गेहूं की कीमतों में बीते कुछ दिनों से तेज उछाल देखा जा रहा है. इसके चलते आटा की कीमतों में उछाल आने का अनुमान जताया गया है. मिलर्स ने सरकार से गेहूं का स्टॉक जारी करने की मांग की है. पिछले साल जुलाई में सरकारी गेहूं की बिक्री शुरू कर दी गई थी. जबकि, इस बार अगस्त भी खत्म होने वाला है और अब तक बिक्री को लेकर अपडेट नहीं है. ऐसे में आशंका जताई गई है कि आटा के साथ ही गेहूं से बनने वाले दूसरे प्रोडक्ट जैसे बिस्किट की कीमतों पर भी असर दिख सकता है.
गेहूं की कीमतें बुधवार को लगभग 9 महीनों में अपने सर्वाधिक स्तर पर पहुंच गईं. गेहूं की कीमतें अप्रैल में 24,000 रुपये प्रति मीट्रिक टन से बढ़कर 28,000 रुपये प्रति मीट्रिक टन पर पहुंच गई हैं. वहीं, सरकारी आंकड़ों के अनुसार 18 अगस्त 2024 को गेहूं के आटे का अधिकतम दाम 65 रुपये प्रति किलो था, औसत दाम 35.78 और न्यूनतम दाम 28 रुपये प्रति किलो रहा. दिल्ली में आटा का दाम 32, जम्मू-कश्मीर में 41.5, हरियाणा में 33.33 और महाराष्ट्र में 43.53 रुपये प्रति किलो रहा. गेहूं की बढ़ती कीमतों के चलते आटा के इस दाम में आने वाले हफ्तों में बढ़ोत्तरी की आंशका जताई जा रही है.
इंडस्ट्री के लोगों ने रायटर्स को बताया कि अगर सरकार गोदामों से गेहूं का स्टॉक रिलीज नहीं करती है तो त्योहारी सीजन के दौरान कीमतों में और उछाल आ सकता है. रिपोर्ट के अनुसार दक्षिण भारत के गेहूं की खपत करने वाले राज्यों के एक बड़े आटा मिल मालिक ने कहा कि गेहूं की आपूर्ति हर दिन कम होती जा रही है और कुल आपूर्ति की स्थिति पिछले साल से भी खराब दिख रही है. इसलिए सरकार को तुरंत अपने स्टॉक से गेहूं की पेशकश शुरू कर देनी चाहिए.
आटा मिलर्स की ओर से कहा गया है कि अगस्त महीना जल्द ही खत्म होने वाला है और सरकार ने अभी तक सरकारी स्टॉक से गेहूं की बिक्री शुरू नहीं की है. इस देरी चलते गेहूं की कीमतों में और बढ़ोत्तरी हुई है. बता दें कि जून में रॉयटर्स ने एक सरकारी आदेश का हवाला देते हुए बताया था कि जुलाई से सरकार स्टॉक से थोक उपभोक्ताओं को गेहूं बेचेगी, लेकिन इसमें देरी हुई और इसके बाद अब तक कोई अपडेट नहीं आया. जबकि, पिछले साल सरकार ने जून में अपने स्टॉक से गेहूं बेचना शुरू किया था और जून 2023 और मार्च 2024 के बीच स्टॉक से लगभग 100 लाख मीट्रिक टन की रिकॉर्ड मात्रा बेची. इससे आटा मिलर्स और बिस्किट निर्माताओं जैसे थोक खरीदारों को सस्ती कीमतों पर मुख्य अनाज गेहूं की आपूर्ति मिल गई थी.
आटा मिलर्स ने कहा कि सरकार को अपने भंडार से कुछ स्टॉक खाली करने में अब और देरी नहीं करनी चाहिए. कहा गया कि भारत को ऑस्ट्रेलिया और रूस जैसे देशों से आयात को सुविधाजनक बनाने के लिए 40 फीसदी गेहूं आयात कर भी हटाना चाहिए. इस साल की शुरुआत में रॉयटर्स ने बताया कि भारत छह साल के अंतराल के बाद गेहूं का आयात शुरू करने के लिए तैयार है, ताकि घटते भंडार को फिर से भरा जा सके और तीन साल की निराशाजनक फसलों के बाद कीमतों में उछाल को रोका जा सके.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today