इलेक्ट्रॉनिक राष्ट्रीय कृषि बाजार (e-NAM) का नया संस्करण शुरू होने वाला है. भारत सरकार की योजना है कि वह इस नए वर्जन के माध्यम से अंतर-राज्यीय और अंतर-मंडी व्यापार को बढ़ावा देना चाहती है. बताया जा रहा है कि प्रस्तावित e-NAM 2.0 में स्वचालित बोली, मांग-आपूर्ति डेटा की सुविधा और परख, लॉजिस्टिक्स और फिनटेक समर्थन सहित डिजिटल वाणिज्य से जुड़ी सेवाओं का खुला नेटवर्क जैसी विशेषताएं होंगी.
अंग्रेजी अखबार 'फाइनेंशियल एक्सप्रेस' को एक अधिकारी ने बताया कि हालांकि वर्तमान में ई-नाम सुविधा में भौतिक मंडियों में निजी पक्षों द्वारा प्रदान की जाने वाली परख और परिवहन सुविधाओं का लाभ उठाने का कोई प्रावधान नहीं था, लेकिन नए प्लेटफॉर्म में ऐसी सुविधाएं होंगी जो फसलों के साथ-साथ फलों और सब्जियों के अंतर-राज्यीय व्यापार में मदद करेंगी. अधिकारियों ने कहा कि इससे खाद्यान्न की बर्बादी कम होगी और बिचौलियों की संख्या कम होने से किसानों को बेहतर मूल्य मिलेगा.
सूत्रों ने बताया कि ई-नाम 2.0 को लॉन्च करने का काम अभी चल रहा है और कुछ महीनों में इसके शुरू होने की संभावना है. अधिकारियों ने बताया कि नया प्लेटफॉर्म बड़ी मात्रा में कमोडिटी व्यापार को संभालने के लिए बनाया जा रहा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि खरीद के चरम स्तर पर सिस्टम धीमा न पड़े. ई-नाम 2.0 का उद्देश्य कृषि वस्तुओं के अंतर-राज्यीय और अंतर-राज्यीय व्यापार को सुगम बनाना है, ताकि लॉजिस्टिक कमियों को दूर किया जा सके और व्यापार को तेज किया जा सके, बर्बादी को कम किया जा सके और किसानों की आय में वृद्धि की जा सके.
अप्रैल 2016 में इस प्लेटफॉर्म के लॉन्च होने के बाद से अब तक इस पर 4.41 लाख करोड़ रुपये मूल्य की कृषि वस्तुओं का व्यापार हो चुका है, जिसमें से अंतर-राज्यीय व्यापार का हिस्सा केवल 76.8 करोड़ रुपये का था. ई-नाम का कुल बिक्री कारोबार 2024-25 में बढ़कर 80,262 करोड़ रुपये हो गया, जो वित्त वर्ष 2024 की तुलना में 2% की मामूली वृद्धि है, जबकि अंतर-राज्यीय व्यापार की मात्रा अभी भी 21 करोड़ रुपये ही रही. शुरुआत से अब तक अंतर-मंडी ई-नाम व्यापार 6,230 करोड़ रुपये का रहा है. इस प्लेटफ़ॉर्म में क्यूआर आधारित लॉट ट्रैकिंग और समय पर सूचनाएं जारी करने जैसी सुविधाएं होंगी.
सूत्रों ने बताया कि नौ साल पहले शुरू किए गए डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अंतर-राज्यीय और अंतर-मंडी व्यापार समग्र व्यापार की तुलना में बहुत कम है, जिससे पता चलता है कि ई-नाम पर अधिकांश बिक्री थोक मंडियों के भीतर से ही होती है. ई-नाम पहले ही 1,500 से अधिक थोक मंडियों को डिजिटल रूप से एकीकृत कर चुका है. वित्त वर्ष 2022-23 में, ई-नाम ने पहली बार जम्मू-कश्मीर से झारखंड तक सेब के अंतर-राज्यीय व्यापार को सुगम बनाया.
बता दें कि ई-नाम का कुल बिक्री कारोबार 2024-25 में बढ़कर 80,262 करोड़ रुपये हो गया, जो वित्त वर्ष 2024 की तुलना में 2% की मामूली वृद्धि है. इसके अलावा, 1.79 करोड़ किसान, 4,557 किसान उत्पादक संगठन (FPO), 2,69,688 व्यापारी और 1,17,590 कमीशन एजेंट ई-नाम पर पंजीकृत हैं. वर्तमान में, तमिलनाडु (213), राजस्थान (173), गुजरात (144), महाराष्ट्र (133), उत्तर प्रदेश (162) और हरियाणा (108) सहित 27 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 1,522 मंडियां ई-नाम प्लेटफॉर्म पर हैं.
वर्तमान में, संबंधित राज्य सरकारों द्वारा अधिसूचित 231 कृषि, बागवानी और अन्य वस्तुओं को ई-नाम प्लेटफॉर्म पर ऑनलाइन ई-नीलामी के लिए अंतिम रूप दिया गया है. सूत्रों ने बताया कि देश में लगभग 7000 मंडियां होने का अनुमान है और संबंधित राज्यों के मंडी बोर्डों की सिफारिश के बाद, कृषि उपज का बाज़ार ई-नाम के अंतर्गत आ जाता है.
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