मोटे अनाजों को लोगों की थाली तक पहुंचाने की कोशिश रंग लाने लगी है. इंटरनेशनल मिलेट ईयर के जरिए इसका देश और दुनिया में जमकर प्रचार हो रहा है. बताया जा रहा है कि मोटे अनाजों का फायदा क्या है. इसलिए इसको खाने के प्रति लोगों का झुकाव बढ़ा है. इसकी तस्दीक एक, एक सर्वे में भी हुई है. खाद्य ब्रांडों, मिलों और होलसेलर्स द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में पता चला है कि मोटे अनाजों यानी श्री अन्न के बारे में उपभोक्ता जागरूकता पहले के मुक़ाबले काफी बढ़ी है.
इसकी बड़ी वजह मिलेट ईयर है, क्योंकि इसकी वजह से बाजरा, रागी, ज्वार, सावां और कोदो जैसे श्री अन्नों के फायदे के जानकारी आम लोगों तक पहुंची है. इसलिए लोग इसे अपनी थाली का हिस्सा बनाना चाहते हैं. दूसरी ओर, किसान भी मोटे अनाजों की बुवाई बढ़ा रहे हैं.
सर्वेक्षण में शामिल 87.3 फीसदी लोगों ने मोटे अनाजों के बारे में सुना था. मोटे अनाजों को सम्मान देने के लिए सरकार ने अब इनका नाम श्री अन्न कर दिया है. इस सर्वेक्षण का मुख्य उद्देश्य लोगों को मिलेट्स के बारे में बताना और लोगों की डाइट में इसे शामिल करना है. इस सर्वे के दौरान देश भर से 550 लोगों को शामिल किया गया था. जिसमें युवा पीढ़ी की भागीदारी सबसे ज्यादा थी. सर्वे में युवाओं की भागीदारी करीब 59 परसेंट थी.
सर्वेक्षण में महिलाओं की भागीदारी 54.5 फीसदी थीं. सर्वेक्षण के दौरान 31.3% लोग ऐसे थे जो स्वाद की वजह से बाजरा को अपने डाइट में शामिल करने से कतरा रहे हैं. वहीं 22.9% लोग ऐसे हैं जो बेहतर स्वाद के साथ बाजरा को अपने डाइट में शामिल करने के लिए राजी हैं.
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सर्वेक्षण में स्वस्थ खान-पान की आदतों के प्रति बढ़ते रुझान पर भी प्रकाश डाला गया, जिसमें 40.9 फीसदी लोग पहले से ही अधिक पौष्टिक आहार का पालन कर रहे हैं या उस पर स्विच करने पर विचार कर रहे हैं. इसके अतिरिक्त, 73.1% लोग अपने आहार में अधिक फाइबर शामिल करने का प्रयास कर रहे थे, और 58% ने पोषक तत्वों से भरपूर भोजन की इच्छा व्यक्त की है.
वर्ष 2018 को भारत में राष्ट्रीय बाजरा वर्ष के रूप में मनाया गया. फिर सरकार ने मोटे अनाजों को पोषक अनाज घोषित कर दिया. ऐसे में बाजरा उत्पादक स्टार्टअप को प्रोत्साहित भी किया गया ताकि लोग इसके महत्व के बारे में जान सकें और इसे अपनी थाली में शामिल कर सकें.
इतना ही नहीं मोटे अनाज उत्पादक के लिए प्रशिक्षण पर ध्यान केंद्रित करने का प्रयास भी किया जा रहा है. भारत के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए अब संयुक्त राष्ट्र ने भी वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष घोषित कर दिया है. इसका मतलब यह अनाज अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंच गया है. साथ ही ना सिर्फ भारत बल्कि अन्य देशों के लोग भी बाजरा के बारे में जानने और समझने लगे हैं. बाजरा ना सिर्फ पोषक तत्वों से भरपूर है बल्कि इसका इस्तेमाल जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए भी किया जा रहा है. बाजरे की खेती किसी भी जलवायु में आसानी से की जा सकती है.
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