सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SOPA) के अनुसार अक्टूबर से शुरू होने वाले तेल वर्ष 2024-25 के लिए सोयाबीन की पेराई में कमी की संभावना है. इसका कारण पिछले साल की तुलना में पेराई 122.50 लाख टन से घटकर इस साल से मात्र 117 लाख टन होने का अनुमान है. वहीं SOPA ने डिमांड और सप्लाई का जो अनुमान जताया है उसके मुताबिक सोयाबीन की कुल उपलब्धता पिछले वर्ष के 149.06 लाख टन से कम होकर 137.76 लाख टन होने का अनुमान है. यह आंकड़ा 118.74 लाख टन फसल से बढ़कर 125.82 लाख टन अधिक फसल के बावजूद है.
आपको बता दें पिछले साल की तुलना में इस साल अब तक रजिस्टर्ज हुए कैरी ओवर स्टॉक (गोदाम में बचा पिछले साल का माल) में भी कमी देखी गई है. पिछले वर्ष इसी अवधि में रजिस्टर्ड 24.07 लाख टन सोयाबीन घटकर 8.94 लाख टन रह गई. जिसके बाद सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के मुताबिक इस साल सोयाबीन का आयात आधे से भी अधिक घटकर 3 लाख टन होने का अनुमान लगाया है.
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उत्पादन और उपल्बधता में कमी को देखते हुए सोयामील में उत्पादन 96.66 लाख टन से घटकर 92.32 लाख टन होगा. इसके अलावा व्यापार निकाय ने निर्यात में भी पिछले साल के 22.75 लाख टन से घटकर 15.50 लाख टन रहने का अनुमान लगाया है. जबकि फीड क्षेत्र द्वारा घरेलू खपत 66 लाख टन है जो कि पिछले साल के बराबर ही देखी गई है. घरेलू खाद्य क्षेत्र में थोड़ी से बढ़त देखने को मिली जो कि पिछले साल के 8 लाख टन से बढ़कर 8.5 लाख टन हो गई है.
अक्टूबर महीने की बात करें तो सोयाबीन की पेराई पिछले साल के 11.50 लाख टन से घटकर 9.5 लाख टन पर पहुंच गई है. वहीं अक्टूबर के दौरान सोयामील का उत्पादन 7.5 लाख टन पहुंच गया है जो कि पिछले साल 9.07 लाख टन था. सोयामील के एक्सपोर्ट पर फिलहाल कोई बदलाव नहीं देखा गया है. पिछले साल 1.11 लाख टन पर स्थिर है.
आपको बता दें कि अक्तूबर के दौरान फ्रांस 44,301 टन के साथ भारतीय सोयामील का सबसे बड़ा खरीदार था. उसके बाद 20,137 टन के साथ नेपाल दूसरे और 8,552 टन के साथ अफगानिस्तान तीसरा बड़ा खरीददार था.
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