Wheat New Variety: शरबती की नई किस्‍म वेस्‍ट और साउथ में करेगी गेहूं का विस्‍तार, एक तीर से कई निशाने साध रही सरकार! 

Wheat New Variety: शरबती की नई किस्‍म वेस्‍ट और साउथ में करेगी गेहूं का विस्‍तार, एक तीर से कई निशाने साध रही सरकार! 

Wheat New Variety: शरबती की नई किस्‍म दक्षिण भारत में करेगी गेहूं का विस्‍तार, एक तीर से कई निशाने साध रही सरकार! Wheat New Variety: शरबती की नई किस्‍म दक्षिण भारत में करेगी गेहूं का विस्‍तार, एक तीर से कई निशाने साध रही सरकार! 

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Wheat New Variety: शरबती की नई किस्‍म वेस्‍ट और साउथ में करेगी गेहूं का विस्‍तार, एक तीर से कई निशाने साध रही सरकार! गेहूं की नई किस्‍म पूसा शरबती गेहूं में क्‍या है खास

PM मोदी ने बीते रविवार यानी 11 अगस्‍त को फसलों की 109 नई किस्‍में जारी की थीं. इन 109 किस्‍मों में से दो किस्‍में गेहूं की हैं, जिसमें से एक किस्‍म का नाम पूसा गेहूं शरबती (HI 1665) है. गेहूं की इस किस्‍म को ICAR क्षेत्रीय केंद्र इंदौर ने विकसित किया है. बेशक गेहूं की ये किस्‍म जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने में सक्षम है, लेकिन इस किस्‍म के साथ मोदी सरकार ने वेस्‍ट और साउथ इंडिया में गेहूं के विस्‍तार की नई पटकथा लिख दी है.

अगर इसे पूरे मामले को गंभीरता से समझें तो मोदी सरकार ने पूसा गेहूं शरबती (HI 1665) किस्‍म से पश्‍चिम और दक्षिण भारत में गेहूं के विस्‍तार के साथ ही एक तीर से कई निशाने साधने की कोशिश की है.

आज की बात इसी पर... जानेंगे कि गेहूं की इस किस्‍म में क्‍या खास है. क्‍यों इस किस्‍म को दक्षिण भारत में गेहूं विस्‍तार का कारण माना जा रहा है. क्‍यों कहा जा रहा है कि गेहूं की इस किस्‍म के जरिए सरकार ने एक तीर से कई निशाने साधे हैं. 

गेहूं की इस किस्‍म में क्‍या खास

पीएम मोदी ने फसलों की 109 किस्‍में बीते दिनों जारी की, जिसमें से दो किस्‍में गेहूं की है. यहां पर पूसा गेहूं शरबती (HI 1665) की बात कर रहे हैं. इसकी विशेषताओं की बात करें तो ये 110 दिनों में पककर तैयार होनी वाली किस्‍म है, जो प्रति हेक्‍टेयर 33 क्‍विंटल तक उत्‍पादन दे सकती है. इसे अधिक सिंचाई की जरूरत नहीं है तो वहीं अधिक गर्मी और सूखा झेलने में ये किस्‍म सक्षम है. पूसा गेहूं शरबती (HI 1665) किस्‍म की विशेषता इसके बेहतर दाने हैं. इसके दाने में जिंक की मात्रा 40.0 ppm तक है, जो एक बॉयोफोर्टिफाइड किस्‍म है.

मध्‍य, पश्‍चिम और दक्षिण भारत के लिए तैयार किस्‍म

पूसा गेहूं शरबती (HI 1665) एक बॉयोफोर्टिफाइड किस्‍म है, जो विशेष तौर पर मध्‍य प्रदेश, महाराष्‍ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु के मैदानी इलाकों में खेती के लिए तैयार की गई है. सीधे तौर पर समझें तो गेहूं की ये किस्‍म उत्तर भारत राज्‍यों की तुलना में दक्षिण और मध्‍य भारतीय राज्‍यों के लिए तैयार की गई है.

क्‍या ये साउथ में गेहूं का विस्‍तार है 

पूसा गेहूं शरबती (HI 1665) की एंट्री क्‍या महाराष्‍ट्र, तमिलनाडु और कर्नाटक में गेहूं का विस्‍तार है. इस सवाल का जवाब IIWBR क्षेत्रीय केंद्र शिमला के एमिरेट्स वैज्ञानिक डॉ सुभाष भारद्वाज हां में देते हैं. इसको विस्‍तार से समझाते हुए वह कहते हैं कि पूर्व में भी महाराष्‍ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु में गेहूं की खेती होती रही है, लेकिन पिछले कुछ सालों से गेहूं की स्‍वीकार्यता वहां बढ़ी है.

