लोकसभा में 'त्रिभुवन' सहकारी विश्वविद्यालय बिल-2025 पास हो गया है. इसके साथ ही देश के पहले सहकारिता विश्वविद्यालय बनाने का रास्ता क्लीयर हो गया है. गुजरात के आणंद जिला स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ रूरल मैनेजमेंट (IRMA) को सहकारिता विश्वविद्यालय बना जा रहा है. इसके साथ ही इरमा देश में सहकारिता की पढ़ाई करवाने वाला सबसे बड़ा संस्थान बन जाएगा. इरमा को सहकारी विश्वविद्यालय के रूप में इसे राष्ट्रीय महत्व का संस्थान माना जाएगा. यहां सहकारी क्षेत्र की तकनीकी, मैनेजमेंट शिक्षा और ट्रेनिंग दी जाएगी.
इस सहकारी विश्वविद्यालय के जरिए कोऑपरेटिव रिसर्च को बढ़ावा दिया जाएगा. सरकार “सहकार से समृद्धि” के विजन को साकार करने के लिए इसके माध्यम से काम करेगी. 'त्रिभुवन' सहकारी विश्वविद्यालय के जरिए सरकार सहकारी आंदोलन को मजबूत करने का काम करेगी. केंद्र में सहकारिता मंत्रालय बनने के बाद ही एक सहकारी यूनिवर्सिटी को भी बनाने का प्लान था, जो अब बनने जा रही है.
वर्ल्ड कोऑपरेशन इकोनॉमिक फोरम के कार्यकारी अध्यक्ष बिनोद आनंद का कहना है कि सहकारी क्षेत्र को मजबूत करने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रतिबद्धता 'त्रिभुवन' सहकारी विश्वविद्यालय विधेयक, 2025 की शुरुआत के साथ एक बड़ा कदम आगे बढ़ चुकी है. इस विश्वविद्यालय के बनने से सहकारी पेशेवरों को इनोवेशन और दक्षता को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक कौशल प्राप्त करने में मदद मिलेगी. सहकारी क्षेत्र भारत की सामाजिक-आर्थिक संरचना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, लाखों लोगों को आजीविका प्रदान करता है. इसकी क्षमता को पहचानते हुए, सरकार ने कई सुधार पेश किए हैं, जिसमें यह विश्वविद्यालय भी शामिल है.
इस विश्वविद्यालय का एक अन्य प्रमुख उद्देश्य भारत में सहकारी शिक्षा का मानकीकरण करना है. वर्तमान में, सहकारी ट्रेनिंग असंगठित है और इसमें एकरूपता की कमी है. डेयरी, मत्स्य, कृषि, बैंकिंग और मार्केटिंग जैसे विभिन्न सहकारी क्षेत्रों में डिप्लोमा, डिग्री और प्रमाणन कार्यक्रमों की पेशकश करके, विश्वविद्यालय सहकारी शिक्षा को व्यवस्थित करेगा. इसके अतिरिक्त, यह अंतर्राष्ट्रीय सहकारी संगठनों के साथ सहयोग करेगा और विश्व में सहकारिता की बेस्ट प्रेक्टिस को बढ़ावा देगा. त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय एक केंद्रीय संस्थान के रूप में कार्य करेगा, जो आईसीएआर केंद्र, कृषि विज्ञान केंद्र, सीएसआईआर संस्थान, स्वास्थ्य-संबंधित संस्थान और अन्य विश्वविद्यालयों के संसाधनों को इंटीग्रेट करेगा.
आनंद ने कहा कि यह विश्वविद्यालय एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) से परे जाकर सहकारी समितियों को बाजार-आधारित समाधानों और आत्मनिर्भर व्यावसायिक मॉडलों को अपनाने में मदद करेगा. स्वास्थ्य संस्थानों के साथ समन्वय करके, विश्वविद्यालय ग्रामीण स्वास्थ्य देखभाल के लिए सहकारी मॉडल विकसित करेगा, जिससे सभी के लिए सुलभ और किफायती चिकित्सा सेवाओं की सुविधा मिलेगी. इस विश्वविद्यालय का एक प्रमुख लक्ष्य राष्ट्रीय हितों की रक्षा करना है, जिसमें किसानों और कारीगरों के आर्थिक अधिकारों को सुनिश्चित करना शामिल है. किसान और कारीगर भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, और उनकी समृद्धि देश की आत्मनिर्भरता के लिए महत्वपूर्ण है.
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