फसल नुकसान होने की स्थिति में किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के तहत वित्तीय सहायता मिलती है. वहीं इस खरीफ सीजन में फसल बीमा योजना के तहत रजिस्टेशन की अंतिम तारीख 31 जुलाई 2023 है. हालांकि, पीएमएफबीवाई के तहत हरियाणा में किसानों के द्वारा फसलों के बीमा कराने में गिरावट दर्ज की जा रही है. वहीं, गिरावट की शुरुआत 2020-21 से हुई, जब कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब और हरियाणा में आंदोलन शुरू हुआ, जिन्हें बाद में रद्द कर दिया गया. दरअसल, 21 जुलाई को राज्यसभा सांसद प्रभाकर रेड्डी वेमिरेड्डी के एक सवाल के जवाब में कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार खरीफ 2019 में, हरियाणा में 8.2 लाख किसानों ने पीएमएफबीवाई के तहत बीमा करवाया था, जो कि 8.3 प्रतिशत की वृद्धि के साथ, खरीफ 2020 में बढ़कर 8.88 लाख हो गया. हालांकि, ख़रीफ़ 2021 में यह संख्या 16.7 प्रतिशत की गिरावट के साथ 7.40 लाख तक गिर गई. वहीं खरीफ 2022 में यह थोड़ा सुधरकर 7.42 लाख हो गया.
इसी तरह, रबी 2019-20 में 8.91 लाख किसानों ने बीमा करवाया था, जो रबी 2020-21 में 14.5 प्रतिशत की गिरावट के साथ 7.62 लाख रह गए. वहीं रबी 2021-22 में संख्या गिरकर 7.17 लाख हो गई, जो पिछले वर्ष से 5.9 प्रतिशत कम है. रबी 2022-23 में योजना के तहत किसानों की संख्या गिरकर 6.54 लाख हो गई है, जो पिछले वर्ष से 8.8 प्रतिशत कम है. ऐसे में आइए जानते हैं किसान क्यों नहीं करा रहे हैं अपनी फसलों का बीमा-
ट्रिब्यून इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, पीएमएफबीवाई को न चुनने के कारणों के रूप में राज्य सरकार के मुआवजे पर निर्भरता के अलावा, मुआवजे में देरी और फसल सर्वे में नुकसान के कम क्षेत्रों को दर्ज करने की शिकायतें आई हैं.
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गौरतलब है कि पिछले दिनों देशभर में बीमा कंपनियों के खिलाफ कई शिकायतें मिली थीं. ये मुद्दे भुगतान न करने और क्लेम के विलंबित भुगतान से संबंधित थे; बैंकों द्वारा बीमा प्रस्तावों को गलत/विलंबित रूप से प्रस्तुत करने के कारण क्लेम राशि कम भुगतान, उपज डेटा में अंतर, राज्य सरकार के हिस्से की धनराशि उपलब्ध कराने में देरी, बीमा कंपनियों द्वारा पर्याप्त कर्मियों की तैनाती न करना आदि.
वहीं योजना के तहत एकत्र किए गए प्रीमियम और भुगतान किए गए दावों के संबंध में, तोमर ने बीजेडी सांसद सस्मित पात्रा के एक सवाल के जवाब में कहा कि हरियाणा में 2018-19 में 841.18 करोड़ रुपये का प्रीमियम एकत्र किया गया था, जबकि वितरित क्लेम 948.31 करोड़ रुपये से अधिक थे. जबकि, 2019-20 में 1,275.56 करोड़ रुपये का प्रीमियम एकत्र किया गया, जबकि भुगतान किए गए क्लेम 937.86 करोड़ रुपये थे.
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2020-21 में भी 1,309.45 करोड़ रुपये प्रीमियम एकत्र किया गया था, जबकि क्लेम में 1,249.94 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था. इसी प्रकार 2021-22 में प्रीमियम के रूप में 1,208.76 करोड़ रुपये लिए गए, जबकि क्लेम में 1,681.37 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया. हालांकि, 2022-23 में 1,276.99 करोड़ रुपये प्रीमियम था, जबकि क्लेम में 629.31 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था.
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