Potato Price: पश्चिम बंगाल में आलू किसानों की चुनौती! कीमतें  हुईं धड़ाम, कहां जाए किसान 

Potato Price: पश्चिम बंगाल में आलू किसानों की चुनौती! कीमतें  हुईं धड़ाम, कहां जाए किसान 

कोल्ड स्टोरेज में अभी भी एक महीने से ज्‍यादा का स्‍टॉक है. इसकी वजह से भी आलू के होलसेल दाम में करीब 50 फीसदी की गिरावट आई है. इससे आलू उगाने वालों और व्यापारियों को भारी आर्थिक नुकसान हुआ है. किसानों को मजबूरी में आलू बेचना पड़ रहा है. उन्हें करीब 100-200 रुपये प्रति क्विंटल पर आलू बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.

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Potato Price: पश्चिम बंगाल में आलू किसानों की चुनौती! कीमतें  हुईं धड़ाम, कहां जाए किसान 

पश्चिम बंगाल में आलू के होलसेल दाम गिरने से किसान और व्‍यापारी काफी परेशान हैं.बताया जा रहा है कि आलू के थोक दामों में इतनी गिरावट किसानों उगाने वालों और व्यापारियों के बीच इंटर-स्टेट ट्रेड में भारी गिरावट देखने के बाद राज्य भर के किसानों ने आलू को मजबूरी में बेचना शुरू कर दिया है.पश्चिम बंगाल देश का दूसरा सबसे बड़ा आलू उत्‍पादक राज्‍य है लेकिन पिछले कुछ समय से इसे कई राज्‍यों से खासी टक्‍कर मिल रही है. बंगाल के सामने ओडिशा, झारखंड और बिहार जैसे अपने बड़े आलू बाजारों ने कड़ी चुनौती पेश कर दी है. बंगाल इन बाजारों पर कब्‍जा करना चाहता है और इसके लिए अपने इंटर-स्टेट ट्रेड को तेजी से बढ़ा रहा है. 

कोल्‍ड स्‍टोरेज में बचा है आलू 

बताया जा रहा है कि कोल्ड स्टोरेज में अभी भी एक महीने से ज्‍यादा का स्‍टॉक है. इसकी वजह से भी आलू के होलसेल दाम में करीब 50 फीसदी की गिरावट आई है. इससे आलू उगाने वालों और व्यापारियों को भारी आर्थिक नुकसान हुआ है. पश्चिम बंगाल कोल्ड स्टोरेज एसोसिएशन के एक सीनियर सदस्य पतित पावन डे ने बिजनेसलाइन को बताया कि चूंकि कोल्ड स्टोरेज में अभी भी बड़ी मात्रा में आलू बचा हुआ है, इसलिए दाम गिर गए हैं. किसानों को मजबूरी में आलू बेचना पड़ रहा है. उन्हें करीब 100-200 रुपये प्रति क्विंटल पर आलू बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.उनका कहना था कि इस साल सीजन की शुरुआत में बंगाल के कोल्ड स्टोरेज में कुल लोडिंग करीब 72 लाख टन थी.

यह पिछले साल के मुकाबले करीब 10 लाख टन ज्‍यादा है. ज्‍यादा प्रोडक्शन की वजह से कोल्ड स्टोरेज में ज्‍यादा लोडिंग हुई. पश्चिम बंगाल में आलू के लिए करीब 500 कोल्ड स्टोरेज हैं. कोल्ड स्टोरेज में आलू की लोडिंग फरवरी-मार्च में शुरू होती है. ये कोल्ड स्टोरेज आमतौर पर 30 नवंबर तक अपना आलू का स्टॉक खत्म कर देते हैं. लेकिन ज्‍यादा को देखते हुए, राज्य सरकार ने सभी कोल्ड स्टोरेज में आलू के स्टोरेज का समय 31 दिसंबर तक बढ़ा दिया है.

यूपी को हो रहा फायदा

पश्चिम बंगाल कोल्ड स्टोरेज एसोसिएशन के प्रेसिडेंट सुनील कुमार राणा ने कहा कि आलू कम से कम अगले साल जनवरी तक कोल्ड स्टोरेज में रहने की उम्मीद है. कोल्ड स्टोरेज को क्षमता से कम पर चलाने में मुश्किलें आ रही हैं. लेकिन फिर भी राज्य के किसानों और व्यापारियों की मदद करनी होगी जिन्हें कीमतों में गिरावट की वजह से नुकसान हो रहा है. यह पूरी इंडस्ट्री और सभी स्टेकहोल्डर्स के लिए नुकसान है. राणा ने कहा कि बंगाल के व्यापारियों को ओडिशा, झारखंड और बिहार जैसे राज्यों में आलू ले जाने में मुश्किलें आ रही हैं वो ज्‍यादातर बंगाल के आलू पर निर्भर थे. पिछले दो सालों में पश्चिम बंगाल के इंटर-स्टेट ट्रेड में बड़ी गिरावट आई है. ऐसा इसलिए हुआ क्‍योंकि यूपी जो देश में आलू का सबसे बड़ा प्रोड्यूसर है, उसने अपने प्रोडक्ट के लिए मार्केट बढ़ाने के लिए तेजी से मार्केटिंग की कोशिशें की हैं. 

कैसी थी पिछले साल स्थिति 

इंडस्ट्री के जानकारों के मुताबिक उत्तर प्रदेश ने पिछले साल ओडिशा, झारखंड और बिहार जैसे मार्केट पर कब्‍जा करने का मौका तब पकड़ा जब पश्चिम बंगाल ने राज्य में आलू की कीमतें काफी बढ़ जाने के बाद इसके इंटर-स्टेट ट्रेड पर बैन लगा दिया था.बाद में आलू उगाने वालों और व्यापारियों के भारी आर्थिक नुकसान का हवाला देते हुए आंदोलन करने के बाद राज्य सरकार को बैन हटाना पड़ा. हालांकि, बंगाल के व्यापारियों को अब ओडिशा और दूसरे राज्यों से काफी कम डिमांड देखने को मिल रही है, जो उत्तर प्रदेश से आलू खरीद रहे हैं. यूपी अब ज्‍यादा प्रोडक्शन और बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर सुविधाओं के दम पर कम कीमतों पर आलू सप्लाई कर रहे हैं. साल 2024 से पहले, बंगाल हर साल दूसरे राज्यों को करीब 20-25 लाख टन ज्‍यादा बेचता था. 
 

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