आज बात सिर्फ MSP की करते हैं. बेशक MSP गारंटी कानून को किसानों की कई समस्याओं के समाधान तौर पर देखा जा रहा है, लेकिन ये पूरी समस्या तब शुरू होती है, जब किसानों को केंद्र सरकार की तरफ से फसलों का तय MSP ही नहीं मिल पाता है. इसी बात पर बीते दिन लोकसभा में कांग्रेस के नेता राहुल गांधी और केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान भीड़ गए थे.
राहुल गांधी ने कहा कि सरकार MSP पर फसलों की खरीद नहीं करती है तो वहीं शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि लागत पर 50 फीसदी जोड़ कर MSP तय किया जाता है और इस MSP पर फसलों की खरीदी हो रही है. इस पूरी बहस का अंत MSP गारंटी कानून की मांग के साथ हुआ, लेकिन इसके इतर सच ये है कि गेहूं और धान के अलावा बाकी फसलों की MSP पर खरीद नहीं होती है, जबकि फल-सब्जियों की तो MSP ही तय नहीं है. इस वजह से मंडियों यानी APMC में किसानों को दाम नहीं मिल पाता है.
अब सवाल ये है कि आखिर, जब देशभर में APMC मंडियां हैं तो आखिर क्यों ये APMC मंडियों फसलों की MSP पर खरीद नहीं करती हैं, क्यों फल-सब्जियों को APMC मंडियां अच्छा दाम दिलाने में असफल रहती है. आइए आज इसी पर विस्तार से बात करते हैं.
केंद्र सरकार की तरफ से 22 फसलों की MSP तय की जाती है, जिसमें से सिर्फ गेहूं-धान, समेत कुछ दालों की खरीदारी केंद्र सरकार की तरफ से की जाती है, लेकिन केंद्र सरकार भी गेहूं-धान की खरीदारी राज्यों के माध्यम से करती हैं तो वहीं दलहनी फसलों की खरीद के लिए नेफेड की सेवा ली जाती है. इसके बाद सभी MSP नोटिफाइड व अन्य फसलों की खरीदारी करने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की होती है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए राज्यों में एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केटिंग कमेटी यानी APMC बनाई गई हैं. मौजूदा समय में देश के अंदर 7 हजार से अधिक APMC मंडियां हैं.
APMC फसलों की खरीदारी MSP और बाकी फल-सब्जियों की खरीदारी बेहतर दाम में क्यों नहीं करती हैं. इसका गणित काउंसिल ऑफ स्टेट एग्रीकल्चर मार्केटिंंग बोर्ड (COSAMB) के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ जेएस यादव समझाते हुए कहते हैं कि फसल उत्पाद कृषि मंत्रालय के अधीन है, जबकि APMC मंडियां खाद्य व उपभोक्ता मंत्रालय के अधीन होती हैं. कृषि मंत्रालय फसलों के बेहतर दाम चाहता है, जबकि खाद्य व उपभोक्ता मंत्रालय कम दाम में खरीद चाहता है.
वह कहते हैं कि किसानों के साथ हो रहे अन्याय के लिए APMC मंडियों को दोषी ठहराया जाता है. कहा जाता है कि APMC मंडियां ठीक से काम नहीं कर रही हैं, जबकि ये आरोप गलत हैं. हकीकत इसके उलट हैं. APMC की, जो जिम्मेदारियां तय हैं, वह काम मंडियां कर रही हैं. वह इसे विस्तार से बताते हुए कहते हैं, एशिया के अंंदर भारत ही एकमात्र ऐसा देश हैं, जहां APMC पुलिस एक्ट के अधीन है और बिजनेस से इसका सीधा मतलब नहीं है. APMC को शासन से जो अधिकार मिले हैं, उसके तहत APMC मंडियां लाइसेंस देने, कंट्रोल करने, उत्पाद को सील करने, फसल नीलाम ना होने पर समीक्षा करने जैसे काम करती हैं. कुल मिलाकर APMC मंडियां पुलिसिंग ज्यादा करती हैं.
किसान, व्यापारियों को प्रशिक्षण देना, एक्सपोर्ट की बात करना, ट्रेड प्रमाेशन जैसी बातें APMC के एक्ट में नहीं है. APMC के एक्ट में ही गड़बड़ी है. APMC का काम लागू करवाना है, जो काम APMC को दिया गया है यानी वह अपना काम कर रही हैं. ये बड़ी चुनाैती है.
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