गन्ने के रस से एथेनॉल बनाने पर रोक लगाने के फैसले के बाद शुगर इंडस्ट्री की परेशानियों को देखते हुए केंद्र सरकार अब कुछ रियायत देने जा रही है. सरकार एथेनॉल उत्पादन के लिए 17 लाख टन चीनी के उपयोग की अनुमति का आदेश जल्द जारी कर सकती है. पिछले सप्ताह केंद्र सरकार ने चीनी उत्पादन में गिरावट को देखते हुए एथेनॉल उत्पादन के लिए गन्ना के रस के इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी. इस फैसले से शुगर इंडस्ट्री में हड़कंप मच गया था. आधिकारिक सूत्र ने कहा है कि इसमें स्पष्ट रूप से बताया जाएगा कि इसमें कितनी मात्रा गन्ने की जूस की और कितनी मात्रा गुड़ की होगी. वहीं पिछले सीजन में कुल 38 लाख टन चीनी का इस्तेमाल एथेनॉल उत्पादन के लिए किया गया था.
उद्योग के सूत्रों ने कहा कि चक्र 1 (पहले दौर) की बोली में तेल विपणन कंपनियों, चीनी मिलों ने 260 करोड़ लीटर इथेनॉल, 130 करोड़ लीटर सीधे गन्ने के रस और गुड़ से आपूर्ति करने पर सहमति व्यक्त की थी. उन्होंने कहा कि अगर सरकार की ओर से प्रतिबंध नहीं लगाया गया होता तो 30 लीटर चीनी इथेनॉल के लिए भेजी जा सकती थी.
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उद्योग और महाराष्ट्र सरकार द्वारा उठाई गई चिंताओं के बीच यह निर्णय लिया गया है, क्योंकि इससे गन्ने का बकाया बढ़ सकता है. वजह ये है कि ज्यादातर मिलें इथेनॉल से प्राप्त राजस्व का उपयोग किसानों का बकाया चुकाने में करती हैं. चूंकि चीनी का उत्पादन केवल 5-6 महीनों के लिए किया जाता है, जबकि बिक्री से प्राप्त आय पूरे वर्ष भर आती है, मिलें आम तौर पर गन्ना किसानों के भुगतान में देरी करती हैं, हालांकि कुछ अपवाद भी हैं. इथेनॉल के लिए गन्ने के रस पर प्रतिबंध के बाद चीनी मिलों का 15,000 करोड़ रुपये का निवेश खतरे में है.
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने शुक्रवार को नागपुर में कहा कि गृह मंत्री अमित शाह के साथ एक निर्धारित बैठक स्थगित हो गई है. बैठक में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फड़णवीस को शामिल होना था. बैठक सोमवार या मंगलवार को हो सकती है.
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