केंद्र सरकार ने महंगाई पर लगाम लगाने के लिए कमर कस ली है. सरकार ने खुदरा मार्केट में महंगाई को नियंत्रित करने के लिए ई-नीलामी के माध्यम से 3.46 लाख टन गेहूं और 13,164 टन चावल बेचा है. सरकार को उम्मीद है कि मार्केट में गेहूं और चावल की उपलब्धता बढ़ने से खाद्य पदार्थों की कीमत में गिरावट आएगी. खास बात यह है कि केंद्र ने मार्च 2024 तक ओएमएसएस के लिए 101.5 लाख टन गेहूं आवंटित किया है.
दरअसल, सरकार खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत खुदरा कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए अपने बफर स्टॉक से गेहूं और चावल बेच रही है. इसी के तहत 20 दिसंबर को 26वीं ई-नीलामी आयोजित की गई थी, जिसमें 3.46 लाख टन गेहूं और 13,164 टन चावल बेचा गया. एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि 2178.24 रुपये प्रति क्विंटल की दर से गेहूं और 2905.40 रुपये प्रति क्विंटल की दर से चावल बेचा गया है.
चावल, गेहूं और आटे की खुदरा कीमतों को नियंत्रित करने के लिए सरकार गेहूं और चावल दोनों की साप्ताहिक ई-नीलामी आयोजित कर रही है. एक बोलीदाता द्वारा बोली लगाने वाले चावल की न्यूनतम और अधिकतम मात्रा क्रमश 1 टन और 2,000 टन तय की गई है. बोलीदाता ओएमएसएस (घरेलू) के तहत चावल के संबंध में 1 टन के गुणकों में बोली लगा सकते हैं.
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यह उपाय ओएमएसएस (घरेलू) के तहत चावल की बिक्री बढ़ाने के लिए किया गया है और वर्तमान ई-नीलामी में चावल की बिक्री पिछली ई-नीलामी में बेचे गए 3,300 मीट्रिक टन से बढ़कर 13,164 मीट्रिक टन हो गई है. इस महीने की शुरुआत में, खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने कहा था कि सरकार घरेलू आपूर्ति को बढ़ावा देने और मूल्य वृद्धि को रोकने के लिए ओएमएसएस के तहत जनवरी-मार्च 2024 के दौरान थोक उपभोक्ताओं को अतिरिक्त 25 लाख टन एफसीआई गेहूं उतारने के लिए तैयार है.
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