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कोलकाता में महंगाई की मार, 35 रुपये किलो हुआ आलू, जानें क्यों बढ़ी इतनी अधिक कीमत

कोलकाता में महंगाई की मार, 35 रुपये किलो हुआ आलू, जानें क्यों बढ़ी इतनी अधिक कीमत

सिर्फ कोलकाता ही नहीं बल्कि कई अन्य जिलों में भी आलू की कीमतें बढ़ी हैं. कल्याणी के एक निवासी ने बताया कि उनके घरों के पास के बाजारों में भी आलू की कीमतें बढ़ गई हैं. आलू का उत्पादन मुख्य रूप से हुगली, हुगली से सटे हावड़ा के कुछ हिस्सों, पूर्व बर्दवान और पश्चिम मिदनापुर के एक हिस्से में होता है.

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आलू की कीमत में लगी आग. (सांकेतिक फोटो) आलू की कीमत में लगी आग. (सांकेतिक फोटो)

पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में आलू बहुत महंगा हो गया है. पिछले दो से तीन सप्ताह के अंदर आलू की कीमतें 5 रुपये प्रति किलो से ज्यादा बढ़ गई हैं. चंद्रमुखी किस्म की कीमत लगभग तीन सप्ताह पहले 28 रुपये से 30 रुपये के बीच थी. यह अब सभी बाजारों में 34 रुपये से 35 रुपये के बीच की कीमत पर बिक रहा है. अधिकांश बाजारों में ज्योति किस्म की कीमत 22 रुपये से 25 रुपये तक है. यह किस्म राज्य में उत्पादित आलू का बड़ा हिस्सा है.

टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, आवश्यक खाद्य पदार्थों की कीमतों की निगरानी के लिए राज्य सरकार द्वारा गठित टास्क फोर्स के एक सदस्य ने कहा कि अचानक आलू की कीमत में वृद्धि के लिए सामान्य से कम उत्पादन जिम्मेदार है. वहीं, बिधान चंद्र कृषि विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर ने भी कहा कि इस साल उत्पादन सामान्य से कम था. सियालदह के बैठकखाना के व्यापारी तारकेशर शॉ ने कहा कि वह बुधवार को चंद्रमुखी आलू 35 रुपये प्रति किलो और ज्योति आलू 25 रुपये प्रति किलो बेच रहे थे.

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क्या कहते हैं कृषि अर्थशास्त्री

उन्होंने कहा कि कुछ हफ्ते पहले, चंद्रमुखी किस्म की कीमत 30 रुपये प्रति किलो थी और ज्योति किस्म 22 रुपये प्रति किलो पर बिक रही थी. बिधान चंद्र कृषि विश्वविद्यालय के कृषि अर्थशास्त्र विभाग के प्रोफेसर बिमल कुमार बेरा ने कहा, आलू मध्य नवंबर और दिसंबर के बीच बोया जाता है, जबकि फसल फरवरी में शुरू होती है. हालांकि अधिकांश फसल मार्च में होती है. उन्होंने कहा कि इस वर्ष उत्पादन सामान्य से कम रहा है. अचानक कीमत बढ़ने का यही कारण हो सकता है. बेरा ने कहा कि यह वह समय है जब आलू सीधे किसानों से आता है. कोल्ड स्टोरेज में रखी फसल मई से बाजारों में आनी शुरू हो जाती है.

इसलिए बढ़ी कीमत

उन्होंने कहा कि मूल्य वृद्धि के कारणों पर कोई अध्ययन नहीं हुआ है क्योंकि यह हाल ही में और कुछ हफ्तों के भीतर हुआ है. आवश्यक खाद्य पदार्थों की कीमतों की निगरानी के लिए बनी टास्क फोर्स के सदस्य कमल डे ने कहा कि फरवरी के दौरान बारिश ने कई जगहों पर फसल बर्बाद कर दी. डे ने कहा कि किसानों ने एक पखवाड़े के भीतर फसल काट ली होगी, लेकिन बारिश के कारण खेतों में पानी भर गया. इससे फसल नष्ट हो गई और बाजारों में आपूर्ति कम हो गई. इससे कीमतें बढ़ने लगीं. 

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