मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले की बड़ी कृषि उपज मंडी, ब्यावरा मंडी, में प्री-मॉनसून की बारिश ने मंडी प्रबंधन की लापरवाहियों की पोल खोल दी है. बुधवार को हुई अचानक तेज बारिश से मंडी में खुले में रखा गया करीब दो से ढाई हजार क्विंटल अनाज भीग गया. व्यापारियों का कहना है कि इस नुकसान की कीमत 25 लाख रुपये से अधिक है.
यह कोई पहली बार नहीं हुआ है. बीते सात दिनों से लगातार हो रही प्री-मॉनसून बारिश के चलते रोजाना व्यापारियों का अनाज खराब हो रहा है. मंडी में बड़े टीनशेड न होने की वजह से व्यापारियों को अपनी उपज खुले में ही रखनी पड़ रही है.
मंडी सचिव रामप्रसाद राज का कहना है कि यह एक प्राकृतिक आपदा है और अनाज को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी व्यापारियों की है. उन्होंने कहा कि मंडी व्यापारियों को चाहिए कि वे अपनी उपज को गोदामों में रखें. सचिव ने यह भी कहा कि वे व्यवस्था का निरीक्षण करेंगे.
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व्यापारी सुभाष पालीवाल और पवन अग्रवाल सहित कई व्यापारियों ने बताया कि मंडी में उपलब्ध छोटे-छोटे गोदामों में केवल 500 क्विंटल अनाज ही रखा जा सकता है. इसके बाद जगह नहीं बचती, जिससे उन्हें मजबूरी में अनाज खुले में रखना पड़ता है. इस बार की बारिश में करीब 8 से 10 व्यापारियों का भारी नुकसान हुआ है.
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व्यापारियों ने यह भी बताया कि मंडी में आवारा मवेशियों की भरमार है जो अनाज को और ज्यादा नुकसान पहुंचा रहे हैं. मंडी प्रबंधन से इस बारे में कई बार शिकायतें की गई हैं, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला.
केवल व्यापारी ही नहीं, किसान भी इस अव्यवस्था से परेशान हैं. जब अनाज की तुलाई खुले में होती है, तो बारिश के चलते उनका भी नुकसान होता है. किसान चाहते हैं कि मंडी में बड़े टीनशेड बनाए जाएं ताकि उनकी मेहनत की कमाई सुरक्षित रह सके.
व्यापारियों और किसानों ने मंडी में बड़े टीनशेड बनाने और गोदामों की संख्या बढ़ाने की मांग की है. उनका कहना है कि यदि समय रहते उचित व्यवस्था नहीं की गई, तो आने वाले सीजन में और भी बड़ा नुकसान हो सकता है.
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