जलवायु परिवर्तन (Climate Change) का बड़ा असर अब समुद्री मछलियों पर भी होने लगा है. खासतौर पर समुद्र की तलहटी में रहने वाली मछलियां भी अब इससे नहीं बच रही हैं. ये खुलासा केन्द्रीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान, कोच्चि की एक रिपोर्ट से हुआ है. रिपोर्ट के मुताबिक हाल ही में CMFRI ने एक सर्वे किया था. सर्वे में चौंकाने वाली बात ये सामने आई है कि अक्तूबर 2023 से समुद्री हीटवेव (गर्म हवाओं) का असर देखा गया है. इसी के चलते कोरल रीफ मरने लगे हैं. CMFRI, कोच्चि की ओर से जारी किए गए फोटो में कोरल रीफ सफेद नजर आ रहे हैं.
डिप्टी डायरेक्टर जनरल (फिशरीज) जेके जैना का कहना है कि इसका सबसे बड़ा असर उन मछलियों पर पड़ेगा जो कोरल रीफ में या उसके आसपास रहती हैं, जो कोरल रीफ पर निर्भर हैं. इसमे बड़ी संख्या ऑर्नामेंटल (सजावटी) मछलियों की है. प्रभावित होने वाली मछलियों में डाल्फि़न भी है.
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CMFRI की रिपोर्ट के मुताबिक कोरल रीफ पर समुद्री हीटवेव का सबसे ज्यादा असर लक्ष्यदीव में देखा गया है. आंकड़ों के मुताबिक यहीं पर सामान्य से ज्यादा तापमान बढ़ा है. डिग्री हीटिंग वीक में रिकॉर्ड हुए आंकड़ों की मानें तो तापमान चार डिग्री सेल्सियस से ऊपर बढ़ गया है. रिपोर्ट में बताया गया है कि ये कोरल रीफ के लिए सबसे खतरनाक हालात मानें जाते हैं. इस बदलाव के चलते ही कोरल रीफ मरने लगते हैं.
CMFRI के सीनियर साइंटिस्ट डॉ. के आर श्रीनाथ ने बताया कि जब तापमान बढ़ने के चलते हालात बदलते हैं तो कोरल रीफ में मौजूद जूजैथिली उन्हें छोड़कर भागने लगते हैं. जबकि यही जूजैथिली कोरल रीफ की खुराक भी होते हैं. आमतौर पर हमारे देश में कोरल रीफ अंडमान निकोबार, कच्छ और मन्नार की खाड़ी के साथ ही लक्ष्यदीव में भी पाए जाते हैं.
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डीडीजी जेके जैना ने किसान तक को बताया कि कोरल रीफ जीवित जीव-जन्तुी की तरह से ही होते हैं. ये समुद्र की तलहटी में मिलते हैं. इनका बाहरी हिस्सा किसी चट्टान की तरह से होता है. लाखों कोरल रीफ से मिलकर एक छोटी सी चट्टान बनती है. इसी के अंदर जूजैथिली जीव रहता है. जूजैथिली के कोरल रीफ के संपर्क में आते ही कोरल रीफ सफेद से रंगीन हो जाती है. जूजैथिली ही इसकी खुराक है. इसी कोरल रीफ के इर्द-गिर्द कई तरह की मछलियां और पानी में रहने वाले दूसरे जीव-जन्तु रहते हैं. मूंगा स्टोन भी इसी कोरल रीफ से मिलता है.
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