Vegetable Prices: आलू और प्‍याज के दाम में बड़ी गिरावट, ट्रांसपोर्ट का खर्च भी बढ़ा रहा मुसीबत

Vegetable Prices: आलू और प्‍याज के दाम में बड़ी गिरावट, ट्रांसपोर्ट का खर्च भी बढ़ा रहा मुसीबत

Onion and Potato Mandi Rate: फुटकर बाजार में महंगी दिखने वाली सब्जियां किसानों को राहत नहीं दे पा रही हैं. एगमार्कनेट पोर्टल पर उपलब्‍ध आंकड़ों के मुताबिक, आलू और प्याज के थोक भाव एक साल पहले के मुकाबले काफी नीचे हैं. हफ्ते और महीने की हल्की तेजी के बावजूद किसानों को लागत के मुताबिक दाम नहीं मिल पा रहे हैं. देखें ताजा हाल...

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Vegetable Prices: आलू और प्‍याज के दाम में बड़ी गिरावट, ट्रांसपोर्ट का खर्च भी बढ़ा रहा मुसीबतसालभर में इतने गिरे आलू-प्‍याज के भाव

आलू, प्‍याज और टमाटर भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में सबसे ज्‍यादा खाई जोने वाली सब्जियां हैं और लगभग ज्‍यादातर घरों में उपलब्‍ध रहती है. बाजार में इनका भाव भी इतना रहता है कि हर कोई इन्‍हें खरीद पाता है यानी बजट फ्रेंडली रहती हैं. लेकिन बीते कई महीनों से फुटकर बाजारों में तो ये तीन मुख्‍य सब्जियां ऊंचे दाम पर बिक रही हैं, लेकिन इन्‍हें उगाने वाले किसानों को थोक मं‍डियों में उपज का सही दाम नहीं मिल रहा है. दरअसल, देश की थोक कृषि उपज मंडियों में आलू और प्याज के दाम में बीते एक साल के मुकाबले बड़ी गिरावट दर्ज की गई है. 

34 प्रतिशत गिरे प्‍याज के दाम

18 दिसंबर 2025 तक के अखिल भारतीय औसत थोक मंडी भाव साफ तस्‍वीर दिखा रहे हैं कि किसानों को अपनी उपज के बदले लागत के अनुरूप कीमत नहीं मिल पा रही है. अगर प्याज की बात करें तो 18 दिसंबर 2025 को प्याज का औसत थोक भाव 1433 रुपये प्रति क्विंटल दर्ज किया गया, जबक‍ि ठीक एक साल पहले इसी अवधि में प्याज का औसत भाव 2179 रुपये प्रति क्विंटल था. यानी सालाना आधार पर प्याज के दाम में करीब 34 प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट आई है. 

वहीं, आलू के हालात भी इससे अलग नहीं हैं. 18 दिसंबर 2025 को आलू का औसत थोक मंडी भाव 1001 रुपये प्रति क्विंटल रहा, जबक‍ि पिछले साल इसी तारीख को आलू के भाव 1875 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास थे. यानी आलू के दाम में सालाना आधार पर करीब 46 प्रतिशत की भारी गिरावट दर्ज की गई है. ये आंकड़े कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत एगमार्कनेट पोर्टल से लिए गए हैं और इनमें पूरे देश की प्रमुख मंडियों का औसत भाव शामिल है.

किसानों को मिली हल्‍की राहत

हालांकि, अल्पकालिक रुझानों पर नजर डालें तो तस्वीर थोड़ी अलग है और किसानों को हल्‍की राहत मिलती दिख रही है. प्याज के दाम एक हफ्ते में करीब 17 प्रतिशत और एक महीने में लगभग 36 प्रतिशत तक बढ़े हैं. इसके बावजूद सालाना गिरावट इतनी गहरी है कि हालिया तेजी किसानों को राहत देने में नाकाम साबित हो रही है.

वहीं, आलू के दाम एक हफ्ते में करीब 7 प्रतिशत घटे हैं, हालांकि, महीने भर में इसमें करीब 30 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई है. विशेषज्ञों के मुताबिक, यह बढ़त मौसमी आवक और मांग के कारण है, लेकिन यह अभी भी पिछले साल के स्तर से काफी नीचे है.

ट्रांसपोर्ट के खर्च से पड़ रहा आय पर असर

किसानों का कहना है कि मंडी तक फसल पहुंचाने का ट्रांसपोर्ट खर्च भी उनकी मुश्किलें बढ़ा रहा है. ऐसे में जब थोक मंडी में पहले ही भाव कम मिल रहे हैं तो ट्रांसपोर्ट उन्‍हें मिलने वाली आय को और कम कर रहा है. कई किसान मजबूरी में औने-पौने दाम पर उपज बेचने को मजबूर हैं. वहीं, अगर टमाटर की बात करें तो इसमें इसकी तस्वीर एकदम उलट नजर आ रही है. 18 दिसंबर 2025 को टमाटर का औसत थोक भाव 3212 रुपये प्रति क्विंटल रहा, जो पिछले साल के मुकाबले करीब 58 प्रतिशत ज्यादा है. 

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