गर्मी ही नहीं सर्दियों के मौसम में भी मुर्गे-मुर्गियों को बहुत देखभाल की जरूरत होती है. खासतौर पर दिसम्बर और जनवरी के मौसम में जब दिन में सूरज भी नहीं दिखाई देता है. तापमान लगातार नीचे जा रहा होता है. दोपहर के 12-एक बजे तक तो कोहरा ही छाया रहता है. ऐसे में अंडे देने वाली मुर्गी हो या फिर चिकन के लिए तैयार किए जा रहे ब्रॉयलर मुर्गे, सभी को नॉर्मल रखना बड़ा ही मुश्किल काम होता है. अगर इस दौरान जरा सी भी लारपरवाही हुई तो दर्जनों के हिसाब से मुर्गे-मुर्गी दम तोड़ देते हैं.
यही वजह है कि सर्दी के इस मौसम में पोल्ट्री फार्म के मुर्गे-मुर्गियों को गर्माहाट देने के लिए कई तरह के उपाय किए जा रहे हैं. पोल्ट्री एक्सपर्ट की मानें तो अगर इन्हें ठंड में नॉर्मल नहीं रखा गया तो अंडे और चिकन का उत्पादन भी घट जाता है. मुर्गी एक बहुत ही सेंसेटिव बर्ड है. अगर इसकी रोजमर्रा की जिंदगी में कुछ भी थोड़ा सा अलग होता है तो यह अंडा देना बंद कर देती है. ऐसा होने पर अब दो दिन बाद अंडा देगी या चार-छह और 10 दिन बाद यह भी मुर्गी पर ही निर्भर करता है.
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पोल्ट्री एक्सपर्ट मनीष शर्मा की मानें तो अंडे देने वाली लेयर मुर्गियां हो या फिर ब्रॉयलर चिकन सभी को 28 से 30 डिग्री तापमान की जरूरत होती है. अगर तापमान इससे कम या ज्यादा होता है तो मुर्गियां परेशान होने लगती हैं. मुर्गियों को मौसम की इस परेशानी से बचाने के लिए पोल्ट्री फार्म में तापमान बताने वाले उपकरण लगाए जाते हैं. जैसे अब सर्दी के मौसम में कई जगह तापमान चार से पांच डिग्री तक चला जाता है. तो मुर्गे-मुर्गियां ठंड की चपेट में न आएं और उन्हें गर्मी मिलती रहे इसके लिए ब्रूडर लगाए जाते हैं. यह हीटर की तरह से काम करते हैं. ब्रूडर गैस और बिजली दोनों से ही काम करते हैं.
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ब्रूडर का इस्तेमाल खासतौर पर अंडे देने वाली लेयर मुर्गी के फार्म में किया जाता है. ब्रॉयलर चिकन के बड़े-बड़े फार्म में भी ब्रूडर का इस्तेमाल होता है. लेकिन कुछ जगहों पर जहां संख्या कम होती है वहां लकड़ी का बुरादा और कोयले जलाकर भी ब्रॉयलर चिकन को गर्माहट दी जाती है. अब तो इस तरह के रोशनी देने वाले बल्ब भी आने लगे हैं तो हीट भी तेज देते हैं.
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