हाल ही में हिमाचल प्रदेश में हुई भारी बारिश ने किसानों की कमर तोड़ दी है. लगातार बारिश और भूस्खलन की वजह से कई सड़कों का संपर्क पूरी तरह टूट गया. इसी कारण सब्जियों की आपूर्ति बाधित हुई और बाजार में सब्जियों के दाम एकदम से बढ़ गए. हिमाचल जैसे सब्जी उत्पादक राज्य में भी अब विदेशी सब्जियां जैसे ब्रोकली, लेट्यूस, बेल पेपर आदि बेहद महंगी हो गई हैं. यहां तक कि लाहौल में उगाई गई सब्जियां भी शिमला जैसे शहरों में दुगुने-तिगुने दाम पर बिक रही हैं.
न्यू शिमला के सब्जी विक्रेता हरी कृष्ण राठौर ने बताया कि, "लाहौल की फूलगोभी शिमला में ₹200 प्रति किलो बिकी क्योंकि उसे लेह होते हुए दिल्ली और फिर हिमाचल वापस भेजा गया."
जब सड़कों का संपर्क पूरी तरह से टूट गया था, तब लाहौल-स्पीति प्रशासन ने किसानों की मदद के लिए एक विशेष व्यवस्था की. उन्होंने सब्जियों को सड़क मार्ग से लेह भेजा और वहां से दिल्ली तक हवाई मार्ग से पहुँचाया. इससे सिर्फ थोड़ी-सी फसल ही बचाई जा सकी.
डिप्टी कमिश्नर किरण भदाना ने बताया कि, "लगभग 30 टन सब्जियां लेह से दिल्ली तक हवाई मार्ग से भेजी गईं. अब किसान अटल टनल के ज़रिए मनाली और कुल्लू तक अपनी सब्जियां भेज रहे हैं."
लिंडूर गाँव के किसान बीर सिंह ने बताया कि उन्होंने 10 बीघा जमीन में फूलगोभी की खेती की थी. लेकिन रास्ता बंद होने के कारण सारी फसल खेत में ही सड़ गई.
उनकी ही तरह लाहौल के कई किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ा. "अगर सब्जियां दिल्ली-चंडीगढ़ रूट से न आतीं, तो हिमाचल की मंडियों में सब्जियां ही नहीं मिलतीं," हरी कृष्ण ने कहा.
शिमला में टमाटर ₹100 किलो तक बिक रहा है. वहीं मटर, ब्रोकली और लेट्यूस जैसे विदेशी उत्पादों के दाम कई गुना बढ़ चुके हैं. इनकी क्वालिटी बहुत अच्छी होती है, इसलिए दिल्ली जैसे बाजारों में भी इनकी भारी मांग रहती है.
अब जबकि मनाली-लाहौल सड़क मार्ग और अटल टनल फिर से चालू हो गई है, किसान राहत की सांस ले रहे हैं. प्रीतम सिंह, जो लाहौल के रहने वाले हैं, ने बताया कि अब वे अपनी सब्जियां मनाली और कुल्लू भेज पा रहे हैं.
भारी बारिश और सड़क अवरोध की वजह से किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ा. भले ही अब सड़कें खुल गई हैं, लेकिन यह संकट एक चेतावनी है कि किसानों के लिए लंबे समय तक चलने वाली मदद और बेहतर लॉजिस्टिक प्लानिंग की ज़रूरत है, जिससे अगली बार ऐसी आपदा में उनकी फसलें नष्ट न हों.
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