
गेहूं जैसी रबी की कुछ फसलों के लिए जहां कोहरा और ठंड बेहतर मानी गई है तो वहीं कुछ फसलें ऐसी हैं जिनके लिए बहुत ज्यादा ठंड नुकसानदाक होती है.उत्तर भारत सहित देश के कई हिस्सों में शीतलहर और तापमान में तेज गिरावट ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है. रबी के मौसम के बीच ही कई राज्यों में रात का तापमान सामान्य से कम है और लगातार कोहरे की वजह से पाले की स्थिति बन रही है. कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि बहुत ज्यादा ठंड और पाला फसलों की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है.
बहुत ज्यादा ठंड और लगातार कोहरे कुछ पौधों की बढ़वार रुक जाती है और उत्पादन पर सीधा असर पड़ता है. खासतौर पर रबी सीजन की कुछ प्रमुख फसलें ठंड के प्रति बेहद संवेदनशील मानी जाती हैं. कुछ फसलें ऐसी होती हैं जिनके लिए बहुत ज्यादा ठंड अच्छी नहीं होती है.आज हम आपको ऐसी ही पांच फसलों के बारे में बताते हैं.
आलू की फसल यूं तो ठंडे मौसम में ही उगाई जाती है लेकिन बहुत ज्यादा ठंड इसके लिए नुकसानदायक साबित होती है. जब तापमान 4 डिग्री सेल्सियस से नीचे चला जाता है तो आलू के पौधों की पत्तियां झुलसने लगती हैं. कंदों के अंदर मौजूद स्टार्च प्रभावित होता है जिससे आलू का रंग काला पड़ सकता है. पाले की मार से आलू की गुणवत्ता खराब होती है और किसानों को बाजार में कम दाम मिलते हैं.
सरसों की फसल के लिए हल्की ठंड अनुकूल मानी जाती है. बहुत ज्यादा ठंड और कोहरा इसके फूलों को नुकसान पहुंचाता है. ठंड के कारण फूल और फलियां झड़ने लगती हैं जिससे दानों की संख्या घट जाती है. इससे तेल उत्पादन पर भी असर पड़ता है. कई बार पाले की वजह से पूरी फसल का उत्पादन 20 से 30 प्रतिशत तक कम हो जाता है.
चना की फसल अत्यधिक ठंड के प्रति काफी संवेदनशील होती है. ठंड बढ़ने से पौधों की वृद्धि रुक जाती है और दानों का आकार छोटा रह जाता है. पाले की स्थिति में चने की पत्तियां जल जाती हैं और पौधा कमजोर हो जाता है. इसका सीधा असर पैदावार और बाजार कीमत पर पड़ता है जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ता है.
मटर की फसल को ठंड की जरूरत होती है लेकिन बहुत ज्यादा ठंड इसके लिए भी नुकसानदेह बन जाती है. बहुत कम तापमान में मटर के फूल गिरने लगते हैं और फलियों का विकास रुक जाता है. दाने सिकुड़ जाते हैं, जिससे फसल की गुणवत्ता खराब होती है. इससे किसानों को उम्मीद के मुताबिक मुनाफा नहीं मिल पाता.
टमाटर, बैंगन और मिर्च जैसी सब्जियां ठंड और पाले को बिल्कुल सहन नहीं कर पातीं. ज्यादा ठंड से पौधों की कोशिकाएं फटने लगती हैं, पत्तियां मुरझा जाती हैं और फल सड़ने लगते हैं. पाले की मार से पूरी की पूरी फसल बर्बाद होने की आशंका रहती है जिससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है.
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार ठंड और पाले से बचाव के लिए खेतों में हल्की सिंचाई करना बेहद जरूरी है क्योंकि नमी पाले के प्रभाव को कम करती है. रात के समय खेतों में धुआं करना, फसलों पर सूखी घास या मल्च बिछाना और पॉलीथिन शीट या लो-टनल का उपयोग भी कारगर उपाय माने जाते हैं. मौसम विभाग की चेतावनियों पर नजर रखकर समय रहते कदम उठाने से नुकसान को काफी हद तक कम किया जा सकता है.
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