तारानगर सीट से नेता प्रतिपक्ष रहे राजेंद्र राठौड़ चुनाव हार गए हैं. उन्हें कांग्रेस के नरेंद्र बुढ़ानिया ने 7863 वोट से हराया है. फिलहाल नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी निभा रहे राजेन्द्र राठौड़ हमेशा तर्क और तथ्यों के साथ अपनी बात रखने की लिए जाने जाते हैं. राठौड़ भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और छह बार विधायक रह चुके हैं. 1990 से 2018 तक राठौड़ लगातार चुनाव जीते हैं. राठौड़ प्रखर वक्ता और वकील भी हैं. वे हमेशा तथ्यों के साथ बात करते हुए सरकार को कटघरे में खड़ा करते रहे हैं. राजस्थान यूनिवर्सिटी में छात्र राजनीति से अपना करियर शुरू करने वाले राठौड़ इस बार चुनावी मुश्किल में फंसे हैं. क्योंकि बीजेपी ने उनकी सीट चुरू से बदलकर तारानगर कर दी है. यहां से जाट नेता नरेन्द्र सिंह बुडानिया को कांग्रेस ने टिकट दिया है. ये चुरू से कांग्रेस की ओर से सांसद भी रह चुके हैं.
जानकार बुडानिया और राठौड़ के बीच कड़ी टक्कर बता रहे हैं, लेकिन राठौड़ को उम्मीद है कि ब्राह्मण, राजपूत, दलित और ओबीसी उन्हें चुनाव जिता देंगे. हालांकि बुडानिया भी यहां काफी मजबूत बताए जा रहे हैं. वे तीन बार लोकसभा, तीन बार राज्यसभा और दो बार विधानसभा पहुंच चुके हैं. उनसे जाट समाज से तारानगर में 70 हजार वोट हैं. वहीं, लगभग 22 हजार मुस्लिम वोटर और अच्छी संख्या में दलित उनके साथ बताए जा रहे हैं. दोनों दलों की ओर से मजबूत उम्मीदवार होने के कारण चुरू की लड़ाई बेहद दिलचस्प हो गई है. इसके अलावा किसानों का एक फैक्टर भी यहां काम करता है.
किसानों के दम पर कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (सीपीआई (एम) के उम्मीदवार निर्मल कुमार प्रजापति यहां 10 हजार के लगभग वोट हासिल करते रहे हैं.
राजेन्द्र राठौड़ चुरू जिले के हरपालसर के रहने वाले हैं. राजस्थान यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान ही वे राजनीति में आ गए. साल 1980 में उन्हें पहली बार तारानगर सीट से जनता पार्टी के बैनर तले चुनाव लड़ा था, लेकिन बुरी तरह हार गए. वहीं, साल 1985 के विधानसभा चुनावों में जनता पार्टी ने राठौड़ को फिर से टिकट दे दिया. इस बार भी राठौड़ चुनाव नहीं जीत पाए. वे दूससे नंबर पर रहे. इसके बाद 1990 में वे जनता दल के टिकट पर पहली बार विधायक बने. बाद में 1993 से लेकर 2018 तक हुए चुनावों में राठौड़ ने कभी हार का सामना नहीं किया.
राजेन्द्र राठौड़ पर कई बड़े पुलिस केस भी हुए हैं. साल 2006 में शराब तस्कर दारा सिंह उर्फ दारिया पुलिस एनकाउंटर में हुई मौत में भी राठौड़ का नाम आया था. इस मामले में उन्हें आरोपी बनाया गया. सीबीआई ने राजेन्द्र राठौड़ और राजस्थान पुलिस के एडीजी एके जैन सहित 17 लोगों को आरोपी बनाया था. इस मामले में अप्रेल 2012 को राजेन्द्र राठौड़ को गिरफ्तार करके जेल भेजा गया. उन्हें 51 दिन तक जेल में रहना पड़ा. बाद में जमानत पर जेल से बाहर आए. बाद में राजेन्द्र राठौड़ सहित सभी आरोपियों को कोर्ट ने बरी कर दिया.
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