डायट बैलेंस यानी आहार में संतुलन के लिए स्‍थानीय लोगों के बीच रोटी-परांठा की मांग बढ़ी है, इस वजह से गेहूं की मांग बढ़ोतरी हुई है और किसान गेहूं की खेती करने लगे हैं. कुछ ये ही हाल पूर्वी भारत का भी है. इसी कारण से पिछले साल गेहूं के रकबे में बढ़ोतरी हुई और रकबा 34 मिलियन हेक्‍टेयर तक पहुंच गया था. इन परिस्‍थतियों में पूसा गेहूं शरबती (HI 1665) किस्‍म को महाराष्‍ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु में गेहूं के विस्‍तार की प्‍लानिंग के तौर पर देखा जा सकता है. 

दक्षिण में उजला है गेहूं का भविष्‍य 

महाराष्‍ट्र के साथ ही कर्नाटक और तमिलनाडु में गेहूं के विस्‍तार को सकारात्‍मक बताते हुए IIWBR क्षेत्रीय केंद्र शिमला के एमिरेट्स वैज्ञानिक डॉ सुभाष भारद्वाज कहते हैं कि वहां गेहूं का भविष्‍य उजला है. वह कहते हैं कि दक्षिण भारत के राज्‍यों में उगने वाले गेहूं के दाने उत्तर भारत के राज्‍यों में उगने वाले गेहूं के दानों से बेहतर और साफ होते हैं. तो वहीं दूसरी तरफ वहां गेहूं में करनाल बंंट रोग नहीं लगता है. ऐसे में दक्षिण में गेहूं का विस्‍तार बेहद ही सही प्‍लान है.

वेस्‍ट-साउथ में गेहूं विस्‍तार से कई निशाने साध रही सरकार

गेहूं उत्‍पादन में अभी तक यूपी, मध्‍य प्रदेश, पंंजाब, हरियाणा, राजस्‍थान, बिहार का नाम ही आता है. अब पूसा गेहूं शरबती (HI 1665) किस्‍म से महाराष्‍ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु में गेहूं की खेती में बढ़ोतरी होने की संभावना है, लेकिन गेहूं की इस नई किस्‍म से सिर्फ गेहूं का रकबा बढ़ाने का प्‍लान नहीं है. बल्‍कि भारत सरकार इस एक तीर से कई निशाने साधने की तैयारी कर रही है. उसे सिलसिलेवार ढंग से समझते हैं. 

बढ़ती आबादी के लिए गेहूं का प्रबंध

महाराष्‍ट्र, तमिलनाडु और कर्नाटक में गेहूं विस्‍तार का प्‍लान सीधे तौर पर बढ़ती आबादी के लिए गेहूं प्रबंध करने के प्‍लान की तरफ इशारा कर रहा है. असल में मौजूदा वक्‍त में भारत में मुख्‍य तौर पर यूपी, एमपी, पंजाब, हरियाणा, राजस्‍थान, बिहार, हिमाचल, उत्तराखंड में ही गेहूं की खेती होती है. हालांकि कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्‍ट्र में बहुत कम क्षेत्रफल में गेहूं की उपज होती है.

इस सूरत में भारत का गेहूं उत्‍पादन इस साल 1129 लाख टन था, जबकि नीति आयोग का एक आंकड़ा बताता है कि भारत में गेहूं की सालाना खपत 1001 लाख टन है और गेहूं की मांग सालाना 15 लाख टन के अनुपात में बढ़ रही है. तो वहीं भारत दुनिया का बड़ा गेहूं एक्‍सपोर्टर भी है. इन स्‍थितियों में भारत को गेहूं की अपनी घरेलू जरूरतों को पूरा करने और दुनिया के एक्‍सपोर्ट बाजार में दखल बनाए रखने के लिए गेहूं का एरिया विस्‍तार करने की जरूरत है, जिसके लिए महाराष्‍ट्र, तमिलनाडु और कर्नाटक सबसे मुफीद है. क्‍योंकि यहां गेहूं के लिए बेहतर जलवायु है.

फसल विविधिकरण

वेस्‍ट और साउथ इंडिया में गेहूं विस्‍तार प्‍लान के तहत फसल विविधिकरण पर भी फोकस है. असल में दक्षिण भारत राज्‍यों में गेहूं के लिए बेहतर जलवायु है, लेकिन अभी तक वहां पर धान की खेती अधिक होती है. IIWBR क्षेत्रीय केंद्र शिमला के एमिरेट्स वैज्ञानिक डॉ सुभाष भारद्वाज कहते हैं कि इन राज्‍यों में किसान एक साल में तीन बार धान की खेती करते हैं. खेत में एक ही तरह की फसल लेने से मिट्टी की उपजाऊ क्षमता पर भी असर पड़ता है और बीमारियां भी बढ़ती हैं. ऐसे में धान के बीच गेहूं की एंट्री से किसान और मिट्टी को फायदा होगा.

 

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