रामपाल जाट ने पीएम मोदी को लिखा पत्र, खाद्य तेलों में पाम ऑयल के मिलावट पर प्रतिबंध लगाने की मांग

रामपाल जाट ने पीएम मोदी को लिखा पत्र, खाद्य तेलों में पाम ऑयल के मिलावट पर प्रतिबंध लगाने की मांग

रामपाल जाट ने लिखा है कि देशवासियों की स्वास्थ्य की रक्षा के लिये खाद्य पदार्थों में मिलावट को रोकने के लिये कानून बनाए गए हैं, जिसमें उम्रकैद तक का प्रावधान है. इसके बावजूद खाद्य तेलों में पॉम के तरल पदार्थों को मिलावट करने के लिये इस कानून में छूट दी गई है.

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रामपाल जाट ने पीएम मोदी को लिखा पत्र, खाद्य तेलों में पाम ऑयल के मिलावट पर प्रतिबंध लगाने की मांगपाम ऑयल पर प्रतिबंध लगाने की मांग (सांकेतिक तस्वीर)

देश को तिलहन उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने कि दिशा में कारगर कदम उठाने के संबंध में किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने खाद्य तेलों में पाम ऑयल के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नाम लिखे गए पत्र में उन्होंने कहा है कि भारतीय खाद्य तेलो के उत्पादन को प्रोत्साहित कर देशवासियों को शुद्ध तेल उपलब्ध कराने के लिये पॉम के तरल पदार्थों के इम्पोर्ट पर तुरंत बैन लगाने की जरूरत है. उन्होंने कहा है कि  देश में तिलहनों की आत्मनिर्भरता ' की दिशा में वर्ष 2012 से पॉम मिशन 11,040 करोड़ रुपये से शुरू किया गया था, पर उसके परिणाम पर सरकार अभी तक मौन बनी हुई है. 

रामपाल जाट ने लिखा है कि देशवासियों की स्वास्थ्य की रक्षा के लिये खाद्य पदार्थों में मिलावट को रोकने के लिये कानून बनाए गए हैं, जिसमें उम्रकैद तक का प्रावधान है. इसके बावजूद खाद्य तेलों में पॉम के तरल पदार्थों को मिलावट करने के लिये इस कानून में छूट दी गई है. जिसमें से वर्ष 2020 से सरसों तेल में मिलावट के सम्बन्ध में तो इसे संशोधित कर हटा लिया गया, किन्तु सरसों के तेल में पूर्व से चली आ रही मिलावट को रोकने के लिए सार्थक प्रयास नहीं हुए हैं. इसके कारण देशवासियों को शुद्ध तेल नहीं मिल रहा है. 

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पहले खाद्य तेलों के मामले में आत्मनिर्भर था भारत

उन्होंने कहा कि पाम ऑयल खाद्य पदार्थ की श्रेणी में शामिल नहीं है. पर इसे खाद्य तेल में मिलाने के लिए ब्लेंडिंग का नाम दिया गया है. इससे पहले वर्ष 1998 में सरसों के तेल का उपभोग रोकने के लिए ड्रोप्सी महामारी को प्रचारित किया गया था. जबकि उस समय सरसों के तेल के कारण ड्रोप्सी जैसी महामारी के कोई लक्षण तक नहीं थे. खाद्य तेलों में पाम ऑयल के मिलाने से युवाओं में हर्ट अटैक जैसी समस्या का सामना करना पड़ रहा है. पत्र में उन्होंने लिखा है कि वर्ष 1984 तक भारत खाद्य तेलों के मामले में आत्मनिर्भर था. उस समय तक खाद्य तेलों के आयात की आवश्यकता ही नहीं थी.

आयात शुल्क बढ़ाने का सुझाव

उसके बाद आयात नीति में आयात को प्रोत्साहित करने के कारण खाद्य तेलों के आयात में ' बढ़ोतरी आरंभ हुई. पिछले एक दशक में खाद्य तेलों 'के आयात पर 7,60,500 करोड़ रुपये का खर्च हुआ है जो पिछले एक वर्ष में ही 1,41,500 करोड़ रुपये पहुंच गया है.  खाद्य तेलों पर आयात शुल्क 80 से 85 प्रतिशत तक था, जिसे घटाकर शून्य तक ला दिया गया. रामपाल जाट ने लिखा है कि यदि समझौतों के कारण से आयात को रोकने में सरकार असमर्थ है तो फिर आयात शुल्क को 300 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है.  व्यक्त करें तो आयात शुल्क को 300 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है, जो किसी भी स्थिति में 100 प्रतिशत से कम नहीं होना चाहिए.

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सरकार पर आरोप

यह कि टीवी चैनल "आज तक" के डिजिटल  प्लेटफार्म "किसान तक" ने 06 सितम्बर, 2024 को वाद-विवाद में तथ्यान्वेषण के साथ राष्ट्रीय विमर्श की आवश्यकता बताई है. इसी प्रकार अन्य प्रचार माध्यमों ने भी इस विषय की गंभीरता को उभारा है. इस आयातित नीति के कारण देश के तिलहनों के उत्पादों के दामों में गिरावट, इसके कारण किसानों को उनके उत्पादों के उचित दाम नहीं मिल पाता है. उन्होंने आरोप लगाया कि किसानों की आय पर कुल्हाड़ी चलाने वाली योजना का नाम किसानों को भ्रमित करने के लिए "प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान" चलाया हुआ है. 

 

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