मई महीने के तीसरे सप्ताह के शुरुआत के साथ ही बाजारों में लीची की आवक शुरू हो जाती है. इन लीचियों में सबसे अधिक मांग बिहार के मुजफ्फरपुर की लीची की रहती है. 20 मई के बाद से पटना और अन्य जिलों में अच्छी गुणवत्ता की लीची दिखाई देने लगती है. लेकिन, इन लीचियों का दाम पटना या मुजफ्फरपुर की मंडियों में नहीं, बल्कि अन्य राज्यों की लीची मंडियों और व्यापारी तय करते हैं. बिहार लीची उत्पादक संघ के अध्यक्ष बच्चा सिंह बताते हैं कि बागों से लीची तोड़ने का काम शुरू हो चुका है, लेकिन अब तक इसकी कीमत को लेकर कोई निश्चित दर तय नहीं हुई है. यदि राज्य में मंडी व्यवस्था होती, तो कीमत के बारे में स्पष्ट जानकारी पहले ही मिल जाती.
मुजफ्फरपुर जिले के बोचहा के निवासी लीची किसान और व्यापारी रमेश कुमार बताते हैं कि स्थानीय बाजार में लीची 90 रुपये प्रति किलो बिक रही है, जबकि दिल्ली और मुंबई में 15-16 किलो की पेटी 2500-2600 रुपये में बेची जा रही है. हालांकि, रमेश कुमार इस कीमत को लेकर पूरी तरह आश्वस्त नहीं हैं, क्योंकि जब उनकी लीची दिल्ली या मुंबई पहुंचेगी, तब वहां के बाजार मूल्य के आधार पर ही स्थानीय स्तर पर दाम तय हो पाएंगे. बोचहा के ही किसान रामएकबाल का कहना है कि लीची की कीमत 22 मई के बाद तय होगी, जब उनकी लीची तोड़ी जाएगी और व्यापारी इसे दिल्ली और अन्य मंडियों में बेचेंगे.
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पटना के फल व्यापारी विशाल कुमार लीची की कीमत को लेकर असमंजस में हैं. उन्हें समझ नहीं आ रहा कि बाजार में लीची की कीमत कैसे तय होगी, क्योंकि फिलहाल कोई स्थिर दर नहीं है. वे बताते हैं कि जिन किसानों से वे बातचीत कर रहे हैं, वे भी कीमत को लेकर कुछ स्पष्ट नहीं कह पा रहे हैं. उनका कहना है कि लीची की तुड़ाई के बाद इसे अन्य मंडियों में भेजा जाएगा और वहीं की दरों के आधार पर स्थानीय स्तर पर कीमत तय होगी.
मुजफ्फरपुर के व्यापारी पप्पू कुमार का मानना है कि मंडी व्यवस्था नहीं होने से किसान और व्यापारी लीची की सही कीमत नहीं जान पाते ना ही उसे अच्छी कीमत पर बेच पाते हैं. बाहर से आने वाले व्यापारी जो भी कीमत तय करते हैं, स्थानीय किसान उसी पर अपनी लीची बेचने को मजबूर होते हैं कुछ पढ़े-लिखे और जागरूक व्यापारी बंगाल से आने वाली लीची के दाम को आधार बनाकर अपना मूल्य तय कर लेते हैं.
पटना फल व्यापारी विशाल कुमार का सुझाव है कि लीची का दाम उसकी गुणवत्ता यानी ग्रेड के आधार पर तय होना चाहिए, जैसे अन्य फलों के लिए होता है. इससे व्यापारी और किसानों दोनों को आसानी होगी. वे इसके आधार पर अपनी व्यापारिक रणनीति बना सकेंगे. फिलहाल, स्थानीय स्तर पर शाही लीची के दाम अलग-अलग हैं. लीची बागान से झारखंड के हजारीबाग में लीची 70 रुपये प्रति किलो बेचा जा रहा है. जबकि पंजाब के व्यापारी बिहार में 78 रुपये प्रति किलो के भाव से बगान से लीची खरीद रहे हैं.
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बिहार लीची उत्पादक संघ के अध्यक्ष बच्चा सिंह के अनुसार, वर्तमान में बाजार में शाही लीची की गुणवत्तापूर्ण आवक बहुत कम है. लेकिन 21 मई के बाद बेहतर गुणवत्ता वाली शाही लीची बाजार में उपलब्ध होगी. उसी समय लीची की कीमतें भी स्पष्ट हो जाएंगी, क्योंकि तब तक बिहार की लीची बड़े पैमाने पर दिल्ली, मुंबई और अन्य शहरों में पहुंचने लगेगी. वहां जिस दर पर यह बिकेगी, उसी के आधार पर स्थानीय बाजार में भी इसकी कीमत तय होगी.
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