इलेक्टोरोल बांड पर देश में घमासान मचा हुआ है. इधर चुनाव आयुक्त अरुण गोयल के इस्तीफे से शुरू हुआ संग्राम थमता हुआ दिख रहा है. इस बीच पंजाब और हरियाणा बॉर्डरों पर SKM गैर राजनीतिक के बैनर तले किसानों का जुटान नया मुकाम पाने की कोशिश में है. तो वहीं 14 मार्च को दिल्ली के ऐतिहासिक रामलीला मैदान में SKM के बैनर तले कई राज्यों से आए किसान शक्ति प्रदर्शन कर चुके हैं. इन तमाम राजनीतिक, समसामायिक घटनाक्रमाें के बीच चुनाव आयोग का एक संदेश चर्चा में बना हुआ है, जिसके तहत देश में लोकसभा चुनाव 2024 का शंखनाद जल्द होने वाला है. अब ऐसे में बड़ा सवाल ये बना हुआ है कि लोकसभा चुनाव 2024 की घोषणा यानी आचार संहिता लगने के बाद किसान आंदोलन की दिशा क्या होगी. इस कड़ी में इस पर पूरी पड़ताल...
रामलीला मैदान में किसान मजदूर महापंचायत के बाद लोकसभा चुनाव 2024 की घोषणा होने के संकेत मिलने लगे हैं. मसलन, 15 मार्च को दोनों नव नियुक्त चुनाव आयुक्तों के पदभार संंभालने के बाद चुनाव आयोग ने एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है, जिसके तहत चुनाव आयोग ने आयोग कवर करने वाले पत्रकारों को एक बजे शनिवार दावत पर बुलाया है. इसके बाद 3 बजे लोकसभा चुनाव के संबंध में अहम घोषणा की जानी है, जिसकी जानकारी खुद चुनाव आयोग ने दी है. सीधा सा मतलब है कि ये जानकारी जब कई लोग पढ़ रहे हो तो तब देश में लोकसभा चुनाव 2024 का शंखनाद हो जाए और आचार संंहिता लग जाए.
MSP गारंटी कानून समेत विभिन्न मांगों काे लेकर SKM गैरराजनीतिक, SKM आंदोलन कर रहे हैं. मौजूदा वक्त में, इन मांगों की वैलिडिटी आचार संहिता लगने तक मानी जा रही है. असल में आचार संहिता लगने के बाद कोई भी सरकार किसी भी तरह की नई घोषणा नहीं कर सकती है. बेशक कुछ राष्ट्र आपताकालीन घोषणाएं चुनाव आयोग की आज्ञा से की जा सकती है, लेकिन बाकी घोषणाएं चुनाव समयावधि में नहीं की जा सकती है. इस वजह से किसान संंगठनों की मांगों की वैलिडिटी आचार संहिता लगने तक बताई जा रही है.
लोकसभा चुनाव 2024 की घोषणा और उसके साथ ही देशभर में आचार संहिता लगने के बाद पंजाब-हरियाणा बॉर्डर पर डटे किसानों का क्या हाेगा, ये सवाल इस वक्त सबसे मौजूं है. असल में किसान स्पष्ट कर चुके हैं कि वह शंभू और खनौरी बॉर्डर पर तब तक डटे रहेंगे, जब तक उनकी मांगे मानी नहीं जाएगी.
मसलन, लोकसभा चुनाव के बाद भी SKM गैर राजनीतिक ने आंदोलन जारी रखने का ऐलान किया हुआ है. अब ये बड़ा सवाल है कि चुनाव और आचार संहिता के बीच कैसे आंदोलन को जारी रखा जाएगा. इस संबंध में SKM गैर राजनीतिक ने कार्यक्रम भी जारी किया है. जिसके तहत 23 मार्च और 30 मार्च को शहीदी दिवस और गांव-गांव जागरूक करने की योजना है, लेकिन बड़ा सवाल ये है कि शंभू और खनौरी बॉर्डर पर किसान आंदोलन कैसे बढ़ेगा.
इसको लेकर, जो तस्वीर निकल कर सामने आती है, वह ये है कि ये आंदोलन बीते साल शाहीनबाग में हुए आंदोलन के मॉडल पर आगे बढ़ेगा, जिसे शाहीनबाग मॉडल कहा जाता है, जिसमें आंदोलन में भागीदारी के लिए लोगों को दिन आंवटित किए जाते थे. असल में शाहीनबाग आंदोलन के दौरान ही दिल्ली विधानसभा चुनाव हुए थे, इसके बीच ही ये आंदोलन चलता रहा था.
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