जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग के लगभग एक महीने तक बंद रहने से केंद्र शासित प्रदेश के दोनों संभागों के बीच सप्लाई चेन बाधित हो गई है, जिससे जम्मू फल मंडी में सेब की कीमतों में भारी गिरावट आई है. ट्रकों की खेप कई दिनों की देरी से पहुंचने के कारण, जल्दी खराब होने वाले सेब खराब हालत में पहुंच रहे हैं, जिससे व्यापारियों को बेहद कम दामों पर सेब बेचने पर मजबूर होना पड़ रहा है. उत्पादक और व्यापारी दोनों ही भारी वित्तीय घाटे से जूझ रहे हैं, जिससे परिवहन संबंधी लगातार बाधाओं के बीच क्षेत्र के सेब व्यापार की भविष्य की स्थिरता को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं.
बता दें कि 270 किलोमीटर लंबा जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग, कश्मीर को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने वाला एकमात्र बारहमासी मार्ग है. ये हाइवे 26 और 27 अगस्त को हुई रिकॉर्ड बारिश के बाद कई जगहों पर, खासकर नाशरी और उधमपुर के बीच टूट गया, जिसके बाद इसे वाहनों की आवाजाही के लिए बंद कर दिया गया. पिछले सप्ताह राजमार्ग पर यातायात आंशिक रूप से बहाल कर दिया गया था, लेकिन जम्मू-कश्मीर के भीतर और बाहर विभिन्न बाजारों में सेब ले जाने वाले ट्रकों सहित सैकड़ों ट्रक कई दिनों तक फंसे रहे, जिससे सेब की उपज को भारी नुकसान हुआ.
जम्मू में ताजी सब्ज़ियों और फलों के मुख्य टर्मिनल बाजार, नरवाल मंडी के एक व्यापारी संदीप महाजन ने पीटीआई-भाषा को बताया कि यह सभी के लिए मुश्किल दौर है. बारिश से ज़्यादा नुकसान सड़क ने किया है. 1 सितंबर को कश्मीर से रवाना हुए कुछ ट्रक आज (16 सितंबर) यहां पहुंच रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह सेब का पीक सीजन है और "सरकार को नुकसान कम करने के लिए सुधारात्मक कदम उठाने की ज़रूरत है. उन्होंने आगे कहा कि जब एक ट्रक को कश्मीर से जम्मू के बाजार तक पहुंचने में एक पखवाड़ा लग जाता है, तो खराब होने वाले सामान की उत्तरजीविता दर क्या है? उन्होंने दावा किया कि 60 प्रतिशत उपज लगभग खराब हो जाती है, जिससे उन्हें सेब औने-पौने दामों पर बेचने के लिए मजबूर होना पड़ता है.
महाजन ने कहा कि मध्य कश्मीर के बडगाम से जम्मू होते हुए नई दिल्ली तक सेब ले जाने के लिए मालगाड़ी चलाना कोई विकल्प नहीं हो सकता, क्योंकि इसकी माल ढुलाई सीमित है और यह सभी फल उत्पादक क्षेत्रों, खासकर दक्षिण कश्मीर, तक नहीं पहुंच पाती. एक अन्य व्यापारी रणधीर गुप्ता ने कहा कि इस बार उन्हें पूरी तरह से नुकसान होने का खतरा है. उन्होंने आगे कहा कि मुझे नहीं लगता कि यह हमारे निवेश का पांच प्रतिशत से ज़्यादा होगा. 1,000 रुपये की पेटियां 100 और 200 रुपये में बिक रही हैं. सेब से लदे ट्रकों को यहां पहुँचने में 10 दिन से ज़्यादा लग रहे हैं. उन्होंने कहा कि व्यापारियों ने पिछले नुकसान से उबरने की उम्मीद में काफी पैसा लगाया है. इस बार, उत्पादक और व्यापारी दोनों बर्बाद हो गए हैं.
मानिक गुप्ता ने कहा कि वह पांच दशकों से मंडी में व्यापार कर रहे हैं, लेकिन ऐसी स्थिति उन्होंने पहले कभी नहीं देखी. उन्होंने कहा कि हमने पहले भी उतार-चढ़ाव देखे हैं, लेकिन इस बार तो पूरी तरह से तबाही मची है. लगभग 60 प्रतिशत फसल बर्बाद हो गई है. उन्होंने आगे कहा कि इस स्थिति को देखते हुए, कश्मीर के किसान अपनी उपज को माल ढोने से कतरा रहे हैं क्योंकि उन्हें भारी नुकसान हुआ है. उन्होंने कहा कि जम्मू के बाजार में पहुंचने वाले माल का कोई दाम नहीं है. किसानों के बाद, जिन व्यापारियों ने बहुत पैसा लगाया है, वे भी मुश्किल में हैं. हमने लगभग 6 महीने पहले ही 50 प्रतिशत से ज़्यादा भुगतान कर दिया है. कुछ लोगों ने कर्ज़ लिया है और कुछ ने अपनी सारी कमाई लगा दी है.
मानिक गुप्ता ने कहा कि सेब का मौसम तीन महीने तक चलता है और सरकार को बागवानी उत्पादों, जो जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, का सुचारू परिवहन सुनिश्चित करना चाहिए. उन्होंने कहा कि हमने सुना है कि कश्मीर में नियंत्रित वातावरण वाले भंडार पहले से ही भरे हुए हैं. सरकार को घाटी से बागवानी उत्पादों के सुचारू परिवहन के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए. (PTI)
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