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World No Tobacco Day: भारत में कैसे शुरू हुई तंबाकू की खेती, अकबर के दरबार से भी जुड़े हैं किस्से

World No Tobacco Day: भारत में कैसे शुरू हुई तंबाकू की खेती, अकबर के दरबार से भी जुड़े हैं किस्से

World No Tobacco Day: भारत में तंबाकू की खेती पुर्तगालियों ने शुरू की. उसके पहले भारत में तंबाकू का कोई खास चलन नहीं था. इसकी खेती को धार देने के लिए सबसे पहले बिहार के पूसा में एक खास तरह का फार्म तैयार किया गया. इस फार्म में अमेरिका से आयात की गई तंबाकू की कई किस्में लगाई गईं और प्रायोगिक तौर पर खेती शुरू हुई.

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31 मई को पूरी दुनिया में world no tobacco day मनाया जाता है 31 मई को पूरी दुनिया में world no tobacco day मनाया जाता है

आज 'वर्ल्ड नो टोबैको डे' (world no tobacco day) है. जैसा कि नाम से जाहिर है, आज यानी 31 मई का दिन धूम्रपान निषेध के तौर पर मनाया जाता है. अब आप पूछेंगे कि ये नियम किसने बनाया कि हर साल 31 मई को 'नो टोबैको डे' मनाया जाएगा. तो इसका जवाब है विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने. यह खास दिवस शुरू करने का मकसद यही था कि लोगों को बताया जाए कि धूम्रपान इंसानी जिंदगी के लिए कितना घातक है. 31 मई यानी 'वर्ल्ड नो टोबैको डे' पर लोगों में जागरुकता फैलाई जाती है. ये बताया जाता है कि तंबाकू से बचें क्योंकि यह ऐसा जहर है जो हर सेकंड आपकी जिंदगी को आहिस्ता आहिस्ता तबाह करता है. ये तो हुई 'नो टोबैको डे' की जनरल बातें. अब आइए जानते हैं कि भारत में तंबाकू की खेती कब, कैसे शुरू हुई और इसका इतिहास क्या है.

इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च (ICAR) की एक रिपोर्ट बताती है कि भारत में 1605 में पहली बार तंबाकू की खेती शुरू हुई. दिलचस्प तो बात ये है कि इस खेती को भारत के लोगों ने नहीं बल्कि पुर्तगालियों ने शुरू की. तब भारत के कई हिस्सों में पुर्तगालियों का कब्जा हुआ करता था. वे अपने हिसाब से खेती-बाड़ी को भी कंट्रोल करते थे. लिहाजा, सबसे पहले गुजरात के कैरा और मेहसाणा जिले में तंबाकू की खेती शुरू हुई. बाद में देश के अन्य राज्यों में इस खेती का चलन बढ़ता गया.

तंबाकू की खेती का इतिहास

तंबाकू की खेती शुरू हुई तो इस बात पर फोकस गया कि इसकी क्वालिटी भी बढ़ाई जाए. क्वालिटी बढ़ाने के लिए 1787 में हावड़ा में कलकत्ता बोटैनिकल गार्डन की स्थापना की गई. अब सवाल उठा कि इस बोटैनिकल गार्डन में अच्छी क्वालिटी के तंबाकू (World No Tobacco Day) कहां से लगाए जाएं क्योंकि भारत में अच्छी किस्मों की घोर कमी थी. तब के शासन ने एक बड़ा फैसला किया और अमेरिका से तंबाकू की सात नई किस्में आयात की गईं. यह बात है सन 1814 की. इन सभी सात किस्मों को कलकत्ता के उसी बोटैनिकल गार्डन में लगाया गया.

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बोटैनिकल गार्डन में होने वाली खेती पूरी तरह से प्रायोगिक तौर पर थी. अब इसे कमर्शियल तौर पर बढ़ाने का समय आ गया था. सो, 1875 में बिहार के पूसा में एक मॉडल खेत (World No Tobacco Day) बनाया गया. इसी खेत में तंबाकू उगाने से लेकर उसकी देख-भाल का सारा काम शुरू हुआ. पूसा के इसी खेत में तंबाकू पर रिसर्च भी शुरू हुई. अब इस रिसर्च का दायरा बढ़ाना जरूरी था क्योंकि भारत तंबाकू को देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी भेजने की सोच रखने लगा था. इसके लिए पूंजी की जरूरत थी. लिहाजा, पूसा के तंबाकू फार्म को 1873 में बेग डनलप एंड कंपनी को कांट्रेक्ट पर दे दिया गया. बाद में डनलप ने भारत के तंबाकू को इंग्लैंड की सिगरेट कंपनियों को सप्लाई करना शुरू किया. इसी के साथ देश में तंबाकू की खेती और उस बिजनेस धीरे-धीरे तेजी पकड़ने लगा.

अकबर और तंबाकू का जुड़ाव

अब इस भारी-भरकम इतिहास (World No Tobacco Day) से थोड़ा दिगर चलते हैं और आपको कुछ रोचक बातें बताते हैं. आपने अकबर बादशाह का नाम तो सुना ही होगा. इस बादशाह का इतिहास बताता है कि वे तंबाकू के गजब शौकीन थे. लेकिन सवाल है कि इस शौक का चस्का उन्हें लगाया किसने? तो इसका जवाब है पुर्तगालियों ने. चूंकि पुर्तगालियों ने ही भारत में तंबाकू की खेती की नींव रखी. इसलिए उन्होंने अकबर बादशाह की खिदमत में उन्हें बेस्ट क्वालिटी का तंबाकू और एक नक्काशीदार चिलम भेंट की.

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अकबर को यह भेंट बेहद पसंद आई. लेकिन मसला ये उठा कि वे चिलन पीना नहीं जानते थे. वह भी उसमें तंबाकू भर कर. इसके लिए उन्होंने पुर्तगालियों से ट्रेनिंग ली और सीखा कि कैसे चिलम पीते हैं. इसी के साथ अकबर ने धूम्रपान की शुरुआत की और धीरे-धीरे यह उनके दरबारियों में भी फैल गई. इतिहासों में यह भी दर्ज है कि भारत में मुगल काल में हुक्के की शुरुआत हुई. कहा जाता है कि अकबर के राज में अब्दुल नाम के एक कारीगर ने हुक्के का आविष्कार किया जिसकी मदद से लोगों ने तंबाकू पीना शुरू किया.