कच्चे सोयाबीन तेल और सूरजमुखी तेल के आयात पर अभी कोई कस्टम ड्यूटी नहीं लग रही है. इन दोनों तेलों पर किसी तरह का इंफ्रास्ट्रक्चर और डेवलपमेंट सेस भी नहीं लिया जा रहा है. कच्चे तेलों पर यह छूट 30 जून तक जारी रखी गई है. इसके बारे में सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्सेस (CBIC) ने एक नोटिफिकेशन जारी की है. कहा जा रहा है कि इस फैसले से उपभोक्ताओं को फायदा होगा क्योंकि ड्यूटी नहीं लगने से महंगाई को कम करने में मदद मिलेगी. आयात पर कस्टम ड्यूटी लगने से दाम बढ़ जाता है और खुदरा बाजार में इसका प्रभाव और भी गंभीर देखा जाता है. लिहाजा आम लोगों को महंगाई से राहत देने के लिए आयात पर कस्टम ड्यूटी को अभी जीरो रखा गया है.
सरकार इस तरह के फैसले इसलिए लेती है ताकि तेलों के दाम को काबू में रखा जा सके. हाल के महीनों में जिस तरह से खाद्य तेलों की महंगाई देखी गई, उसे कम करने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं. उसी में एक है कच्चे खाद्य तेलों के आयात पर कस्टम ड्यूटी को शून्य रखना. हालांकि इसी साल जनवरी और मार्च में सरकार ने टीआरक्यू के तहत कच्चे सोयाबीन और सूरजमुखी तेल के आयात पर प्रतिबंध लगाया था. यह प्रतिबंध इसलिए लगाया गया ताकि देश में उत्पादन किए जाने वाले कच्चे तेल की मांग न गिरे. लेकिन घरेलू बाजारों में जैसे-जैसे दाम बढ़ने शुरू हुए, सरकार ने उसी हिसाब से आयात की मंजूरी दी.
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इस मंजूरी के साथ ही सरकार ने कच्चे सूरजमुखी और सोयाबीन तेल के आयात पर कस्टम ड्यटी को शून्य किया. एक दिन पहले ही सीबीडीसी की ओर से इसकी अधिसूचना जारी की गई. इसके साथ ही एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट सेस को भी जीरो किया गया. इससे पहले सरकार ने एक फैसले में देश में 20 लाख मीट्रिक टन कच्चे सोयाबीन और सूरजमुखी तेल के आयात पर कस्टम ड्यूटी को जीरो किया था.
भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता और नंबर एक खाने के तेलों का आयातक है, और यह अपनी आवश्यकता का 60 प्रतिशत आयात से पूरा करता है. इसका एक बड़ा हिस्सा पाम ऑयल और इसके डेरिवेटिव हैं, जो इंडोनेशिया और मलेशिया से आयात किए जाते हैं. जब दुनिया के बाजारों में तेलों के दाम बढ़ते हैं तो आयात भी महंगा हो जाता है. पिछले एक साल से यही स्थिति देखी जा रही है जिसमें तेलों के भाव में तेजी रही. उसे कम करने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए जिनमें एक कदम आयात पर टैक्स को शून्य करना भी है. इसी के साथ एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर सेस भी शून्य कर दिया गया है.
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सरकार के इन कदमों से खाद्य तेलों के दाम घटाने में मदद मिली है. तेलों के दाम में गिरावट देखी जा रही है. देश में तिलहन की आवक बढ़ने से भी तेलों के दाम गिर रहे हैं. इसमें सबसे प्रमुख है सरसों तेल. पिछले साल से सरसों तेल के भाव बढ़े हुए थे, लेकिन इस बार सरसों की बंपर पैदावार हुई है और मंडियों में भी जमकर खरीद हो रही है. नई आवक आने से सरसों तेल के दाम तेजी से नीचे गिर रहे हैं.
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