम का निर्यात बड़ी मात्रा में किया जा रहा है. अब तक इंग्लैंड, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया को 120 टन आम का निर्यात किया जा चुका है.
आम के निर्यात के लिए 230 ग्राम वजन वाले हापुस, 230 ग्राम केसर और 250 ग्राम वजन के बादाम का चयन किया जा रहा है. इंग्लैंड को निर्यात किए गए फलों को हॉट वॉटर ट्रिटमेंट दिया जाता है और अमेरिका को निर्यात किए गए फलों को विभिन्न मानदंडों पर परीक्षण के बाद 'विकिरण उपचार' के अधीन किया जाता है. फिर इस आम को पैक करके आकर्षक तरीके से निर्यात किया जाता है.
सुभाष पोवार, रेनबो इंटरनेशनल के प्रबंधक ने कहा, “इस साल आम का कम उत्पादन होने के बावजूद बारामती कृषि उपज मंडी समिति ने 700 टन आम के निर्यात का लक्ष्य रखा है. निर्यात 15 जून तक जारी रहेगा. इसलिए निर्यात योग्य आम उत्पादकों को इसका लाभ मिलेगा. इसके अलावा महाराष्ट्र के विभिन्न हिस्सों से आयातित आमों की ग्रेडिंग की जा रही है और आम की तेरह किस्मों को स्थानीय बाजार में मांग के अनुसार उपलब्ध कराया जा रहा है. नतीजतन, आम उत्पादकों को ज्यादा दाम मिलता है.
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नीलेश गवली, प्रबंधक ने कहा कि कोंकण का हापुस आम पतले छिलके वाला होता है. बढ़ते तापमान इस फल की गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं. गर्मी से फल जल जाता है, जिससे वह सिकुड़ जाता है. ऐसे पके फलों को निर्यात के लिए नहीं चुना जाता है. लेकिन इंसान की आंख भी खराब हुए फल को आसानी से नहीं पहचान पाती. इसके लिए पहली बार बारामती कृषि उपज मंडी समिति में आम की स्कैनिंग मशीन उपलब्ध कराई गई है. इस मशीन में आम को स्कैन किया जाता है और शक वाले फल को हटा दिया जाता है. नतीजतन, गुणवत्ता बनाए रखने में एक बड़ी मदद है. यह स्कैन मशीन आम के निर्यात के लिए उपयुक्त मानी जाती है. इसलिए बारामती आम की विदेशों में मांग है.
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इंग्लैंड - 43 टन
यूएस - 60 टन
ऑस्ट्रेलिया - 7 टन
यूरोप - 7
हापुस- 230 रुपए
केसर - 200 रुपए
बादाम 150 रुपए
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