राजस्थान में सत्ता पर काबिज़ कांग्रेस कल यानी छह सितंबर से पूरी तरह चुनावी मोड में आ गई है. कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद पहली बार मल्लिकार्जुन खड़गे राजस्थान आए. प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने खड़गे के साथ भीलवाड़ा में पशुपालन और डेयरी से जुड़ी 931 करोड़ रुपये से होने वाले या हो चुके कुल 409 कामों का शिलान्यास और लोकार्पण किया. इस बड़ी सभा के बाद ही बुधवार शाम को राजस्थान चुनावों से जुड़ी आठ कमेटियों का गठन कर दिया गया. जिसमें प्रदेश के कई नेताओं को बड़ी जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं.
इसीलिए इस रिपोर्ट में हम आपको बताने जा रहे हैं कि आखिर खड़गे को अध्यक्ष बनने के बाद पहली बार बुलाने और उनसे खेती-किसानी वाले कामों के शिलान्यास कराने के पीछे कांग्रेस की क्या रणनीति है? साथ ही कांग्रेस इस सब से जनता और भाजपा को क्या संकेत दे रही है?
बीते कुछ सालों से भारत की राजनीति गाय के जिक्र के बिना अधूरी ही है. गाय एक सिंबल बनकर उभरी है. इसकी हालिया शुरूआत भले ही बीजेपी ने की हो, लेकिन फायदा लेने में अब कांग्रेस भी पीछे नहीं रहना चाहती. इसीलिए 6 सितंबर को खड़गे और गहलोत ने भीलवाड़ा पहुंचने पर सबसे पहले गाय का पूजन किया. दरअसल, ये प्रदेश के पशुपालकों, किसानों को संकेत है कि आने वाला विधानसभा चुनाव गांव-देहात, गरीब और किसानों के नजरिए से काफी महत्वपूर्ण होने वाला है.
ऐसा इसीलिए भी क्योंकि जिन सामाजिक कल्याण की योजनाओं का जिक्र कल खड़गे ने अपने भाषण में किया, उनका सबसे ज्यादा फायदा प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों को ही मिलने वाला है. चाहे वो मुख्यमंत्री कामधेनु पशु बीमा योजना हो या किसानों को दो हजार यूनिट तक फ्री बिजली देना. चाहे महिलाओं को मुफ्त मोबाइल फोन स्कीम, 25 लाख तक का निशुल्क इलाज और 500 रुपये में इंदिरा गांधी रसोई गैस योजना हो. इन सारी योजनाओं का फायदा ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली आबादी को ही सबसे ज्यादा मिलेगा.
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500 रुपये में सिलेंडर देने के बाद केन्द्र सरकार ने भी गैस सिलेंडर पर 200 रुपये कम कर दिए. इसे कांग्रेस अपनी जीत और योजनाओं के असर के तौर पर प्रचारित करने लगी है. इसीलिए खड़गे ने भाषण में कहा था कि आप (जनता) सरकार रिपीट कीजिए, अगले कार्यकाल में इससे भी ज्यादा सहूलियतें मिलेंगी.
कांग्रेस की रणनीति की एक बड़ी वजह यह भी है कि राजस्थान की ग्रामीण अर्थव्यवस्था पशुपालन पर आधारित है. राजस्थान के कुल क्षेत्रफल का 55 फीसदी भाग रेगिस्तान है. जो आमतौर पर गरीब और पशुपालन पर आधारित है. प्रदेश की करीब 75% आबादी गांवों में रहती है.
2019 पशुगणना के अनुसार प्रदेश में करीब 5.67 करोड़ मवेशी हैं. इसमें 1.39 गौवंश, 1.36 भैंस, 80 लाख भेड़, 2.08 करोड़ बकरी और करीब 2.13 लाख ऊंट शामिल हैं. देश के कुल दूध उत्पादन में राजस्थान का पहला स्थान है. ऊन उत्पादन में भी राजस्थान देश में टॉप राज्य है.
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इसके अलावा साथ ही राजस्थान की अर्थव्यवस्था में पशुपालन का 10 फीसदी शेयर है. जबकि कृषि और पशुपालन पूरी एसजीडीपी में 22% का योगदान करते हैं. इसके अलावा तथ्य है कि प्रदेश के 52 फीसदी किसानों के पास एक हेक्टेयर से कम कृषि भूमि है.
कांग्रेसी नेता अपनी हर सभा और भाषण में तीन कृषि कानूनों के विरोध में हुए किसानों के आंदोलन का जिक्र करना नहीं भूल रहे. साथ ही आंदोलन के दौरान 700 से अधिक किसानों की मौत को कांग्रेस शहीद बताते हुए उसे मोदी सरकार की नाकामी घोषित कर रही है.
दरअसल, कांग्रेस यह जानती है कि किसान आंदोलन की आग अभी भी पूरी तरह शांत नहीं हुई है. रह-रह कर किसान उसके बाद भी केन्द्र सरकार के खिलाफ बोलते रहे हैं. इसीलिए इस साल के अंत में होने वाले चार राज्यों के चुनावों में कांग्रेस इसे मुद्दा बना रही है. वहीं, कांग्रेस राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का चुनावों में फायदा लेना चाहती है. इसीलिए पार्टी के सभी बड़े नेता अपने भाषणों, सभाओं में इसका ज़िक्र करना नहीं भूलते.
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