गेहूं की तरह दिखने वाला जौ भी है रबी की खास फसल, ये रहीं पांच उन्नत किस्में

गेहूं की तरह दिखने वाला जौ भी है रबी की खास फसल, ये रहीं पांच उन्नत किस्में

जौ रबी सीजन की एक महत्वपूर्ण फसल है. जौ ठंडे और गरम दोनों जलवायु में उगाई जाने वाली फसल है. भारत के कई राज्यों में जौ की खेती की जाती है. अगर आप किसान हैं और किसी फसल की खेती करना चाहते हैं तो जौ की कुछ उन्नत किस्मों की खेती कर सकते हैं.

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गेहूं की तरह दिखने वाला जौ भी है रबी की खास फसल, ये रहीं पांच उन्नत किस्मेंगेहूं की तरह दिखने वाला जौ भी है रबी की खास फसल

देश में सर्दी के साथ ही रबी सीजन का शुरुआत हो चुकी है. जौ रबी सीजन की एक महत्वपूर्ण फसल है. जौ ठंडे और गरम दोनों जलवायु में उगाई जाने वाली फसल है. जौ का इस्तेमाल दाना, लावा, सत्तू, आटा, माल्ट, बेकरी उत्पाद, हेल्दी ड्रिंक्स और दवाइयां बनाने के लिए किया जाता है. इसके अलावा यह दुधारू पशुओं के लिए भी बहुत उपयोगी होता है. जौ एक ऐसी फसल है जिसका महत्व धार्मिक कार्यों में भी किया जाता है. वहीं यह उत्तर भारत की एक महत्वपूर्ण रबी फसल है इसी आधार पर आइए जानते हैं कि जौ कब बोते हैं और इसकी उन्नत किस्में कौन सी हैं.

इन किस्मों की करें खेती

भारत के कई राज्यों में जौ की खेती की जाती है. अगर आप किसान हैं और किसी फसल की खेती करना चाहते हैं तो जौ की कुछ उन्नत किस्मों की खेती कर सकते हैं. इन उन्नत किस्मों में आरडी-2907, करण-201, 231 और 264, डी डब्ल्यू आर बी 92, डी डब्ल्यू आर बी 160 और रत्ना किस्में शामिल हैं. इन किस्मों की खेती करके अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है.

आरडी-2907 किस्म  

जौ की यह किस्म उत्तर भारत के लिए उपयोगी मानी गई है. आरडी-2907 किस्म एक अच्छी उपज देनी वाली किस्म है और यह रबी सीजन में किस्म को उगाने पर इसे अच्छी पैदावार मिलती हैं. ये किस्म 125 से 130 दिनों में पककर तैयार होती है. इसकी उत्पादकता 38 से 40 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक की होती है.

करण-201, 231 और 264

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने जौ की इस किस्म को विकसित किया है. यह जौ के बेहतर उत्पादन देने वाली उन्नत किस्मों में से एक है. यह अच्छी उपज देने वाली किस्म के लिए मानी जाती है. साथ ही यह व्यवसायिक खेती के लिए भी अच्छी मानी जाती है. ये किस्म मध्य प्रदेश के पूर्वी और बुंदेलखंड क्षेत्र, राजस्थान और हरियाणा के कुछ क्षेत्रों में खेती के लिए उपयुक्त मानी जाती है.  करण 201, 231 और 264 की औसत उपज 38, 42 और 46 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है.

डी डब्ल्यू आर बी-92  

जौ की ये किस्म माल्ट और बीयर बनाने के उद्देश्य से अच्छी गुणवत्ता वाले दानों के लिए उगाया जाता है. डी डब्ल्यू आर बी 92 किस्म की औसत उपज 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. यह किस्म 130 दिनों में तैयार हो जाती है. इस किस्म को मुख्य तौर पर उत्तर पश्चिमी मैदानी क्षेत्रों में उगाया जाता है.

रत्ना किस्म

जौ की रत्ना किस्म की खेती पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल के वर्षा आधारित क्षेत्रों में की जाती है. जौ के इस खास किस्म में बुवाई के 65 दिनों के बाद बालियां आनी शुरू हो जाती हैं. वहीं लगभग 125-130 दिनों में यह फसल पककर तैयार हो जाती है.

डी डब्ल्यू आर बी-160

जौ की यह किस्म पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली में बोई जाती है. यह जौ के उन्नत किस्मों में से एक है. इस किस्म को आईसीएआर करनाल द्वारा विकसित किया गया है. इस किस्म की औसत उपज 55 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है.

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