पंजाब के किसानों का चंडीगढ़ में जारी विरोध के बीच उनके लिए अच्छी खबर है. पंजाब सरकार ने कहा है प्रदर्शन कर रहे किसानों की अधिकांश मांगें मान ली गई हैं. सरकार की तरफ से मांगों पर सहमति जताए जाने के बाद शुक्रवार को किसान धरना खत्म करने को लेकर फैसला कर सकते हैं. विरोध कर रहे किसानों की प्रमुख मांगों में पंजाब में कृषि नीति लागू करने की मांग भी है. इस पर पंजाब सरकार की तरफ से कहा गया है कि 1600 पन्नों के कृषि नीति मसौदे को कुछ सुधारों के बाद 30 सितंबर तक किसान यूनियन के नेताओं को भेजा जाएगा.
इससे पहले गुरुवार शाम को पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने भारतीय किसान यूनियन (उग्राहां) और पंजाब खेत मजदूर यूनियन (पीकेएमयू) के किसान नेताओं के साथ उनकी मांगों पर चर्चा करने के लिए बैठक की. यह बैठक लगभग दो घंटे तक चली. बैठक के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की कृषि नीति का मसौदा लगभग तैयार है. इसे 30 सितंबर तक किसान यूनियन के नेताओं को भेजा जाएगा. नई कृषि नीति को लागू करने से पहले इसके मसौदे पर किसानों की तरफ से दिए गए सुझावों को भी शामिल किया जाएगा.
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'द ट्रिब्यून' की एक रिपोर्ट के अनुसार, गुरुवार शाम को हुई बैठक के बाद किसान नेताओं ने दावा किया है कि लोन के वन टाइम सेटलमेंट पर राज्य सरकार ने सहमति जताई है. सरकार की ओर से इशारा मिला है कि सहकारी बैंक से किसानों द्वारा लिए गए लोन के लिए एकमुश्त निपटान (OTS) नीति लाई जाएगी. इसके साथ ही सरकार ने उन किसानों और खेत मजदूरों की आत्महत्याओं पर सर्वेक्षण कराने और उनके परिवारों को मुआवजा भी देने पर सहमति जताई है. जिन किसानों ने साल 2010 के बाद कर्ज के बोझ तले दबकर आत्महत्या की है, उन्हें मुआवजा देने पर सरकार ने सहमति जताई है.
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मुख्यमंत्री भगवंत मान और किसान यूनियन के नेताओं के बीच हुई बैठक में नेताओं की तरफ से कई प्रस्ताव सरकार के सामने रखे गए हैं. इनमें से कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर सरकार ने अपनी सहमति जताई है. बैठक के दौरान सीएम ने किसानों से कहा कि राज्य में कर्ज के संकट से जूझ रहे किसानों को राहत पहुंचाने के लिए हर संभव मदद की जाएगी. किसान यूनियन के नेताओं के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेने के मुद्दे पर मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को इसके तरीके तलाश करने के लिए कहा है. चंडीगढ़ में शुक्रवार को सेक्टर 34 में सभी किसान बैठक करेंगे, इसके बाद सरकार की तरफ से दिए गए ऑफर की समीक्षा की जाएगी. समीक्षा करने के बाद किसान आगे की रणनीति पर विचार करेंगे.
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