चालू वित्त वर्ष में भारत के कृषि निर्यात को लगभग 4 से 5 बिलियन डॉलर का नुकसान हो सकता है. कहा जा रहा है कि निर्यात में ये गिरावट गेहूं, गैर-बासमती चावल और चीनी पर प्रतिबंध लगाए जाने की वजह से आएगी. लेकिन इसके बावजूद भी सरकार को उम्मीद है कि बासमती, फल, सब्जियां, मांस, डेयरी प्रोडक्ट्स और अन्य खाद्य वस्तुओं के एक्सपोर्ट में तेजी आने से निर्यात का स्तर पिछले साल के आंकड़े को छू लेगा.
दरअसल, केंद्र सरकार ने पिछले महीनों के दौरान गेहूं और गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर बैन लगा दिया था. इसके अलावा सरकार ने चीनी के निर्यात पर भी कुछ शर्तें लगा दी हैं. इससे चीनी के निर्यात में भी भारी गिरावट आई है. यही वजह है कि कृषि निर्यात में गिरावट आने की बात कही जा रही है. लेकिन वाणिज्य मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव राजेश अग्रवाल का कहना है कि हमें उम्मीद है कि निर्यात प्रतिबंधों के चलते 4 से 5 अरब डॉलर के प्रभाव के बावजूद हम कृषि निर्यात के मामले में पिछले वित्तीय वर्ष के स्तर तक पहुंच जाएंगे. 2022-23 में, भारत का कृषि निर्यात $53.15 बिलियन होने का अनुमान लगाया गया था.
अग्रवाल ने कहा कि अगले तीन साल में केला निर्यात एक अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा. उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से नवंबर के दौरान फल, सब्जी, डेयरी प्रोडक्ट्स, पॉल्ट्री उत्पाद, दाल और मांस के निर्यात में अच्छी बढ़ोतरी हुई है. हालांकि, चावल निर्यात 7.65 प्रतिशत घटकर 6.5 अरब डॉलर पर आ गया.
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अधिकारियों ने कहा कि भारत से निर्यात किए जाने वाले कृषि उत्पादों में बासमती चावल का आंकड़ा सबसे बड़ा है. इस साल अक्टूबर तक बासमती की प्रीमियम किस्म का निर्यात 3 अरब डॉलर तक पहुंच गया है. सरकारी अनुमान के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष में बासमती चावल का निर्यात 15 से 20 फीसदी अधिक हो सकता है. एक अन्य सूत्र ने कहा कि अगर लाल सागर पर हौथी विद्रोहियों के हमले उन्हें अपने शिपमेंट के लिए मार्ग बदलने के लिए मजबूर करते हैं, तो बासमती चावल निर्यातकों को आने वाले दिनों में दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है.
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