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Poultry Feed: 5 लाख टन मक्का आयात की छूट पर पोल्ट्री एक्सपर्ट ने कही ये बड़ी बात, पढ़ें डिटेल

Poultry Feed: 5 लाख टन मक्का आयात की छूट पर पोल्ट्री एक्सपर्ट ने कही ये बड़ी बात, पढ़ें डिटेल

देश के बहुत सारे राज्यों में मक्का आज न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से भी ऊंचे दाम पर बिक रही है. इतना ही नहीं डिमांड के चलते मक्का की कमी भी होने लगी है. यही वजह है कि मक्का की सबसे ज्यादा खपत करने वाले पोल्ट्री सेक्टर को बीते करीब एक साल से मुश्कि‍लों का सामना करना पड़ रहा है. 

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मक्का बीज पर सब्सिडी (सांकेतिक तस्वीर) मक्का बीज पर सब्सिडी (सांकेतिक तस्वीर)

पोल्ट्री फीड, इंडस्ट्री की जरूरत और खाने में मक्का की कमी को दूर करने के लिए केन्द्र सरकार ने मक्का आयात करने की छूट दी है. सरकारी आदेश के मुताबिक दूसरे देशों से 5 लाख टन तक मक्का आयात की जा सकती है. लेकिन पोल्ट्री एक्सपर्ट ने इसे पोल्ट्री फीड के लिए नाकाफी बताया है. उनका कहना है कि ये मात्रा तो सिर्फ स्टार्च इंडस्ट्री की जरूरत को ही मुश्किल से पूरी कर पाएगी. इथेनॉल और पोल्ट्री सेक्टर की डिमांड इससे भी बड़ी है. वहीं आयात के बाद भी पोल्ट्री एक्सपर्ट ने कुछ और मांग उठाई है. 

उनका का कहना है कि सरकार को मक्का की मात्रा के साथ ही कुछ और चीजों पर भी ध्यान देना होगा, वर्ना 5 लाख टन मक्का आयात करने की छूट देना सिर्फ औपचारिकता बनकर रह जाएगा. गौरतलब रहे पोल्ट्री फीड में कुल मक्का उत्पादन का 60 से 65 फीसद हिस्सा शामिल होता है. कैटल फीड में भी मक्का इस्तेमाल की जाती है. 

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5 नहीं 25 लाख टन की मिले अनुमति 

पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया (पीएफआई) के कोषाध्यक्ष रिकी थापर ने किसान तक को बताया कि पोल्ट्री फीड के लिए मक्का की डिमांड बहुत ज्यादा है. 5 लाख टन मक्का आयात करने का फैसला पोल्ट्री सेक्टर के लिए बहुत छोटा है. अगर वाकई में पोल्ट्री सेक्टर को राहत पहुंचानी है तो कम से कम 25 लाख टन मक्का आयात करनी होगी. क्योंकि 25 लाख टन का ऐलान सरकार करेगी और इस आंकड़े के बारे में सुनकर देश में दबाकर रखी गई मक्का भी निकल आएगी. मक्का के ऊंचे दाम हासिल करने के लिए देश में कुछ लोगों ने मक्का का स्टाक करके भी रखा हुआ है. 

नॉन जीएम नहीं जीएम मक्का आयात करने की मिले अनुमति 

रिकी थापर ने मक्का आयात करने के फैसले पर ये भी बताया कि सरकार ने मक्का आयात करने की जो अनुमति दी है वो सिर्फ नॉन जीएम मक्का पर ही लागू होती है. जबकि कई मायनों में देश को जीएम मक्का की जरुरत है. पहला तो ये कि नॉन जीएम मक्का बड़ी मात्रा की जरूरत को पूरा नहीं कर सकती है. दूसरा सबसे खास पहलू ये कि बाजार के हिसाब से दोनों के रेट के बीच करीब 10 से 20 फीसद का अंतर होता है.  

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इथेनॉल के लिए तय हो मक्का का कोटा

रिकी थापर ने किसान तक से कहा कि मक्का का एक बड़ा हिस्सा करीब 60 से 65 फीसद पोल्ट्री में इस्तेमाल होता है. दूसरे नंबर पर इथेनॉल के लिए जा रहा है. इसलिए सरकार को चाहिए कि वो इथेनॉल के लिए मक्का का कोटा निर्धारित करें. साथ ही जीएम मक्का इंपोर्ट करने की अनुमति दी जाए. जैसे साल 2022 में महंगाई पर लगाम लगाने के लिए सोयाबीन इंपोर्ट की गई थी. क्योंकि अगर जल्द ही पोल्ट्री के भविष्य को देखते हुए मक्का के संबंध में जरूरी कदम नहीं उठाया तो इसका सीधा और बड़ा असर अंडे-चिकन के कारोबार पर पड़ेगा.

देश में हर साल पोल्ट्री प्रोडक्ट में सात से आठ फीसद की दर से बढ़ोतरी हो रही है. साल 2022-23 में 14 हजार करोड़ अंडों का उत्पादन हुआ था. कुल मीट उत्पादन में चिकन की हिस्सेदारी 51.14 फीसद है. पोल्ट्री एक्सप र्ट का दावा है कि हम एक्सपोहर्ट और घरेलू बाजार की डिमांड को पूरा करने के लिए कभी भी उत्पादन बढ़ाने में सक्षम हैं, लेकिन बस जरूरत है तो सरकारी मदद की.