रोपाई के लिए सब्जी की पौध ले जाते वक्त किन बातों का रखें ध्यान? अच्छी बढ़वार के लिए जरूरी है ये टिप्स
सभी मौसम में सब्जियों की खेती के लिए नर्सरी तैयार की जाती है. उसके बाद किसान नर्सरी में तैयार पौधों की खेत में रोपाई करते हैं. नर्सरी में पौधा तैयार करने का फायदा यह होता है कि पौधे स्वस्थ तैयार होते हैं.
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पौधों की रोपाई के समय ये सावधानी बरतें किसान (सांकेतिक तस्वीर)
सब्जी की खेती किसानों के लिए फायदे का सौदा होती है. इसकी खेती से किसान तुरंत सब्जी बेचने के बाद पैसा कमा सकते हैं. लेकिन सब्जी की खेती में अच्छी पैदावार हासिल करने के लिए किसानों को खास ध्यान देना पड़ता है. खास कर बारिश के मौसम में खेतों में और अधिक ध्यान देने की जरूरत होती है क्योंकि खेतों में जलजमाव से सब्जी की खेती को नुकसान हो सकता है. इन जरूरी बातों के बीच यह जानना भी अहम है कि आलू, बींस, भिंडी, सेम जैसी सब्जियों को छोड़कर अधिकांश सब्जियों की नर्सरी तैयार की जाती है. नर्सरी में पौधे तैयार करने के बाद किसान उसे खेत में लगाते हैं. इसलिए नर्सरी से जुड़ी हर तरह की जानकारी किसान को होनी चाहिए.
आम तौर पर सभी मौसम में ही सब्जियों की खेती के लिए नर्सरी तैयार की जाती है. उसके बाद किसान नर्सरी में तैयार पौधों की खेत में रोपाई करते हैं. नर्सरी में पौध तैयार करने का फायदा यह होता है कि पौधे स्वस्थ तैयार होते हैं. पर इस विधि में जब पौधे के उखाड़कर खेत में लगाया जाता है, उस समय इसका खास ध्यान रखना पड़ता है. अक्सर यह देखा जाता है कि किसान पौधों के खेत में लेकर जाते हैं और उसे खेत में लगा देते हैं. इसमें विशेष ध्यान नहीं देने के अभाव में 2-3 दिन के अंदर ही एक तिहाई पौधे सूख जाते हैं. इस समस्या से निपटने के लिए किसानों को कुछ जरूरी उपाय अपनाना चाहिए.
रोपाई के लिए पौधे उखाड़ने से एक दिन पहले शाम में ही पौधों में कीटनाशक और फफूंदनाशक का छिड़काव कर दें ताकि एक सप्ताह तक पौधे बीमारियों के बचे रह सकें.
पोधों को उखाड़ने से एक घंटा पहले उनमें हल्की सिंचाई करें ताकि उखाड़ने में आसानी हो.
पोधों को उखाड़ते समय उन्हें पकड़ कर नहीं खींचे, ऐसा करने से जड़ और तना टूट जाते हैं, इसलिए पौधौं को उखाड़ने के लिए खुरपी का इस्तेमाल करना चाहिए और उन्हें सावधानी से उखाड़ना चाहिए ताकि पौधे सुरक्षित रहें.
दोपहर के बाद ही पौधों की रोपाई करनी चाहिए ताकि धूप नहीं लगे.
पौधों के उखाड़ने के बाद उन्हें रोपाई के लिए ऐसे खुले में नहीं ले जाएं, बल्कि उनका बंडल बना लें. इसके साथ ही उन्हें किसी बर्तन में जैविक खाद मिट्टी और पानी का गाढ़ा लेप तैयार करें. उसमें जड़ों को डूबा कर रोपाई के लिए लेकर जाएं. अगर उस क्षेत्र में उकठा रोग की समस्या हो तो उस लेप में बैविस्टिन या ट्राइकोडर्मा मिला दें.
रोपाई करने के लिए क्यारियां या मेड़ पहले से तैयार रखें और फिर रोपाई के बाद हल्की सिंचाई कर दें.
जब तक पौधा पूरी तरह से मिट्टी को पकड़ ना ले तब तक फ्लड इरिगेशन तकनीक से सिंचाई ना करें.
पौधौं में किसी भी प्रकार के रोग और कीट से संबंधित अधिक जानकारी के लिए कृषि वैज्ञानिकों से संपर्क करें. किसान अपने आस-पास के केवीके और कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक से संपर्क कर सकते हैं.