Farm Loan: क्या आपको पता है किस राज्य के किसान सबसे अधिक कर्जदार हैं? नहीं पता है तो हम आपके बता देते हैं. आप जैसे ही उस राज्य का नाम सुनेंगे, चौंक जाएंगे क्योंकि वह राज्य खेती के लिहाज से अव्वल है. उस राज्य का गेहूं और चावल देश क्या, पूरी दुनिया में मशहूर है. चलिए नाम से पर्दा उठाते हैं-उसका नाम है पंजाब. जी हां, एक रिपोर्ट के मुताबिक, पंजाब के हर किसान के माथे पर संस्थागत कर्ज (बैंक आदि का कर्ज) पूरे देश में सबसे अधिक है और इसकी राशि 2.95 लाख रुपये है. यानी हर किसान के सिर पर 2.95 लाख रुपये का कर्ज है. रिपोर्ट में कहा गया है कि पंजाब के 24,92,663 किसानों ने 73,673.62 करोड़ का लोन लिया है. ये लोन कमर्शियल, को-ऑपरेटिव और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों से लिए गए हैं.
ये लोन उस कर्ज के अलावा है जो किसानों ने गैस संस्थागत स्रोत जैसे सेठ-साहूकार और कमीशन एजेंट्स से लिए हैं. 'दि ट्रिब्यून' ने इसकी जानकारी दी है. इन प्राइवेट लोगों या प्राइवेट संस्थाओं से किसानों ने कितना लोन लिया है, इसकी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है. परेशानी वाली बात ये है कि सेठ-साहूकारों और प्राइवेट संस्थाओं से लिया लोन किसानों पर भारी पड़ता है क्योंकि उसका ब्याज बहुत अधिक होता है. एक अनुमान के मुताबिक, बैंक से और सेठ-साहूकारों के लोन को मिला दिया जाए तो पंजाब के किसानों के माथे पर एक लाख करोड़ रुपये के आसपास लोन है.
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इस बारे में एक आंकड़ा नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट ने जारी किया है. इस आंकड़े को सोमवार को लोकसभा में वित्त राज्यमंत्री ने पेश किया है. इसमें कहा गया कि 21.42 लाख किसानों ने 64,694 करोड़ रुपये का लोन कमर्शियल बैंक से लिया है. इसके अलावा 50,635 किसानों ने 1130 करोड़ का लोन सहकारी बैंकों से लिया है जबकि ग्रामीण बैंकों ने 2.99 लाख किसानों को 7849.46 करोड़ रुपये का लोन दिया है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि सबसे अधिक 1.47 लाख करोड़ का लोन राजस्थान में लिया गया है, लेकिन संस्थागत लोन सबसे अधिक पंजाब में है. इसके बाद गुजरात का नाम आता है जहां 2.28 लाख करोड़ का लोन है. उसके बाद हरियाणा है जहां 2.11 लाख और आंध्र प्रदेश में 1.72 लाख का लोन है.
“पंजाब के किसानों पर यह बढ़ता कर्ज केवल उनकी वित्तीय परेशानियों को बढ़ाएगा. डर है कि यह किसानों को आर्थिक बर्बादी की ओर ले जा सकता है और अधिक लोन के कारण आत्महत्या के बढ़ते मामलों को बढ़ा सकता है. सरकार को इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करना चाहिए.”अर्थशास्त्री आरएस घुमन ने कहा. घुमन कहते हैं कि इसमें बुरी बात ये है कि किसानों को लोन उनकी फसलों के दाम को देखकर नहीं बल्कि जमीन के रेट के हिसाब से दिया गया है.
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भारी कर्ज के बोझ और कर्ज चुकाने में असमर्थता के कारण पंजाब में किसानों की आत्महत्याएं देश में सबसे ज्यादा हैं. ऐसे में पिछली कांग्रेस सरकार फसल लोन माफी योजना लेकर आई थी. हालांकि कांग्रेस 2017 में किसानों की कर्जमाफी के वादे पर सत्ता में आई, लेकिन वह 4,624 करोड़ रुपये का कर्ज माफ कर केवल 5.84 लाख किसानों को राहत दे सकी. इससे अधिसंख्य किसान लाभान्वित नहीं हो सके.
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