किसानों और कृषि वैज्ञानिकों की मेहनत की बदौलत मौजूदा वक़्त में भारत न केवल फसलों का बंपर उत्पादन कर रहा है, बल्कि एक्सपोर्ट में भी रिकॉर्ड बना रहा है. मौजूदा वक़्त में दुनियाभर में भारतीय कृषि उत्पादों को लेकर दिलचस्पी बढ़ रही है. साल 2019-20 में कृषि और संबद्ध उत्पादों का निर्यात जहां 252400 करोड़ रुपये था वह साल 2020-21 में बढ़कर 310130 करोड़ रुपये हो गया, जबकि साल 2021-22 के दौरान यह और बढ़कर 374611 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया. इसमें सबसे ज्यादा योगदान लगभग बासमती चावल का रहा है. दरअसल भारत ने 2022-23 में लगभग 34 हजार करोड़ रुपये के बासमती चावल का निर्यात (Basmati Rice Export) किया है. हालांकि, बासमती चावल को लेकर ऑस्ट्रेलिया से जो खबर आई है वह अच्छी नहीं है. दरअसल ऑस्ट्रेलिया ने बासमती चावल को जीआई टैग के लिए भारत के आवेदन को रिजेक्ट कर दिया है. जोकि सालाना करीब 50,000 टन बासमती का आयात करता है.
ऑस्ट्रेलिया ने बासमती चावल के लिए भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग देने के भारत के आवेदन को इस आधार पर खारिज कर दिया है कि यह केवल भारत में ही नहीं उगाया जाता है. दरअसल, भारत ने बासमती के नाम और लोगो के लिए फरवरी 2019 में आवेदन किया था.
बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के अनुसार, कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के अध्यक्ष एम अंगमुथु ने कहा, "ऑस्ट्रेलिया ने जीआई के लिए हमारे आवेदन को खारिज कर दिया है." उन्होंने आगे कहा, “हम पहले ही बासमती चावल नाम के लिए एक अपील दायर कर चुके हैं. जोकि 1 फरवरी, 2023 को ऑस्ट्रेलिया के संघीय न्यायालय के समक्ष अपील दायर की गई है.” बता दें कि एपीडा एक प्राधिकरण है जो निर्यात को बढ़ावा देता है और विदेशों में भारतीय उत्पादों के लिए जीआई पंजीकरण कराता है.
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एपीडा के अध्यक्ष ने कहा, " जीआई पंजीकरण एक सतत प्रक्रिया है और हम फिर से अपील करेंगे. इससे हमारे व्यापार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा." आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ऑस्ट्रेलिया सालाना करीब 50,000 टन बासमती का आयात करता है. वहीं चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-दिसंबर अवधि के दौरान 351.78 करोड़ रुपये मूल्य के 35,112 टन बासमती का आयात किया है.
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