Onion Price Down: किसान को सवा टन प्‍याज के बदले मिले मात्र 248 रुपये, सोशल मीडिया पर वायरल हुआ बिल

Onion Price Down: किसान को सवा टन प्‍याज के बदले मिले मात्र 248 रुपये, सोशल मीडिया पर वायरल हुआ बिल

Onion Price: देशभर में प्‍याज किसान कीमतों को लेकर सरकार से हस्‍तक्षेप की मांग रहे हैं. ज्‍यादा उत्‍पादन और मं‍डियों में बंपर आवक के कारण प्‍याज की कीमतें गिरी हुईं हैं. इस बीच मध्‍य प्रदेश की बदनावर मंडी का एक बिल सोशल म‍ीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें किसानों को 1250 क्विंटल यानी सवा टन प्‍याज के बदले मात्र 248 रुपये ही मिले.

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किसान को सवा टन प्‍याज के बदले मिले मात्र 248 रुपये, सोशल मीडिया पर वायरल हुआ बिलबदनावर मंडी से प्याज का बिल हुआ वायरल. (फाइल फोटो)

देश में पिछले साल अच्‍छे मॉनसून के बाद प्‍याज की बंपर बुवाई की गई और बढ़‍िया उत्‍पादन हुआ है, लेकिन यही बंपर उत्‍पादन अब किसानों के लिए मुसीबत का कारण बन गया है. मंडियों में प्‍याज की बंपर आवक हो रही है. यही वजह है कि किसानों को उनकी उपज का सही दाम नहीं मिल रहा है. कई किसानों को थोक मंडियों में इतने सस्‍ते दाम पर प्‍याज बेचना पड़ रहा है कि लागत निकलना तो दूर उल्‍टा उन्‍हें भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है.

वहीं, आम उपभोक्‍ता को प्‍याज 25 रुपये से लेकर 40 रुपये किलो तक मिल रहा है. ऐसे में किसान तो सस्‍ते दाम पर प्‍याज बेचकर नुकसान उठा रहा है और ग्राहकों/उपभोक्‍ताओं को यह महंगे दाम पर मिल रहा है. लेकिन, बीच का पूरा मार्जिन व्‍यापारि‍यों और बिचौल‍ियों की जेब में जा रहा है. 

सवा टन प्‍याज की 248 रुपये मिली कीमत 

ताजा मामला मध्‍य प्रदेश की बदनावर मंडी का है, जहां हाल ही में एक किसानों को अपनी प्‍याज फसल के लिए मात्र 60 पैसे प्रति किलो की कीमत मिली. किसान लखन स‍िंह ने व्‍यापारी को 1250 क्विंटल यानी सवा टन प्‍याज बेचा, जिसकी एवज में उसे मात्र 750 रुपये मिले. लेकिन बात यहीं खत्‍म नहीं हुई तरह-तरह के खर्च निकालने के बाद किसान को मात्र 248 रुपये ही मिले.

अब इसका बिल सोशल मीडिया पर वायरल है और काफी शेयर किया जा रहा है, जिसमें किसानों की दुर्दशा बयां की जा रही है. वहीं, कुछ लोग इस बिल को देखकर रद्द किए गए तीन कृषि कानूनों को याद कर रहे हैं, जिसमें किसानों और व्‍यापारियों में सीधे सौदे को लागू किया गया था और बिचौलियों की भूमिका को खत्‍म कर दिया गया था. उनका कहना है कि अगर आज वह कानून लागू रहता तो किसानों को इतने कम दाम नहीं मिलते.

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प्‍याज किसानों की बड़ी समस्‍या

प्‍याज की कीमत को लेकर किसानों की समस्‍या को और आसान भाषा में समझि‍ए… दरअसल, प्‍याज एक ऐसी फसल है, जिसे किसान ज्‍यादा समय तक स्‍टोर करके नहीं रख सकते. इसे जल्‍द से जल्‍द मंडी में बेचना बेहद जरूरी है. ऐसे अगर कभी लगातार प्‍याज के भाव कम भी चल रहे हों तो भी किसानों को अपनी फसल को खराबे से बचाने के लिए बेचना पड़ता है.

नुकसान दोनों में ही उठाना पड़ता है. कई बार मंडियों में प्‍याज की कीमतें इतने निचले स्‍तर पर चली जाती हैं कि किसानों को फसल बेचकर ही घर लौटना पड़ता है, क्‍योंकि अगर वे इसे वापस घर या भंडार में रखने के लिए लाते हैं तो ट्रांसपोर्ट में ज्‍यादा पैसा खर्च हो जाएगा. 

बारिश से पहले फसल बेचना मजबूरी

वहीं, अब बारिश का मौसम शूरू हो रहा है. इस सीजन में भंडारण करना और भी कठ‍िन हो जाता है, क्‍योंकि इसमें पानी लगने या नमी बढ़ने पर पूरा ढेर का ढेर कुछ दिनों में खराब/सड़ने लगता है. ज्‍यादातर किसानों के पास प्‍याज का अच्‍छे से रखने की व्‍यवस्‍था भी नहीं होती है. ऐसे में किसान पुरानी फसल को जल्‍द से जल्‍द बेचने की कोशिश में रहते हैं, जिससे मंडियों में अचानक आवक बढ़ती है और दाम तेजी से घटते हैं.

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