खारी बावली बाजार का एक सीन. फोटो क्रेडिट-किसान तकखासतौर पर अक्टूबर से लेकर फरवरी तक के वक्त को सूखे मेवाओं का सीजन माना जाता है. ये वो वक्त होता है जिसमे शादियों का सहलग भी होता है तो तीज-त्यौहार भी होते हैं. और सबसे बड़ी बात ये कि सर्दी का मौसम होने के चलते खासतौर पर अखरोट, बादाम और चिलगोजे खूब खाए जाते हैं. और इस सब के बाद भी दुकान और गोदामों में जो मेवा बचती है तो वो रक्षाबंधन, जन्मष्टा मी और ईद जैसे त्याहौर पर बिक जाती है. कुल मिलाकर अगस्त-सितम्बर तक मेवा कारोबारी नई फसल की तैयारी में पुरानी मेवा को खत्म कर लेते हैं. पुरानी फसल को खत्मू करने के लिए रेट भी थोड़े ऊपर-नीचे कर लिए जाते हैं.
लेकिन इस साल ऐसा नहीं है. देश की बड़ी मेवा मंडी में शामिल खारी बावली, दिल्ली के कारोबारी परेशान हैं. दो महीने बाद नई फसल आ जाएगी और 30 से 40 फीसद मेवा अभी गोदामों में भरी हुई है. गौरतलब रहे खारी बावली से देश के दूसरे राज्यों में भी मेवा सप्लाई होती है.
भी पढ़ें- Dry Fruit: अमेरिका के बाद अब ईरान-अफगानिस्तान का बादाम दे रहा टक्कर, जानें डिटेल
मेवा करोबारी हसमत मंगी ने किसान तक को बताया कि साल 2021 और 2022 में कोरोना लॉकडाउन ने मेवा बाजार की गर्मी को ठंडा कर दिया था. भीड़भाड़ वाली खारी बावली में गिनने लायक ग्राहक आते थे. यही वजह थी कि दो साल मेवा के रेट में भी कोई बहुत ज्यादा तेजी नहीं आई थी. जबकि होता ये है कि जैसे ही दिसम्बर-जनवरी में बाजार तेज होता है तो मेवा के रेट पर भी तेजी आ जाती है.
लेकिन दो साल कोरोना के चलते ऐसा नहीं हो पाया था. जबकि इस अक्टूबर से फरवरी तक मेवा का सीजन मंदे में ही निकल गया. जितनी मेवा हमने सीजन में बेची उससे कुछ कम तो गर्मी में बेच लेते हैं. लेकिन इस बार गर्मी में भी ग्राहक ठेंगा दिखा गया. नहीं तो ठंडई के नाम पर खूब मेवा बिक जाती थी.
कारोबारी नवीन वर्मा ने बताया कि बेशक कोरोना से उबरे हुए वक्त हो चुका है. लेकिन सच्चाई यह है कि बाजार अभी तक नहीं उबर पाए हैं. अगर ऐसा नहीं होता तो यह कोरोना के बाद का तीसरा मौका है जब नई फसल की मेवा गोदामों में रखी रह गई है. सर्दियों की दस्तक के साथ ही बादाम, अखरोट, केसर और पिस्ते आदि की नई फसल बाजार में आ जाती है. साल 2020 से पहले तक तो यह था कि अप्रैल तक ज्यादातर स्टॉक निपट जाता था. जो थोड़ा बहुत बचता था वो ईद और जन्मष्टामी पर बिक जाता था. और फिर थोड़ी बहुत मेवा तो सालभर ही खाई जाती है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today