दलहनी फसलों में ग्वार का भी विशेष योगदान है. इस फसल की खेती राजस्थान, गुजरात, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में प्रमुखता से की जाती हैं. इसके अलावा, भारत में ग्वार के क्षेत्रफल और उत्पादन की दृष्टि से राजस्थान राज्य अव्वल है. वहीं चक्रवात बिपरजॉय के कारण हुई प्रारंभिक और सरप्लस बारिश ने प्रमुख उत्पादक राज्य राजस्थान में ग्वार की बुआई को बढ़ावा दिया है. दरअसल, 13 जुलाई तक राजस्थान में 15.7 लाख हेक्टेयर रकबे में ग्वार की खेती हो चुकी थी, जो एक साल पहले के 13.3 लाख हेक्टेयर से 18 प्रतिशत अधिक है. वहीं, बुआई अभी भी जारी है और राजस्थान ने इस खरीफ में ग्वार की खेती के लिए 27 लाख हेक्टेयर का लक्ष्य रखा है, जो पिछले साल के 29.90 लाख हेक्टेयर से कम है.
वहीं राजस्थान में इस दक्षिण-पश्चिम मॉनसून सीजन में अब तक 107 फीसदी अधिक बारिश हुई है. राज्य में 1 जून से 17 जुलाई तक सामान्य बारिश 131.80 मिमी की तुलना में 272.50 मिमी बारिश हुई है.
कृषि विभाग के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, जिन जिलों में सबसे ज्यादा ग्वार की बुआई हुई है उनमें नागौर 1.09 लाख हेक्टेयर, बीकानेर 2.15 लाख हेक्टेयर, जैसलमेर 1.85 लाख हेक्टेयर, गंगानगर 1.68 लाख हेक्टेयर, हनुमानगढ़ 2.31 लाख हेक्टेयर, बाड़मेर 1.85 लाख हेक्टेयर और जोधपुर 1.15 लाख हेक्टेयर शामिल हैं. इसके अलावा, अजमेर, जयपुर, सीकर, भीलवाड़ा और पाली जिलों में भी ग्वार की बुआई बड़े पैमाने पर हुई है.
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बता दें कि ग्वारसीड से निकाले गए ग्वारगम का इस्तेमाल खाने में, कागज और कपड़ा इंडस्ट्री में होता है. इसके अलावा, सबसे अधिक डिमांड कच्चा तेल उत्पादन करने वाली कंपनियों की ओर से आती है.
मौजूदा वक्त में जोधपुर में ग्वारगम की हाजिर कीमतें 11,683 पर कारोबार कर रही हैं, जबकि ग्वारसीड की कीमतें 5,758 रुपये प्रति क्विंटल हैं. एनसीडीईएक्स पर, ग्वारसीड जुलाई वायदा 4.6 प्रतिशत बढ़कर 11,540 रुपये पर और सितंबर वायदा 1.91 प्रतिशत बढ़कर 5,830 रुपये था.
2022-23 के दौरान ग्वारगम का निर्यात 38 प्रतिशत बढ़कर 617 मिलियन डॉलर हो गया है, जो पिछले वर्ष 446 मिलियन डॉलर था. मूल्य के संदर्भ में, निर्यात मात्रा 26 प्रतिशत बढ़कर 4.06 लाख टन हो गया है, जो 2021-22 में 3.21 लाख टन से अधिक था.
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चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-मई अवधि के दौरान, ग्वार गम निर्यात एक साल पहले के 66,867 टन के मुकाबले कम होकर 65,332 टन रहा. मूल्य के संदर्भ में, ग्वार गम निर्यात एक साल पहले के 112 मिलियन डॉलर से एक तिहाई घटकर 75 मिलियन डॉलर रह गया.
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