आखिरकार बीते दो महीने से चल रही ‘अथ श्री राजनीति कथा’ का पटाक्षेप भाजपा के पक्ष में जाकर खत्म हुए है. राजस्थान में भाजपा ने बड़ी जीत दर्ज करते हुए 115 सीटें जीती हैं. कांग्रेस के कई बड़े दिग्गज चुनाव हार गए. कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे 16 नेता भी चुनाव हारे हैं. लेकिन इस खबर में हम अभी भाजपा की ही बात करते हैं. चुनाव जीतने के बाद पत्रकारों के साथ-साथ राजनीति गलियारों में अब यह चर्चा है कि सीएम फेस आखिर कौन होगा? क्या दो बार मुख्यमंत्री रही वसुंधरा खुद को एक बार फिर उस पद के लिए मोदी को मना पाएंगी या भाजपा आलाकमान किसी नए चेहरे पर भरोसा करेगा. इन तमाम सवालों के जवाब इस रिपोर्ट में जानेंगे और उन चेहरों पर बात करेंगे जो बीजेपी के संभावित सीएम का चेहरा हो सकते हैं.
बीजेपी ने इस पूरे चुनाव में मुख्यमंत्री का चेहरा किसी को घोषित नहीं किया था. पिछले चुनावों में भी नहीं किया था, लेकिन जाहिराना तौर पर वसुंधरा एक चेहरा हुआ करती थीं. लेकिन इस बार ऐसा नहीं था. आम-ओ-खास के बीच चर्चा थी कि राजे को बीजेपी आलाकमान ने साइड लाइन कर दिया है. लेकिन जिस तरह से बीजेपी ने सत्ता में वापसी की है, उससे राजे का कद बढ़ा है. हालांकि वह सीएम उम्मीदवार होंगी, ऐसा अभी भी तय नहीं है. जहां तक अब तक के चुनाव से समझा जाए तो यह लगभग तय है कि राजे सीएम का चेहरा नहीं होंगी.
जयपुर के पूर्व राजपरिवार का यह चेहरा पिछले दो चुनावों से काफी चर्चित है. अब तक वे राजसमंद से सांसद थीं, लेकिन जयपुर की विद्याधर नगर सीट से उन्होंने 71368 वोटों से सबसे बड़ी जीत दर्ज की है. मुख्यमंत्री पद के लिए यह चेहरा काफी समय से चर्चा में है. वहीं, वसुंधरा राजे को किनारे कर राजपरिवार का ही चेहरा सीएम के तौर पर लाया जा रहा है.
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महिला और दिल्ली में आलाकमान से अच्छे रिश्तों के चलते उनकी संभावनाएं बन रही हैं. लेकिन जिस तरह से यूपी, उत्तराखंड में राजपूत पहले से ही सीएम हैं. इसीलिए जातिगत समीकरणों में अगर बीजेपी फंसेगी तो शायद दीया सीएम की कुर्सी तक नहीं पहुंच पाएं. क्योंकि इन तीन राज्यों के नतीजों पर 5 महीने बाद लोकसभा चुनाव भी काफी कुछ निर्भर करता है.
फिलहाल लोकसभा अध्यक्ष बिड़ला को लेकर अंदरखाने में कई महीनों से यह चर्चा है कि वे सीएम हो सकते हैं. हालांकि सार्वजनिक तौर पर ऐसा नहीं दिखता, लेकिन जिस तरह से बिड़ला के दिल्ली में पीएम मोदी के साथ रिश्ते हैं, उन्हें देखकर लगता है कि ओम बिड़ला मुख्यमंत्री के एक दावेदार हो सकते हैं. वहीं, बीजेपी एक सामान्य वर्ग के चेहरे पर अगर जाती है तो बिड़ला की संभावनाएं बढ़ जाती हैं. कोटा से दो बार के सांसद ओम बिड़ला इससे पहले तीन बार विधायक रह चुके हैं. उन्होंने 2003 में कोटा दक्षिण सीट से पहली बार चुनाव लड़ा था और शांति धारीवाल को हराया था.
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राजस्थान के योगी कहे जाने वाले महंत बालकनाथ ने 6173 वोटों से चुनाव जीता है. अगर बीजेपी ओबीसी चेहरे की तरफ जाएगी तो बाबा बालकनाथ एक चेहरा हो सकते हैं. इसके साथ ही बालकनाथ के साथ एक बात भी प्लस होती है कि उनकी छवि हिंदुत्व के ब्रांड की भी है. इसीलिए अगर दिल्ली हिंदुत्व के आइडिया को राजस्थान में और विस्तार देना चाहती है तो बालकनाथ सीएम का चेहरा हो सकते हैं.
फिलहाल केन्द्रीय मंत्री और पूर्व प्रशासनिक अधिकारी अर्जुनराम मेघवाल की इन विधानसभा चुनावों में काफी चली है. टिकट बंटवारे से लेकर घोषणापत्र समिति के अध्यक्ष के तौर पर उन्होंने अपनी जिम्मेदारी निभाई हैं. अप्रत्यक्ष रूप से भी मेघवाल ने बीजेपी में ‘बिहाइंड दि कर्टन’ रहकर काम किया है.
सीएम बनने की संभावनाओं के पक्ष में सबसे बड़ा कारण उनका दलित होना है. बीजेपी के किसी भी राज्य में दलित सीएम नहीं है. अगर भाजपा लोकसभा चुनावों में दलितों को एकतरफा अपना साथ लाना चाहती है तो मेघवाल से बड़ा चेहरा राजस्थान में फिलहाल उसके पास नहीं है. हालांकि वसुंधरा राजे से मेघवाल की अदावत की खबरें अक्सर देखने-सुनने को मिलती हैं. इसीलिए अगर वसुंधरा की चलती है और वे इसमें रोड़े अटकाती हैं तो मेघवाल की संभावना थोड़ी कम हो जाती है.
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