Explainer: क्या है कुरुक्षेत्र में छिड़ी किसानों की महाभारत का पूरा मामला, 5 पॉइंट में पूरा गणित यहां पढ़ें

Explainer: क्या है कुरुक्षेत्र में छिड़ी किसानों की महाभारत का पूरा मामला, 5 पॉइंट में पूरा गणित यहां पढ़ें

एमएसपी पर सूरजमुखी की खरीद की मांग को लेकर हरियाणा में किसान लगातार आंदोलनरत हैं. किसानों ने तीसरे दिन भी आंदोलन जारी रखने का फैसला किया है. 12 जून को बड़ी रैली का भी ऐलान किया गया.

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Explainer: क्या है कुरुक्षेत्र में छिड़ी किसानों की महाभारत का पूरा मामला, 5 पॉइंट में पूरा गणित यहां पढ़ेंहरियाणा में किसान आंदोलन का आज तीसरा दिन, 12 जून को होगी बड़ी रैली

हरियाणा सरकार ने 30 मई को सूरजमुखी की खेती कर रहे किसानों के लिए एक अहम फैसला लिया. जिसके तहत सूरजमुखी को ओपन मार्केट में बेचने वाले किसानों को 1000 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर मदद करने का फैसला लिया गया. सरकार के इस फैसले के बाद ऐसा लगने ही वाला था कि अब सरकार और किसानों के बीच अब सब ठीक होगा तब तक भारतीय किसान यूनियन ने सरकार के इस फैसले पर एतराज जताया. यूनियन के मुताबिक सरकार अगर पिछले वर्षों की तरह MSP पर खरीद करे तो इसका सीधा फायदा क‍िसानों को मिलेगा. लेकिन अब तक हरियाणा सरकार इस फैसले के हक़ में नहीं दिखाई दे रही है.

जिस वजह से यह आंदोलन हर बढ़ते दिन के साथ रौद्र रूप लेता नजर आ रहा है. हरियाणा के किसानों ने राज्य सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. सरकार के खिलाफ देश के किसानों का यह आक्रोश कोई पहली बार देखने को नहीं मिला है.

इससे पहले भी कृषि कानून और अन्य छोटे-बड़े मुद्दों को लेकर किसान और सरकार के बीच मनमुटाव होता रहा है. ऐसे में कुरुक्षेत्र में छिड़ी किसानों की महाभारत का पूरा मामला क्या है इन 5 पॉइंट में समझिए. 

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5 पॉइंट में समझिए क्या है पूरा मामला

  • क‍िसान आंदोलन की जड़ में 30 मई 2023 का वो आदेश है ज‍िसमें हर‍ियाणा सरकार ने सूरजमुखी को भावांतर भरपाई योजना में शाम‍िल कर ल‍िया. कृष‍ि व‍िभाग ने सूरजमुखी बेचने वाले क‍िसानों को 1000 रुपये प्रत‍ि क्विंटल की दर से मदद करने का एलान क‍िया. हालांक‍ि, क‍िसानों का आरोप है क‍ि सरकार इस योजना की आड़ में एमएसपी पर सूरजमुखी की खरीद बंद करना चाहती है.
  • हर‍ियाणा में सूरजमुखी का दाम 4200 रुपये प्रति क्विंटल तक ही चल रहा है. जबक‍ि इसका एमएसपी 6400 रुपये है. ऐसे में भावांतर योजना के तहत 1000 रुपये प्रत‍ि क्विंटल की सहायता म‍िलने के बावजूद क‍िसानों को 1200-1400 रुपये प्रत‍ि क्विं टल का घाटा होगा. इसल‍िए क‍िसान सूरजमुखी की खरीद एमएसपी पर ही करने की मांग कर रहे हैं.
  • भावांतर भरपाई योजना किसानों के लिए सिरदर्द साबित हुई है. बाजरा खरीद के समय सरकार ने एमएसपी पर खरीदने की जगह 500 रुपये प्रत‍ि क्विंटल की सहायता की बात कही थी. उस समय बाजरा का एमएसपी 2350 रुपये क्विंटल था और बाज़ार भाव केवल 1200-1300 रुपये था. इस तरह भावांतर की वजह से 650 रुपये प्रत‍ि क्विंटल का नुकसान हो गया था. सरकार जो 500 रुपये प्रत‍ि क्विंटल की मदद दे रही थी वह रकम भी क‍िसानों को एक साल बाद म‍िली. किसान एक तरफ एमएसपी से वंच‍ित रहा और दूसरी तरफ भावांतर से क‍िसानों के नुकसान की भरपाई नहीं हो पाई. इसल‍िए क‍िसानों को इस योजना पर भरोसा नहीं है.
  • यून‍ियन ने कहा है क‍ि भावांतर योजना को जबरदस्ती लागू होने से किसानों को एमएसपी खत्म होने का डर सताने लगा है. आने वाले समय में गेहूं और धान पर भी इसी प्रकार की व्यवस्था लागू कर सरकार उसकी एमएसपी को समाप्त करना चाहती है. इसलिए किसानों में इसके ख‍िलाफ रोष है.
  • किसी फसल को भावंतर भरपाई योजना के तहत शामिल कर जब सरकार उसे एमएसपी पर खरीद से पीछे हट जाती है तो निजी व्यापारी ओने-पौने भाव पर कृष‍ि उपज खरीदते हैं. सरकार द्वारा प्रस्तावित मूल्य से कम मूल्य पर फसल बिकती है. जबकि सरकार एक फिक्स्ड राशि सहायता के रूप में देती है. जबक‍ि योजना के तहत भरपाई किसान की फसल जिस रेट मंडी में बिके उसके मुताबिक होनी चाहिए.  

 

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